दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?
दिवाली का त्योहार रोशनी और खुशी का पर्व है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली के ठीक बाद गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है? इस ब्लॉग पोस्ट में हम गोवर्धन पूजा के पीछे की कहानी, महत्व और परंपराओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
गोवर्धन पूजा की उत्पत्ति
गोवर्धन पूजा का सीधा संबंध भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। इस अद्भुत लीला के स्मरण में ही गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।
कथा के अनुसार: इंद्र देव को लगता था कि ब्रजवासी उनकी पूजा नहीं करते हैं, इसलिए उन्होंने ब्रज पर बहुत तेज बारिश करवाई। इससे ब्रजवासी बहुत परेशान हो गए। तब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और सात दिनों तक ब्रजवासियों को उसके नीचे शरण दी। इस लीला के बाद से ही गोवर्धन पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है और इसकी पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोण से बहुत महत्व है।
- प्रकृति का सम्मान: गोवर्धन पर्वत प्रकृति का प्रतीक है। गोवर्धन पूजा के माध्यम से हम प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लेते हैं।
- श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति: यह पूजा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को बचाने के लिए जो त्याग किया, वह हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
- अन्नकूट का महत्व: गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। अन्नकूट में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं और भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है। यह प्रकृति की उपज का आशीर्वाद लेने का एक तरीका है।
- समाज में एकता: गोवर्धन पूजा के दिन लोग एक साथ आते हैं और मिलकर पूजा करते हैं, जिससे सामाजिक एकता बढ़ती है।
गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है?
गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन मनाई जाती है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं। इसके बाद गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। पूजा में फूल, फल, मिठाई और धूप-दीप चढ़ाए जाते हैं।
अन्नकूट: गोवर्धन पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा अन्नकूट है। अन्नकूट में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं और भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है।
परिक्रमा: इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं।
कथा वाचन: गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करने वाली कथाएं सुनाई जाती हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व आज के समय में
आज के समय में जब प्रदूषण और पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ रही हैं, तब गोवर्धन पूजा का महत्व और भी बढ़ गया है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और उसके संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए।
निष्कर्ष
गोवर्धन पूजा एक ऐसा त्योहार है जो हमें प्रकृति के प्रति सम्मान, भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और सामाजिक एकता का संदेश देता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और हमें एक साथ मिलकर प्रकृति और समाज का विकास करना चाहिए।
Disclaimer:
यह जानकारी पौराणिक मान्यता एवं पौराणिक कथा कहानियों के आधार पर है। यह वेबसाईट इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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