मछली पालन के लिए योजना -प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना @2024
परिचय: देश के सभी राज्यों में मछली खाई जाती है। मछली प्राकृतिक रूप से नदी,तलाब, नहर, बांध इत्यादि में पाया जाता है, जिसे पकड़ कर लॉग बड़े शौक से लोग खाते हैं। चूंकि आज के समय में मछली का मांग बहुत बहुत बढ़ गई है, इसलिए अब इसकी पूर्ति प्राकृतिक रूप से नहीं की जा सकती, इसलिए अब मछली पालन एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में सामने आ रहा है।
कृत्रिम रूप से अच्छी गुणवत्ता वाली बड़ी मछली पालन के लिए कई संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है, ताकि कम से ज्यादा से ज्यादा ग्रोथ हो सके। जैसे- मछली का बीज, मछली का पूरक आहार, केज, हैचरी इत्यादि।
यह सभी आधुनिक संसाधन है, इसलिए इसका कीमत भी ज्यादा होता है, इसलिए मछली पालन के इच्छुक किसान को वृहद मात्रा में मछली पालन के लिए शासन से कोई सहायता की जरूरत पड़ती है। ताकि छोटे से छोटे किसान भी सफलता पूर्वक मछली पालन कर सके।
इसी आवश्यकता को पूरा करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा मछली पालन के लिए योजना –प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojna) चालू किया गया है। इस लेख में हम आपको मछली पालन के लिए योजना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे, जिसे पढ़ कर आप भी इस योजना के बारे में जान पाएंगे और लाभ उठा पाएंगे ।
मछली पालन के लिए योजना –प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojna) अंतर्गत छूट की कुल राशि में से 60 % राशि केंद्र सरकार द्वारा और 40 % राशि राज्य सरकार दिया जाता है। यह योजना हमारे देश के सभी राज्यों के किसानों के लिए है, मतलब सभी राज्यों में संचालित है।
मछली पालन के लिए योजना -प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत मिलने वाले लाभ –
इस योजना का लाभ लेने के लिए आपको सर्वप्रथम आपके जिले या विकासखण्ड के मछली विभाग में संपर्क करना चाहिए। वहाँ उनके पास उपलब्ध टारगेट के अनुसार आपसे फॉर्म भराया जाएगा, जिसे पास होने के लिए कुछ समय लगेगा। उसके बाद जब आपका आवेदन स्वीकृत हो जाएगा फिर आपको कार्य स्टार्ट करना है।
कार्य स्टिमेट के अनुसार सहीं कार्य कराने पर आपको अनुदान की राशि विभाग द्वारा चेक या DBT के मध्यम से प्रदान कर दि जाती है। इस योजना अंतर्गत कई लाभ दिया जाता है, जिसमें से आप क्या लाभ लेना चाहते हैं, उसको चयन करना पड़ता है। इस योजना अंतर्गत मिलने वाले विभिन्न लाभ नीचे बताया गया है।
1. मीठे जल में नए फिन फिश हैचरी स्थापना हेतु मिलने वाले लाभ –
मछली पालन के लिए सबसे जरूरी मछली का बीज है, इसे मादा मछली से निकालकर हैचारी में रखा जाता है, हैचारी में मछली के अंडे को सेया जाता है। जिसमें से मछली का बच्चा निकलता है, जिसे अलग-अलग आकार में बेचा जाता है। मीठे पानी मतलब समुद्र के अलावा अन्य सभी जल। हैचारी बनाने में कई आधुनिक सामग्री/मशीन की आवश्यकता पड़ती है।
इसलिए नवीन फिन फिश हैचारी बनाने में लागत लगभग 25 लाख रुपये तक आ जाता है। सामान्य वर्ग के किसानों को इसके लिए 10 लाख तक का अनुदान मिलता है वहीं, महिला/एससी/एसटी किसानों को 15 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।
Example of फिन फिश मछली – कुछ वर्ग के मछली को फिन फिश कहते है जैसे -Baitfish, Catfish, Striped bass, Tilapia, Trout, Walleyes, Largemouth bass, Koi/carp, Shiners, Bluegills, and Sunfish । मतलब ये सभी मछली पालन के लिए आप हैचारी बना सकतें हैं।
2. नर्सरी या बीज पालन या मछली पालन के लिए तलाब बनाने के लिए मिलने वाला अनुदान
मछली पालन करने या मछली बीज पालन के लिए तालाब निर्माण के लिए भी शासन अनुदान देती है। इसके लिए 7 लाख रुपये प्रति 2.5 एकड़ तालाब के लिए व्यवस्था/ लागत/ स्टिमेट रहता है। सामान्य वर्ग के किसानों को 2.80 लाख रुपये का अनुदान मिलता है, वहीं महिला किसान/ एसटी/एससी के किसानों को 4.20 लाख रुपये का अनुदान मिलता है। इसके लिए कम से कम 2.5 एकड़ में नवीन तालाब निर्माण कराना होता है।
3. संतुलित और परिपूरक आहार निर्माण
मच्छलि पालन करने वाले किसानों को मछली के लिए संतुलित एवं पूरक आहार निर्माण करने के यूनिट डालने के लिए भी अनुदान दिया जाता है। इसमें लगभग 4 लाख रुपये प्रति इकाई लागत आती है। शासन द्वारा सामान्य वर्ग के किसानों को 1.60 लाख रुपये का अनुदान मिलता है, वहीं महिला किसान/ एसटी/एससी के किसानों को 2.40 लाख रुपये का अनुदान मिलता है।
4. बैक्यार्ड सजावटी मछली पालन के लिए मिलने वाला अनुदान
सजावटी मछली मतलब घर में डेकरैशन के लिए रंग बिरंगे मछली को Aquarium (कांच का घर) में पालन करना। शहरों में इसका बहुत डिमांड होता है। इसके लिए प्रति इकाई लागत 3 लाख आता है। जिसमें शासन द्वारा सामान्य वर्ग के मछली पालक किसानों को 1.20 लाख और महिला/एसटी/एसटी किसानों को 1.80 लाख अनुदान देने का प्रावधान है।
5. मध्यम सजावटी मछली पालन इकाई स्थापना
इस योजना के तहत कृषकों को 8 लाख रुपये की लागत आती है। जिसमे से सामान्य वर्ग वाले कृषकों को 3.20 लाख एवं एससी /एसटी कृषक तथा महिलाओ को 4.80 लाख रुपए का अनुदान का प्रावधान रखा गया है ।
6. एकीकृत सजावटी मछली पालन इकाई स्थापना
सजावटी मछली पालन/प्रजनन के लिए ताजा जल यानि शुद्ध पानी की आवश्यकता पड़ती है जिसके प्रबंध के लिए मत्स्य कृषकों को 25.00 लाख रुपये का लागत आता है ,जिसके अंतर्गत सामान्य वर्ग को 10.00 लाख तथा एससी /एसटी तथा महिलाओ को 15.00 लाख रुपए का अनुदान रखा गया है।
7. बड़े बायो फ्लाक विधि से (टंकी में) मछली पालन पर अनुदान या वृहद RSS
इस योजना अंतर्गत गोल टंकी में मछली पालन किया जाता है, जिसका आकार 4 मीटर व्यास, 1.5 मीटर ऊंचाई का होता है। इस योजना अन्त अंतर्गत लाभ लेने के लिए ऐसा कम से कम 50 बायो फ्लाक टंकियों की आवश्यकता होती है। ऐसा 1 यूनिट बनाने में लगभग 50 लाख रुपये का लागत आता है, जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 20 लाख रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 30 लाख रुपये का भारी अनुदान दिया जाता है।
इस अनुदान को सिर्फ बायो फ्लाक से मछली पालन के लिए ही नहीं बल्कि 90 घन मीटर के 8 टंकियों में मछली पालन करने पर भी दिया जाता है, जिसका प्रति टंकी क्षमता 400 क्विंटल मछली होना चाहिए।
बायो फ्लाक विधि से मछली पालन क्या होता है? जानिए
8. छोटे बायो फ्लाक विधि से (टंकी में) मछली पालन पर अनुदान या छोटे RSS
100 वर्ग मीटर का 1 टैंक या बायो फ्लाक कल्चर सिस्टम से 4 मीटर व्यास का 1.5 मीटर ऊंचाई का 7 टैंक के साथ मछली पालन करने पर लगभग 7.5 लाख रुपये का खर्च आता है, जिसमें से अनुदान के रूप में सामान्य वर्ग के किसानों को 3 लाख रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 4.5 लाख रुपये का भारी अनुदान देने का प्रावधान है।
9. मछली पालन के लिए केज लगाने पर मिलने वाला अनुदान
मछली पालन के लिए कुछ बड़े जलाशयों जैसे – नहर, नदी, बड़े तलाब, झील इत्यादि में केज विधि से मछली पालन किया जाता है। केज मतलब पिंजरे में मछली पालन । खास तौर से अंगुलिका मछली या अंगुलिका से खाने योग्य मछली का पालन इसमें किया जाता है। केज, जो की चारों तरफ से बंद होता है, ऐसे कई केज एक दूसरे से जोड़ का जलाशयों में उतार दिया जाता है। केज की स्थापना में लगभग 3 लाख का खर्च आता है, जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 1.20 लाख रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 1.80 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।
10. दस टन क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) बनाने पर मिलने वाला अनुदान
शिकार करने के बाद मछली को तुरंत बाजार में नहीं बेच पाने पर मछली का खराब होने का डर बना रहता है। इसलिए मछली को कुछ दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए मछली पालक किसानों को 10 टन क्षमता के शीत संयंत्र मतलब कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) बनाने में के लिए शासन अनुदान देती है। 10 टन के कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) बनाने में कुल लागत 40 लाख रुपये लग जाता है। जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 16 लाख रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 24 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।
11. मछली प्रशीतक वाहन के लिए अनुदान
मछली पालन के लिए योजना -प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत 4 व्हीलर गाड़ी में Refrigerator फिट कर दिया जाता है, जिसे आप चलता फिरता कोल्ड स्टॉरिज भी कह सकतें हैं, जिसमें आप मछली को रख कर दूर तक पहुंचा सकतें हैं। इसमें मछली जल्दी खराब नहीं होती है। शासन इस Refrigerated वाहन खरीदने के लिए भी अनुदान देती है। इस वाहन में लगभग 25 लाख रुपये का लागत आता है, जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 10 लाख रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 15 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।
12. बर्फ बॉक्स वाले बाइक या e- रिक्शा पर अनुदान
बाइक लगभग 75000 रुपये की आती है, जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 30 हजार रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 45000 रुपये का अनुदान दिया जाता है। वहीं, e- रिक्शा लेने पर लगभग 3 लाख रुपये का लागत आता है, जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 1.20 लाख रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 1.80 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।
13. जिंदा मछली विक्रय केंद्र के लिए अनुदान
आमतौर पर मछली बाजार में मृत मछली ही मिलती है, अगर बाजार में जल्दी जातें हैं तो कुछ ताजी मछली मिल जाती है, लेकिन जीवित मछली बहुत कम मिलती है। इसलिए शासन जीवित मछली विक्रय केंद्र खोलने पर भी अनुदान देती है, ताकि जनता को ताजी-ताजी मछली खाने को मिले। ऐसा विक्रय केंद्र खोने के लिए लगभग 20 लाख रुपये की लागत आती है, जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 8 लाख रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 12 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।
14. मछली आहार बनाने का मशीन स्थापना पर अनुदान
मछली का अच्छी वृद्धि और विकास के लिए अच्छा आहार बहुत जरूरी है, सही आहार मिलने पर मछली का ग्रोथ तेजी से होती है और मछली भी स्वस्थ रहती है। प्रति दिन 1000 क्विंटल मछली आहार बनाने वाली क्षमता की मशीन का स्थापना करने पर लगभग 6.50 करोड़ का लागत आता है, जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 2.60 करोड़ रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 3.90 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाता है।
15. पारंपरिक मछुवारों को नाव और जाल का वितरण पर अनुदान
लगभग हर राज्य में मछुवारा समुदाय द्वारा मछली पकड़ने का कार्य किया जाता है। चूंकि बड़े तालाबों, नहर, बांध, झील इत्यादि में मछली पकड़ने के लिए नाव का उपयोग किया जाता है, इसलिए ऐसे पारंपरिक मछुवारों को प्रोत्साहित करने के लिए नाव और जाल खरीदने पर अनुदान दिया जाता है। इसमें लगभग 5 लाख रुपये का लागत आता है, जिसमें से सामान्य वर्ग के किसानों को 2 लाख रुपये का अनुदान और एससी /एसटी तथा महिला किसानों को 3 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।
16. मछली पालक कृषकों के लिए बचत सह राहत योजना
इस योजना अंतर्गत मछली पालक कृषकों को प्रति वर्ष 4500 रुपये का आर्थिक सहायता प्रदान किया जाता है। किसान से 1500 रुपये जमा कराया जाता है, और उसमें राज्य सरकार द्वारा 1500रुपये और केंद्र सरकार द्वारा भी 1500 रुपये मिलाया जाता है। सब मिलकर 4500 रुपये किसान को प्रदान किया जात है।
17. मछली का बीमा कराने का फायदा
चूंकि मछली पालन भी एक प्रकार का रिस्क वाला व्यवसाय है, जैसे मुर्गी पालन, पशुपालन । एक बीमारी पूरा मछली को मार सकती है या उत्पादन में भारी नुकसान करा सकती है। इसीलिए शासन द्वारा मछलियों का भी बीमा कराने का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत अगर आपके मछली मर जाती है या स्थायी अपंग हो जाती है तो 5 लाख रुपये या अस्थायी अपंग हो जाती है तो 2.50 लाख रुपये तक का बीमा राशि मिलती है, उसके साथ 25000 रुपये मछली के चिकित्सा के लिए दिया जाता है। बीमा राशि का 60 % अंश केंद्र सरकार और 40 % अंश राज्य सरकार द्वारा दि जाती है।
(मछली का बीमा कराने के लिए आपको अपने जिले का मत्स्य विभाग से संपर्क करना चाहिए।)
यह प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना मछली पालन के लिए सबसे ज्यादा लाभ देने वाला योजना है, इसे केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही है।
अधिक जानकारी के लिए केंद्र सरकार की मछली विभाग का ऑफिसियल वेबसाईट – https://dof.gov.in/
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