Mushroom Spawn
Welcome to my blog. इस आर्टिकल में मैं आपको मशरूम स्पान (mushroom spawn) बनाने की विधि के बारे में संपूर्ण प्रैक्टिकल जानकारी दूंगा और आपसे अपना अनुभव शेयर करूंगा । मैंने M.Sc. (Agriculture) plant pathology subject से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ से पूर्ण किया है । इस पाठ्यक्रम में मशरूम हमारा प्रमुख विषय था जिसमें हमें वहां के प्रोफेसरों द्वारा Mushroom Spawn बनाने की विधि, मशरूम उत्पादन की विधि और मशरूम से संबंधित अन्य सभी प्रकार की पढ़ाई कराया गया है ।
पढ़ाई के दौरान हमने खुद अपने हाथों से मशरूम उत्पादन के साथ मशरूम Spawn बनाने का कार्य किए हैं । जिसका अनुभव मैं आपसे इस लेख में साझा करूंगा । साझा करने का मुख्य उद्देश्य आपको मशरूम स्पान (mushroom spawn) बनाने की विधि सिखाना है/बताना है , जिसका उपयोग करके आप अपने घर में ही बहुत ही कम खर्चे में मशरूम स्पावन Mushroom Spawn बनाकर उसका उपयोग करके मशरूम उत्पादन कर सकते हैं जो कि एक बहुत ही अच्छा व्यवसाय है क्योंकि इसमें लागत बहुत कम और मुनाफा बहुत ज्यादा है ।
मैंने पढ़ाई करने से पहले मशरूम बीज उत्पादन (mushroom spawn production) करने के लिए इंटरनेट, यूट्यूब इत्यादि में Mushroom Spawn बनाने की विधि के बारे में बहुत खोजा लेकिन रियल में सही जानकारी वाली कहीं भी आर्टिकल या यूट्यूब का वीडियो मुझे नहीं दिखा जिसमें परफेक्ट जानकारी दिया गया हो । सभी वीडियो या लेख में अधूरी अधूरी जानकारी मुझे प्राप्त होगी । इसलिए मैं यह लेख मैं आपको अपना संपूर्ण अनुभव इसमें शेयर करके आपका मदद करने का कोशिश कर रहा हूं ।
Introduction to Mushroom
मशरूम एक प्रकार के फफूंद (Fungus) ही होता है। मशरूम की कई प्रजातियां हैं जिसमें से कुछ जहरीली और कुछ खाने योग्य होते हैं। मशरूम कई प्रकार के होते हैं जिसमें से चार पांच प्रकार के मशरूम ही खाने के नाम से फेमस है । पहला ओयस्टर मशरूम, दूसरा पैड़ी स्ट्रॉ मशरूम, तीसरा बटन मशरूम, चौथा मिल्की मशरूम जिसका हमारे भारत में व्यवसायिक रूप से उत्पादन करते हैं । इसके अलावा अन्य कई मशरूम फेमस है जैसे ऋषि मशरूम, सीटाके mushroom, कॉर्डीसेप्स मशरूम, बांस फूटू, Termitarium mushroom इत्यादि।
जहरीली मशरूम सामान्यत: गहरे कलर वाले, चटकदार रंग वाले होते हैं। और खाने वाले मशरूम मुख्य रूप से सफेद रंग वाले होते हैं।
मशरूम का ग्राम क्लासिफिकेशन करें तो कई बेस हो सकता है जैसे- सीजन के आधार पर, उपयोग के आधार पर, उगाने के तरीकों पर इत्यादि ।
उपरोक्त में बताए गए मुख्य रूप से खाने में उपयोग किए जाने वाले मशरूम जैसे आयस्टर मशरूम इसका भी तीन-चार प्रकार होता है जैसे पिंक आयस्टर, वाइट आयस्टर, सजल काजू आयस्टर मशरूम इत्यादि।
जैसे कि हमारे भारत में मुख्य रूप से 3 सीजन होते हैं- ठंड, गर्मी और बरसात। आयस्टर मशरूम एक ऐसा मशरूम है जिसे साल भर बहुत ही कम रखरखाव में उत्पादन कर सकते हैं।
Oyester Mushroom– यह मशरूम हमेशा गुच्छे में खिलता है। इसका वजन प्रती गुच्छा 100 ग्राम से 700 ग्राम तक मिलते हैं। इसकी खेती वर्षभर सामान्य वातावरण में किया जा सकता है। इसके अच्छे पैदावार के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान तथा 70 परसेंट से ऊपर ह्यूमिडिटी चाहिए होता है । इसका फसल 21 से 25 दिनों में निकलना चालू हो जाता है।
इसकी खेती पैरा का कटिया, या गेहूं का पुवाल को रात भर फॉर्मलीन, बविष्टिन पाउडर, चुना के साथ मिलाकर भीगने के लिए छोड़ देते हैं फिर उसे सुबह मशरूम स्पान के साथ पॉलीथिन बैग में भरते हैं। हमारे छत्तीसगढ़ में इसके विक्रय के लिए अच्छे से बाजार उपलब्ध नहीं है इसलिए इसकी खेती तो आसानी से किया जा सकता है लेकिन यहां उसका विक्रय बहुत ही मुश्किल से होता है। प्रति बैग आधा किलो से तीन पाव तक उत्पादन मिलता है
Milky Mushroom-यह मशरूम एक या दों की संख्या में खिलता है। इसका वजन 50 ग्राम से 200 ग्राम तक मिलता है । इस मशरूम को गर्मी के मौसम के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसको 40-45 डिग्री तापमान तक में भी आसानी से उगाया जा सकता है जबकि अन्य मशरूमों को इतना ज्यादा तापमान में उगाने में परेशानी होती है। इसको 70 परसेंट से कम रिलेटिव ह्यूमिडिटी मैं भी उगाया जा सकता है ।
इसका फसल भी 25 से 30 दिनों में निकलना शुरू हो जाता है। यह खाने में स्वादिष्ट होता है। इसको उगाने के लिए हॉस्टल वॉशरूम जैसे ही बैग तैयार किया जाता है और जब उसने माइसीलियम रन अच्छे से हो जाता है तब ऊपरी भाग में केसिंग किया जाता है उसमें से मशरूम निकलता है ।
Paddy Straw Mushroom-यह मशरूम सबसे स्वादिष्ट मशरूम है। इसका स्वाद सबसे अच्छा और यूनिक होता है। गांव में सबसे ज्यादा इस मशरूम को पसंद किया जाता है क्योंकि या धान के पैरा जहां रखे रहते हैं वहां नेचुरल ही बरसात के दिनों में उगता है। इसका उत्पादन के लिए हाई टेंपरेचर (25% से अधिक) के साथ हाई (ह्यूमिडिटी 80 % से अधिक) चाहिए होता है ।
इसको उगाने के लिए पैरा का बंडल बनाया जाता है और उस बंडल को आयस्टर मशरूम जैसे ही चुना फॉर्मलीन बविस्टीन पाउडर के साथ 24 घंटे तक पानी के साथ डूबा कर रखते हैं। फिर उसे निकालकर 70 प्रतिशत नवमी अवस्था में बंडल को आड़ा तिरछा रखकर दाल पाउडर का उपयोग करते हुए spawning किया जाता है। इसका फसल 10 से 12 दिनों में निकल जाता है और यह 2-3 तुड़ाई के बाद निकलना बंद हो जाता है। प्रति बंडल आधा किलो से 3 पाव तक उत्पादन मिलता है।
Button Mushroom– हमारे भारत में यह मशरूम सबसे ज्यादा खाया जाता है। इसके उत्पादन के लिए mycelium run के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान तथा जब पिनहेड निकलता है उस समय 10 से 12 डिग्री तापमान की आवश्यकता पड़ता है। इस मशरूम को तापमान से मुख्य रूप से मतलब होता है , ह्यूमिडिटी तापमान कम होने से ऑटोमेटिक इसके लायक हो जाता है। होटल रेस्टोरेंट पार्टी इत्यादि में इसी मशरूम का उपयोग किया जाता है। इसको इसीलिए एसी रूम की जरूरत पड़ता है।
इसका उत्पादन ठंड प्रदेशों में ठंड के दिनों में नेचुरल grow किया जा सकता है और अन्य सीजन या अन्य स्थानों में इसे एसी कमरों में ही उगाया जाता है। इसका एक मासूम 15 ग्राम से 40 ग्राम तक वजन की होता है।
Introduction to Mushroom Spawn
Mushroom Spawn को ही मशरूम का बीज भी कह देते हैं। जैसे कि मशरूम भी एक प्रकार का फफूंद (फंगस) है इसलिए इसका बीज बनाने के लिए इसके माइसीलियम को गेहूं के दाने या राई के दाने के साथ लेबोरेटरी में बढ़ाया जाता है, इसे ही मशरूम का बीज या मशरूम स्पॉन (mushroom spawn) कहते हैं।
लगभग सभी मशरूमों का Mushroom Spawn एक ही तरीके से तैयार किया जाता है। उगाने के तरीके भले ही अलग अलग हो सकता है।
मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बनाने का सिद्धांत (Principle of Mushroom Spawn)
कीटाणु रहित वातावरण में जिस मशरूम का मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बनाना है उसका शुद्ध कल्चर निकालना या बनाना उसके बाद उसे इसी किटाणु रहित वातावरण में गेहूं के दानों में ट्रांसफर करके उसे सही तापमान देकर संवर्धन करना। फिर उसका mushroom उगाने के लिए उपयोग करना।
मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बनाने के लिए आवश्यक सामग्री (लेबोरेटरी में)
सबसे पहले मैं आपको लैबोरेट्री के अंदर अच्छी क्वालिटी का मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बनाने के लिए आवश्यक सामग्रियों का लिस्ट बताता हूं और उसके बाद नीचे कुछ आवश्यक सामग्री हो वैसे किन-किन सामग्रियों को हम कम खर्चे मैं जुगाड़ तरीके से बना सकते हैं उसके बारे में बताऊंगा।
Equipements list
- लैमिनार एयर फ्लो (Laminar air flow)
- हॉट एयर ओवन ( Hot air oven)
- बीओडी इनक्यूबेटर (B.O.D. Incubatore)
- ऑटोक्लेव (Autoclave)
- स्पिरिट लैंप (Sprit lamp)
- इनॉक्यूलेशन निडील (Inoculation needle)
- चिमटी (Forcep)
- ब्लैड (Blade)
- कल्चर ट्यूब ( Culture tube)
- Measuring cylender
- Bottle साफ करने का ब्रश
- जाली तार – उबला गेहूं सुखाने के लिए 4 mm की जाली तार जिसे लकड़ी के फ्रेम में खिले ठोंक कर बनाना है।
- पेट्री डीश (Petri dish) इत्यादि।
Chemicals/materials required
- अगर अगर पाउडर ( Agar agar powder)
- डेक्सट्रोज पाउडर (Dextrose)
- आलू ( Fresh Potato)
- स्ट्रैप्टो मायसीन ( Streptomycine Injection)
- (बुझा चुना) कैल्शियम कार्बोनेट ( Calcium Corbonate)
- जिप्सम (कैलशियम सल्फेट) (Zipsum)
- पीपी बैग (PP Bag)
- स्प्रिट (Sprit lamp)
- कॉटन (Cotton) non absorptive type
- एल्युमिनियम फॉयल (Alluminium Foil)
- रबर बैंड (Rubber Band) इत्यादि।
उपरोक्त सभी सामग्रियों के अतिरिक्त छोटा मोटा और समान आवश्यकता पड़ता है जो उपयोग के लिए होता है जैसे की प्लास्टिक ट्रे , वेट मशीन इत्यादि।
मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बनाने के लिए आवश्यक सामग्री (जुगाड़ तरीका)
इस तरीके में हम क्या-क्या चीज जो ऊपर बताया गया है में से जुगाड़ में कैसे उपयोग कर सकते हैं के बारे में बता रहा हूँ । जो मैंने उपयोग किया था और mushroom spawn banane me सफल भी हुआ था।
Equipements list (जुगाड़)
- लैमिनार एयर फ्लो (laminar air flow) – इसका रेट एक लाख से ऊपर होता है इस कारण इसको खरीद पाना पैसे की कमी में मुश्किल होता है तो इसका हम प्लाई को काटकर हुड (Hood) बनाकर कर सकते हैं जिसमें सिर्फ 2 से 3000 खर्च आएगा।
- UV Light- क्योंकि लैमिनार एयर फ्लो में यूवी लाइट लगा होता है जो लैमिनार एयर फ्लो के अंदर जितना भी माइक्रो ऑर्गेनाइज्म होते हैं उसे मारने के लिए लगाया गया होता है। इसी के जुगाड़ के लिए मैंने जो hood बनाया है उसमें अमेजॉन से 12:13 सौ का यूवी लाइट ऑर्डर किया और उसने फिट कर दिया। जब भी मुझे इनॉक्यूलेशन या आइसोलेशन करना होता है तब 15 से 20 मिनट तक hood के अंदर यूवी लाइट चालू कर देता हूं। जिससे हुड के अंदर माइक्रो ऑर्गनीशम फ्री एनवायरनमेंट बन जाता है।
- हॉट एयर ओवन (hot air oven)– इसका नहीं भी उपयोग करने से कोई खास प्रॉब्लम नहीं होता। इसका मुख्य उपयोग ग्लास के जो सामग्रियां होती है उसको स्टरलाइजेशन करने के लिए करते हैं।
- बीओडी इनक्यूबेटर (BOD incubator)– इसका भी उपयोग करने की जरूरत नहीं होता। इसका प्रयोग लैब में कल्चर को सही तापमान और सही ऑक्सीजन का मात्रा उपलब्ध कराने के लिए करते हैं जोकि मशरूम में इतना इंपोर्टेंट नहीं है।
- ऑटोक्लेव (Autoclave)– ऑटोक्लेव सबसे प्रमुख मशीन है जिसके बिना मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बना पाना संभव नहीं है। इसका उपयोग सभी प्रकार का तरल या अन्य सामग्रियों का स्टेरलाइजेशन करने के लिए करते हैं जो कि बहुत ही ज्यादा महत्व पूर्ण है। इसका मूल्य छोटा वाला 20 लीटर का लगभग 20000 से स्टार्ट होता है, और जितना ज्यादा क्षमता वाले लेंगे उतना ही ज्यादा इसका मूल्य होता है जोकि बहुत महंगा पड़ता है।
- मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बनाने के लिए कम से कम 40 से 50 लीटर क्षमता वाले ऑटोक्लेव का आवश्यकता पड़ता है, इसको खरीदने में लगभग 40,000 से 50,000 लगेगा। तो इसके जुगाड़ के लिए हम प्रेशर कुकर 20 से 21 लीटर का उपयोग कर सकते हैं। और खाना बनाने का बड़ा वाला एल्युमीनियम का टब या कोलतार ड्रम का उपयोग गेहूं के दानों को स्टेरलाइज करने के लिए कर सकते हैं।
- कुकर का उपयोग पीडीए बनाने और उसका निर्जीविकरण (sterilization) करने के लिए कर सकते हैं। क्योंकि कुकर में ज्यादा मात्रा में हम गेहूं के दानों का स्टेरलाइजेशन नहीं कर सकते। 20- 21 लिटर कुकर में अधिकतम हम 5 से 6 केजी तक का गेहूं का बैग भरकर स्टरलाइजेशन कर सकते हैं इससे ज्यादा नहीं आता।
- स्पिरिट लैंप (Sprit lamp)– इसको खरीदना ही पड़ेगा, 30 से ₹40 में मिल जाता है।
- इनॉक्यूलेशन निडील (inoculation needle) – इसका मूल्य डेढ़ सौ से 200 होता है, आप चाहे तो साइकिल का स्पोक को घिस और पीटकर उपयोग कर सकते हैं।
- चिमटी (forceps) – इस लेना ही पड़ेगा।
- ब्लैड (Blade)– इसे लेना पड़ेगा।
- Measuring cylender – इसे लेना पड़ेगा ।
- Bottle साफ करने का ब्रश – इसे भी लेना पड़ेगा ।
- जाली तार – उबला गेहूं सुखाने के लिए 4 mm की जाली तार जिसे लकड़ी के फ्रेम में खिले ठोंक कर बनाना है।
- कल्चर ट्यूब (culture tube)– इसमें मशरूम का कल्चर उगाया जाता है। इसके जगह हम शराब का बोतल का उपयोग कर सकते हैं जो की बहुत ही आसानी से और दो-तीन रुपए मिल जाता है।
- पेट्री डीश (Petri dish)– इसका रेट भी बहुत ज्यादा होता है और यह बहुत ही महत्वपूर्ण भी है। इसका मात्र एक नग ही लेना है। इसका काम पीडीए को रखना और उसमें मशरूम ग्रो करना होता है लेकिन हम इसका उपयोग प्योर कल्चर बनाते समय जुगाड़ में मशरूम के तने या मशरूम को रखने के लिए करेंगे।
Chemicals/materials required (जुगाड़)
- अगर अगर पाउडर (agar agar)– यह बहुत ही महत्वपूर्ण है इसे लेना ही पड़ेगा।
- डेक्सट्रोज पाउडर (dextrose)– यह भी बहुत महत्वपूर्ण है से लेना ही पड़ेगा।
- आलू (potato)– यह भी लेना पड़ेगा।
- स्ट्रैप्टो मायसीन (streptomycine) – यह मेडिकल स्टोर में ₹9 – ₹10 का 1 सीसी मिल जाता है।
- (बुझा चुना) कैल्शियम कार्बोनेट (calcium corbonate)– इसको लेबोरेटरी ग्रेड कल लेने की जगह हम सामान्य चुना जो हार्डवेयर की दुकान में मिलता है उसे भी बुझाकर उपयोग कर सकते हैं। जोकि 8 से ₹10 रुपए पड़ता है। और अगर लेबोरेटरी ग्रेट कर लोगे तो 300 – 400 रुपए केजी पड़ेगा जिसका जरूरत नहीं है। इसका काम गेहूं का पीएच को मेंटेन करने के लिए होता है।
- जिप्सम (कैलशियम सल्फेट) calcium sulphate– यह बहुत ही महत्वपूर्ण है इसको खरीदना ही पड़ेगा। इसका प्रमुख काम गेहूं के दानों को आपस में चिपकने से रुकना होता है जिससे मशरूम का माइसीलियम सभी तरफ समान रूप से फैलते हैं।
- पीपी बैग (PP bag)– मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बनाने के लिए पीपी बैग इसे पॉली प्रोपाइल बैग भी कहते हैं का प्रयोग करते हैं। इस खासियत या होता है कि यह गर्मी में चिपकता नहीं है। मतलब जब आप गेहूं को दोनों को इस पॉलिथीन में भरकर स्टेबलाइजर करेंगे तो यह आपस में नहीं चिपकेगा। इसके जगह अगर हम दूसरा पॉलीथिन उपयोग करेंगे तो वह गर्म होकर पिघल जाता है अतः इस पॉलिथीन को भी लेना पड़ेगा।
- स्प्रिट (sprit)– इसे भी लेना पड़ेगा
- कॉटन (Cotton)- आमतौर पर Non Absorb type कॉटन का उपयोग करते हैं। जो पानी को सोख्ता नहीं है। इसके जगह सामान्य कॉटन जो रूई दुकान में मिलता है उसका भी उपयोग किया जा सकता है इससे कोई प्रॉब्लम नहीं होता।
- एल्युमिनियम फॉयल (Alluminium foil)– इसका उपयोग बैग मे कॉटन लगाते हैं तो उसके ऊपर कीटाणु मत जाए या नमी मत जाए करके लगाने के लिए किया जाता है, इसके जगह हम पीपी बैग को कैंची से काट कर वहां लगाने के लिए उपयोग कर सकते हैं जोकि एलुमिनियम फॉइल से भी अच्छा होता है।
- रबर बैंड (Rubber Band) इत्यादि।
ऊपरोक्त सामान कहाँ से प्राप्त करें ?
मशरूम स्पान (Mushroom Spawn) बनाने के लिए जरूरी आवश्यक सामान हम कैसे प्राप्त कर सकते हैं या जुगाड़ विधि से बना सकते हैं के बारे में नीचे बताया गया है
Equipment list
- Hood – लैमिनार एयर फ्लो (Laminar air flow) के जुगाड़ के लिए मैंने HOOD बनाया था। जिसे मैंने कारपेंटर के दुकान से एक प्लाई बोर्ड लिया और कांच की दुकान से / जहां फोटो फ्रेम किया जाता है वहां से मैंने 1 1/2-2 फुट का कांच लिया और उसे कारपेंटर के पास ₹400 में हुड बनवाया। इसी होड़ में मैं इनॉक्यूलेशन आइसोलेशन का कार्य करता हूं।
- UV Light- इसे मैंने अमेजॉन से 1200 ऑर्डर किया था।
- Pressore Cooker- इसे बर्तन दुकान से ले सकते हैं।
- स्पिरिट लैंप (Sprit lamp)- इसे केमिकल की दुकान से लेना चाहिए। अपने आसपास के केमिकल दुकान की जानकारी के लिए गूगल मैप में केमिकल शॉप नियर मी करके सर्च करने से आ जाता है।
- Cycle का Spoke – कोई भी साइकिल स्टोर्स।
- चिमटी (Forcep)- जनरल स्टोर से मिल जाता है।
- ब्लैड (Blade)- यह भी किराना एवं जनरल स्टोर से मिल जाता है।
- शराब का बोतल – कबाड़ी की दुकान से मिलता है।
- पेट्री डीश (Petri dish)- इसे केमिकल की दुकान से लेना चाहिए। अपने आसपास के केमिकल दुकान की जानकारी के लिए गूगल मैप में केमिकल शॉप नियर मी करके सर्च करने से आ जाता है।
- जाली तार – जाली हार्डवेयर की दुकान से मिलेगा
- Measuring cylender – इसे केमिकल के दुकान से लेना है ।
- Bottle साफ करने का ब्रश – जनरल स्टोर से ।
Chemicals/materials required
- अगर अगर पाउडर ( Agar agar powder)- Chemical के दुकान से ।
- डेक्सट्रोज पाउडर (Dextrose)- Chemical के दुकान से ।
- आलू ( Fresh Potato)- सब्जी बाजार से ।
- स्ट्रैप्टो मायसीन ( Streptomycine Injection)-कोई भी medical स्टोर में मिल जाता है।
- (बुझा चुना) कैल्शियम कार्बोनेट ( Calcium Corbonate)- हार्डवेयर की दुकान से।
- जिप्सम (कैलशियम सल्फेट) (Zipsum)- Chemical के दुकान से । एवं अमेजॉन से ऑर्डर करना ज्यादा अच्छा होगा।
- पीपी बैग (PP Bag)- प्लास्टिक मिलने वाली होलसेल दुकान से लेना चाहिए।
- स्प्रिट (Sprit)- Chemical के दुकान से ।
- सामान्य कॉटन (Cotton)- गद्दे वाले की दुकान से।
- एल्युमिनियम फॉयल (Alluminium Foil)- जनरल स्टोर से।
- रबर बैंड (Rubber Band) – कोई भी स्टेशनरी से।
- उपरोक्त अनुसार मैंने क्या-क्या सामग्रियां लगेगा और उसे कैसे जुगाड़ से बना सकते हैं के बारे में बताया है। अगर आप जुगाड़ से बनाना चाहते हैं तो अच्छा है और अगर रियल का लैब बनाना चाहते हैं तो उसका भी लिस्ट ऊपर दे दिया गया है। अब मैं आपको प्योर कल्चर और spawn बनाने की विधि के बारे में नीचे बताऊंगा। जो भी हम बनाएंगे उसमें हाइजीनिक का बहुत ज्यादा ध्यान रखना होता है।
- बाहर का थोड़ा भी कीटाणु हाथ से, हवा से, पानी से कहीं से भी अगर इंफेक्शन हुआ तो पूरा कल्चर खराब कर देता है। इसलिए एकदम साफ सुथरा चीजों का इस्तेमाल करना है और सभी सामग्रियों को पॉलिथीन को छोड़कर स्प्रिट से वाइफ करके ही यूज करना है। और पॉलिथीन को हाइजेनिक करने के लिए कुकर में तीन सिटी तक स्टेरलाइज करना है फिर उसे उपयोग करना है।
Photos of the Above Requirements
PDA बनाने की विधि
इसका पूरा नाम पोटैटो डेक्सट्रोज अगर मीडिया है। इसी में हम मशरूम का प्योर कल्चर तैयार करते हैं। इसको बनाने के लिए हमें तीन चीजों की आवश्यकता पड़ता है पहला आलू (पोटैटो) 250 ग्राम, डेक्सट्रोज 20 ग्राम और अगर अगर 20 ग्राम। इन तीनों को 1 लीटर पानी में तैयार करते हैं।
- 250 ग्राम आलू को सर्वप्रथम छीलकर छोटा छोटा टुकड़ा में काट लेते हैं। जो 200 ग्राम आलू छीलकर बचता है।
- फिर वेट मशीन से 20 ग्राम डेक्सट्रोज और 20 ग्राम अगर अगर कॉल कर अलग-अलग कागज में रख लेते हैं।
- फिर 1 लीटर पानी लेते हैं और उसे स्टील की केटली में डाल देते हैं और उसे गर्म करते हैं।
- जब हल्का गर्म हो जाता है तब उसमें सिले हुए आलू को डाल देते हैं और उसे तब तक पकाते हैं जब तक पूर्ण रूप से न पाक जाए।
- आलू सही पका है कि नहीं जानने के लिए आलू को छू कर देखते हैं अगर वह टूटकर भुरभुरा/बिखर जाता है तब हमारे आलोक पक गया है या मान लेते हैं। आलू को पानी में उबाल ने का मतलब उसका स्टार्ट को निकालना होता है जोकि फफूंद का मुख्य भोजन होता है।
- इसके बाद छलनी से आलू को छानकर उस का रस अलग कर लेते हैं। और आलू को फेंक देते हैं।
- निकाले गए रस में सबसे पहले डेक्सट्रोज की पूरी मात्रा मिला देते हैं और मिक्स कर देते हैं ।
- फ्री से गैस बर्नर में चढ़ा देते हैं और धीरे ताप में पकाते हैं। इसके बाद इसमें अगर अगर पाउडर थोड़ा-थोड़ा करके मिलाते जाते हैं और चम्मच से हिलाते आते जाते हैं।
- एक साथ अगर अगर को डालने से पूर्ण रूप से खुलता नहीं है और दानेदार हो जाता है। इसलिए इसे धीरे-धीरे ही डालकर मिलाना चाहिए।
- जब अगर अगर पूर्ण रूप से घुल जाए फिर उसे गैस से नीचे उतार लेते हैं।
- फिर उसमें थोड़ी मात्रा में streptomycine का पाउडर अच्छी तरह मिला लेते हैं। इसको मिलाने का उद्देश्य हमारे कल्चर में जीवाणुओं को बढ़ने ना देना होता है जो कि कल्चर को खराब कर देता है। यह एक प्रकार का एंटीबायोटिक सा होता है।
- फिर उसे उबालने के बाद कितना मात्रा में पानी बचा है यह जानने के लिए तैयार घोल को मेजरिंग सिलेंडर में डाल कर देखते हैं। और अगर 1 लीटर से कम रहता है तो उसमें पुनः साफ पानी मिलाकर 1 लीटर कर दिया जाता है।
- इस दौरान एक बात की ध्यान रखना चाहिए कि यह तैयार कल्चर ठंडा ना होने पाए, ठंडा होने पर यह जम जाता है।
- तैयार कल्चर को अब 3 से 4 सेंटीमीटर तक सर आपकी जो शीशियां लिए हैं उसमें भरते जाते हैं।
- भरने के बाद शीशियों में अच्छी तरह काटन प्लग लगा देते हैं। फिर उसमें कॉटन प्लग के ऊपर पीपी बैग को काटकर छोटा छोटा पॉलिथीन को लगा देते हैं और उसमें रबर बैंड लगा देते हैं जिससे कल्चर को हिस्ट्री रिलाइजेशन करते समय उसमें पानी ना जाने पाए और काटन न भीगे। कॉटन भीगने से उसमें बाहरी फफूंद ओ का अटैक बढ़ जाता है।
- अब तैयार शीशियों को कुकर के अंदर रखने के लिए कुकर में 2 से 3 इंच तक पानी भर देते हैं और उसमें लकड़ी का टुकड़ा डाल देते हैं जिसमें हमें अपने तैयार शीशियों को रखकर स्टरलाइजेशन करना है।
- फिर इन शीशियों कुकर में भरकर तीन सिटी पढ़ने के बाद 20 मिनट तक रखते हैं फिर से निकाल लेते हैं।
- निकालने के बाद अब हमें इसका slant बनाना होता है। slant का मतलब सीसीओं को टेढ़ा करके रखना जिससे पीडीए शीशियों के अंदर ज्यादा सरफेस में खेल सके। इसके लिए हमें एक लंबी लकड़ी लेना चाहिए और उसमें प्रेशर कुकर से निकलते ही शीशियों को टीका करके रख देना चाहिए। जिससे ठंडा होते ही वह slant बन जाता है।
- अब हमारी यह कल्चर प्योर कल्चर बनाने के लिए तैयार है। अभी से साफ सुथरी जगहों में ढँक कर रख देना चाहिए। जिससे उसमें डस्ट ना जाने पाए।
प्यूर कल्चर बनाने की विधि (Pure Culture Making Method for mushroom spawn)
प्योर कल्चर का मतलब ऐसा कल्चर (PDA culture) जिसमें सिर्फ कोई एक ही विशेष सूक्ष्म जीव को grow किया गया हो, जैसे पीडीए मीडिया में सिर्फ मशरूम को उगाया गया होता है। इसे प्योर कल्चर कहते हैं। इसी से mushroom spawn बनाते हैं।
इसको 2 तरीके से किया जाता है –
- Mushroom Spore Method– इस विधि में मशरूम का spore को पीडीए मीडिया में ग्रो किया जाता है। इसको प्राप्त करने के लिए किसी भी मशरूम के gills या head को किसी मोटी हाइजीनिक प्लास्टिक शीट में उल्टा कर रात भर के लिए रख देते हैं और जब सुबह मशरूम को हटाकर देखते हैं तो प्लास्टिक शीट में spore print बना हुआ मिलता है यह spore print ही मशरूम का spore होता है। इसे ही प्योर कल्चर के लिए पीडीए मीडिया में ट्रांसफर कर mushroom spawn के लिए pure mushroom culture बनाया जाता है ।
- Tissue Culture Method- इस विधि में जिस मशरूम का प्योर कल्चर बनाना होता है उसके stalk या stem को लेते हैं और उसके बीच का टिशू को काटकर पीडीए मीडिया में ट्रांसफर कर दिया जाता है जहां से मशरूम का माइसीलियम निकलकर पूरे मीडिया में फैल जाता है। काटकर लिए जा रहे टिशू का साइज 2 सेंटीमीटर X 1 सेंटीमीटर होना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए की टिशू सिर्फ मशरूम के डंठल से ही ले ना कि उसके gills से । इसका कारण यह है कि गिल्स में contamination के चांसेस ज्यादा होता है जो कि कल्चर को खराब कर सकता है।
इस प्रकार हम चाहे तो टिशू कल्चर से या spore से प्योर कल्चर तैयार कर सकते हैं। यह लगभग एक हफ्ते में mother spawn बनाने के लिए तैयार हो जाता है।
मशरूम मदर स्पॉन ( Mushroom Mother Spawn) बनाने की विधि
- Mother Spawn का मतलब पहली पीढ़ी जिसे प्योर कल्चर से गेहूं के दानों में शीशियों में तैयार किया जाता है। इससे फिर आगे कल्चर spawn बनाया जाता है। यह culture spawn से ज्यादा उच्च quality का होता है । तैयार प्योर कल्चर से Mother Spawn बनाने के लिए सर्वप्रथम हमें 1 लीटर वाली बॉटल लेना होता है और बिना टूटे दानों वाले गेहूं लेना होता है।
- गेहूं को पानी में तब तक पकाते हैं जब तक वह पक न जाए । गेहूं को तब तक पकाना होता है जब तक वह फटे ना और पूर्ण रूप से हाथ से दबाने पर उसके दाने दब जाए। पके हुए दानों को फिर छानकर निकाल लेते हैं और उसे जाली तार में फैलाकर सुख आते हैं या साफ-सुथरे फ्लोर में भी दो परसेंट फॉर्मलीन के घोल में साफ करके सुखाए जा सकता है। इसे तब तक सुखाना होता है जब तक इसके पानी पूरी तरीके से निथर जाए । थक जाए और गेहूं का बाहरी भाग सुखा हुआ दिखाई दे। लगभग 2 घंटे सुखाने से ऐसी स्थिति आ जाता है।
- सूखने के बाद इसे एक साफ-सुथरे बर्तन में बर्तन को फॉर्मलीन दो परसेंट के घोल से पोंछकर रख देते हैं। फिर उसमें 20 ग्राम प्रति किलो गेहूं के दर से बुझा हुआ चुना पाउडर और 20 ग्राम जिप्सम अच्छी तरह मिलाते हैं। जिससे पूरा दाना सफेद सफेद दिखने लगता है। और उसके बाद इसमें 1 सीसी एंटीबायोटिक स्ट्रैप्टो मायसीन (2 gm) को 5kg गेहूं के दाने के दर से अच्छी जगह मिला देना चाहिए।
- अब इस गेहूं के दाने को 1 लिटर वाला शीशियों में 250-300 ग्राम /शीशियों के हिसाब से भाग लेना चाहिए। भरने के बाद उसमें रुई लगाकर ऊपर से कॉटन में पीपी बैग को काटकर रबड़ बैंड के साथ लगा देना चाहिए।
- अब से कुकर में या सिल्वर के बड़े वाले टब sterilize करने के लिए रख देते हैं और ऊपर से ढक्कन बंद कर देते हैं। कुकर में तीन सिटी के बाद 20 मिनट तक रखना होता है उसके बाद निकाल देते हैं और अगर टब का उपयोग कर रहे हैं तो इसे पानी से दूर निकलने के बाद लगभग 2 घंटे 3 घंटे तक भाप में रखते हैं तब जाकर गेहूं के दानों का sterilization पूर्ण हो पाता है।
- उसके बाद गेहूं के दाने से भरे शीशियों को निकालकर फर्श में 24 घंटे के लिए छोड़ देते हैं जिससे वह पूर्णत: ठंडा हो जाता है।
- अब यह शीशियों में गेहूं के दाने आपस में चिपक गए होते हैं जिसे अलग अलग करना होता है इसके लिए अब इस शीशियों को हाथ से अच्छी तरह हिलाकर ढेलों को तोड़ लिया जाता है। ऐसा करना इसलिए जरूरी है ताकि मशरूम का माइसीलियम पूरी शीशियों में एकसामान फैल सके। और अगर हम चिपके हुए गेहूं के दानों को अलग नहीं करेंगे तो मशरूम का माइसीलियम अच्छी तरह गेहूं में नहीं फैल पाता है और अच्छा mushroom spawn नहीं बन पाता है।
- अब इस शीशियों को और जरूरी सामग्री जैसे स्पिरिट लैंप, स्प्रिट, माचिस, काटन और इनॉक्यूलेशन needle को hood के अंदर रखकर यूवी लाइट 15 से 20 मिनट के लिए चला देते हैं जिससे सभी सामग्रियां और hood स्टेरलाइज हो जाता है।
- अभी स्पीड लैंप जलाकर उसी के सामने, इसमें प्योर कल्चर ले जाकर थोड़ा-थोड़ा कल्चर गेहूं के शीशियों में डालकर बंद करतें जाते हैं। गेहूं के थैलियों को कॉटन से अच्छी तरह बंद करके साइड में रखते जाते हैं। इसी तरह सभी सीसीओं में प्योर कल्चर डालकर बंद कर दिया जाता है।
- अब यह लगभग 15 दिनों में पूरी शीशियों सफेद हो जाते हैं। इस तरह मदर mushroom spawn तैयार हो जाता है। अब यह मदर spawn कल्चर spawn बनाने के लिए तैयार है।
मशरूम कल्चर स्पॉन/ व्यावसायिक स्पॉन बनाने की विधि (Commercial Spawn/ Culture Spawn)
- व्यवसायिक spawn या Culture spawn उस इस spawn को बोलते हैं जिससे मशरूम का उत्पादन किया जाता है। इसको भी मदर culture जैसे ही तैयार किया जाता है।
- व्यवसायिक spawn या Culture spawn बनाने के लिए गेहूं को सीसीओं के जगह पॉलिथीन में भरते हैं और उसमें प्योर कल्चर की जगह मदर कल्चर/ मदर स्पॉन लगभग एक एक चम्मच मिलाते जाते हैं और बंद कर देते हैं। यह mushroom spawn भी लगभग 15 से 20 दिनों में तैयार हो जाता है।
विशेष
ओयस्टर मशरूम, मिल्की मशरूम और बटन मशरूम इन तीनों मशरूम का व्यवसायिक mushroom spawn पॉलिथीन में तैयार कर सकते हैं लेकिन पैड़ी स्ट्रॉ मशरूम का व्यवसायिक mushroom spawn पॉलिथीन में अच्छे से सक्सेज नहीं है इसलिए इसको बियर का बोतल या सीसीओं में तैयार करना चाहिए। पैड़ी स्ट्रॉ मशरूम का स्पॉन (mushroom spawn) सीसीओं में ज्यादा सक्सेस है। अन्य मशरूम के जगह पैड़ी स्ट्रॉ मशरूम स्पॉन (mushroom spawn) बहुत ही जल्दी तैयार हो जाता है लगभग 1 हफ्ते (7-10 दिन ) में ही। जबकि अन्य मशरूम का स्पॉन (mushroom spawn) लगभग 15 से 20 दिन लगाता है।mushroom bij
सावधानियाँ
- कभी भी किसी भी प्रकार का बैग में या कल्चर में contamination देखें तो उसे तुरंत फेंक देना चाहिए।
- कोई भी सामग्री उपयोग करने से पहले sterilize स्प्रिट या अल्कोहल (70% वाला ) से जरूर करे।
- Spawn को ज्यादा गर्म जगह पर नहीं रखना चाहिए। जिस रूम में spawn को रखते हैं वहां का तापमान 25 से 30 के बीच में ही होना चाहिए।
- बुझा हुआ चुना अच्छी क्वालिटी का होना चाहिए। खराब क्वालिटी का उपयोग करने से mushroom spawn में contamination आने का बहुत चांस रहता है।
- गेहूं को भरने के लिए डबल पॉलीथिन का उपयोग करना चाहिए। सिंगल पॉलीथिन उपयोग करने से फटने का डर रहता है । जिससे contamination होने का खतरा रहता है।