श्री उजेन्द्र कोशले (Best Motivation for Terrace Garden/Rooftop Garden/Kitchen Garden)
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (Rural Agriculture Extension Oficer) विकासखण्ड- पथरिया , जिला- मुंगेली , छत्तीसगढ़
परिचय
आपका पूरा नाम श्री उजेन्द्र कोशले पिता श्री ओमकुमार कोशले हैं। आप लोग परिवार में 2 बच्चों के साथ 4 सदस्य रहतें हैं । आप ग्राम संगवाकापा , विकासखण्ड मुंगेली के रहने वालें है। आपका पोस्टिंग वर्तमान में विकासखण्ड पथरिया जिला मुंगेली में है और आपका निवास जहां अपने छत पर बहुत अच्छी Terrace Garden तैयार किए हैं , ओ है मुंगेली शहर में।
आपका Terrace Garden में आप मुख्य रूप से सब्जी भाजी , मक्का , जैविक खाद जैसे- केचुवा खाद घर के सब्जी भाजी के कचरे से तैयार कर्टेन हैं , जिनका उपयोग आप जैविक सब्जी उगाने में करते हैं , इसलिए इसे छत वाली किचन गार्डन बोलना ज्यादा उचित है।
आपके द्वारा छत पर लगाए जानें वाली मुख्य फसलें
बरसात में – ग्वार फली , बैंगन , तिल, तोराई , करेला, मूंगफली, मक्का, बरबट्टी, भिंडी, खीरा, जिमीकंद एवं कुछ फूल इत्यादि।
बरसात के बाद – मक्का, टमाटर, बैंगन, मिर्च, करेला, धनिया, मेथी, लाल भाजी, चौलाई भाजी, खेड़हा भाजी, भिंडी, बरबट्टी, खीरा और फूल इत्यादि।
आपकी किचन गार्डन की विशेषताएं
1. शहरों में जमीन बहुत महंगी होती है , इसलिए लोग सिर्फ घर बनाने लायक 4-5 डिस्मिल ही जमीन खरीद पाते हैं , उनके लिए यह बहुत लाभदायक मन को शांति प्रदान करने वाली गार्डन हो सकती है।
2. घर के किचन के जितना वैस्ट होता है जैसे – सब्जियों , फलों के छिलके, वैस्ट खाना इत्यादि को बाहर फेंकने से गंदगी होती है , लेकिन इस तरीके से अपने गार्डन के लिए केचुवा खाद (Vermicompost) बनाना बहुत लाभदायक होता है, जिसका उपयोग अपने गार्डन में कर सकतें हैं।
3. केचुवा खाद बनाने के लिए केचुवा आजकल छत्तीसगढ़ के सभी गांवों के गौठानो में 300-400 रुपये किलो में बहुत आसानी से मिल जाता है , जिससे बनने वाली खाद सभी काम्पोस्ट खादों में फसलों के लिए बेस्ट होता है । एक ही बार केचुवा खरीदना पड़ता है फिर ओ खुद बढ़ते रहता है।
4. शहरों में अगर कोई अपने घर के सामने खाली जमीन को किचन गार्डन बनाएं तो जगह वैस्ट होता है, क्योंकि शहरों में जगह की कमी होती है , लेकिन छत जितना बड़ा घर होता है उतना ही बड़ा होता है, मतलब जितना जमीन में घर बना है , उतने ही जमीन में किचन गार्डन भी तैयार हो जाता है।
5. श्री उजेन्द्र कोशले सर बताते है की ऑफिस के कार्यों से थक कर इन पौधों के सेवा करने में बहुत शांति मिलती है उन्हें। और बच्चों के ऊपर भी बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है , पर्यावरण के प्रति उनका लागव बढ़ता है , जो आज की जरूरत है।
6. आपको साल भर ताजी हरी सब्जी मिलती रहती है जिसका स्वाद बाजार के रासायनिक खादों और किटनाशक वाली सब्जियों से बहुत अलग और अच्छा होता है।
7. बरसात के बाद पुरी ठंड और गर्मी में धनिया मेथी नहीं खरीदना पड़ता , जब चाहें , जितना चाहें खुशबूदार स्वादिस्ट् धनिया मेथी उपयोग करते हैं।
गार्डन का रूप रेखा
आपने छत की चारों ओर की परदों से लगा हुआ जमीन से लगभग 1 फुट ऊपर टंकी बनाएं है, सभी टंकियों में अतिरिक्त पानी निकलने के लिए छेद किये हैं।
छत में ईंट का अतिरिक्त बीचों बीच कालम बनाएं है ताकि उसपर तार बांधकर नार वाली सब्जियों को फैलाया जा सके और लोहे के पाइप को तेल वाला टीपा में सिमेन्ट से पैक करके खड़ा कर दिए हैं , इसका उपयोग गर्मियों में हरा नेट छायां के लिए बांधने और नार वाली सब्जियों को फैलाने के लिए करते हैं।
सब्जी वाले प्लास्टिक के कैरेट का उपयोग भी सब्जी उगाने के लिए करतें है।
छत में बनाए गए टंकियों को मिट्टी से भरने से पहले उसमें गिट्टी या खपरे के टुकड़े डालते हैं , जिससे अतिरिक्त पानी आसानी से बाहर निकल जातें है और पौधों को नुकसान नहीं होता ।
प्रत्येक फसल के बाद मिट्टी का कूड़ाई करते हैं , फिर उसमें केचुवा खाद मिलाकर दूसरी सब्जी लगाते हैं।
किनारे में बनाए गए अंतिम 2 टंकियों का उपयोग खाद बनाने के लिए करते है , जब एक टंकी का खाद बनते रहता है तब तक दूसरे टंकियों में घरेलू कचरा डालकर सड़ने देते है, और जब दूसरी टंकी का खाद बनकर तैयार होता है तब पहली टंकी भी केचुवा छोड़ने लायक सड़कर पूरा भर जाता है। इस प्रकार यह चक्र चलते रहता है।
मोहल्ले के अन्य लोग भी अब छत में बना रहे हैं किचन गार्डन
श्री उजेन्द्र कोशले जी का घर पूरे मोहल्ले में सबसे अलग ही दिखता है , क्योंकि छत में चारों तरफ हरी भारी सब्जियां और फूल । इससे प्रभावित होकर आसपास के लोग भी अब अपने घर के छत में वैसा ही डिजाइन बनाकर सब्जी भाजी फल फूल उगाने लगें है। सब इनके छत की सब्जियां देखने आते है और आइडीया लेते हैं , जो एक बड़ी Motivation वाली बात है , अब मोहल्ले के बहुत सारे मकानों के छतों में किचन गार्डन बन गया है और कुछ बन रहा है ।
श्री उजेन्द्र कोशले सर के छत वाली किचन गार्डन की कुछ फोटो
सब्जी की वैज्ञानिक खेती कर अधिक उत्पादन करना श्री उजेन्द्र कोशले जी का विशेष उपलब्धि
आप 5 एकड़ से सब्जियों की वैज्ञानिक खेती करना शुरू किये थे , कुछ सालों में आप 40 एकड़ में ड्रिप सिंचाई और मलचिन्ग विधि से प्रापर बम्बू staking के साथ वैज्ञानिक खेती करते थे । जिसमें आपको प्रति सीजन 18-20 लाख रुपये शुद्ध मुनाफा होता था। इनके अनुसार 50 % सभी प्रकार का लागत आ जाता है, आधा पैसा ही बचता है।
इनके द्वारा उत्पादित सब्जियां लोकल मार्केट में ही बिक जाता था। बाहर भेजने की जरूरत नहीं पड़ता था।
खरीफ सब्जियों में मुख्य रूप से मिर्च , करेली (छोटा करेला), लौकी , बरबट्टी , बैगन और रबी सब्जियों में मुख्य रूप से टमाटर , बरबट्टी की खेती किया जाता था।
10 एकड़ खुद की जमीन थी और बाँकी का 30 एकड़ रेग में लिए थे । 14 एकड़ को 1.10 लाख रुपये में और 16 एकड़ को 1.40 लाख रुपये प्रति वर्ष के भुगतान के शर्त पर लिए थे।
जब आप सब्जी उत्पादन कर रहे थे तब आपका सफलता की कहानी नेटाफेम कंपनी द्वारा प्रकाशित पत्रिका में छापा गया था।
उत्पादन पर एक नजर-
- मिर्च प्रति एकड़ 48-55 टन
- करेली प्रति एकड़ 14 -16 टन
- टमाटर प्रति एकड़ 60-70 टन
बाजार मूल्य क्या मिलता था
मिर्च – 25-40 रुपये प्रति किलोग्राम
करेली प्रति एकड़- 22-35 रुपये प्रति किलोग्राम
टमाटर प्रति एकड़ 5-10 रुपये प्रति किलोग्राम
विशेष सलाह- बाजार की आवश्यकता के हिसाब से सब्जी का चयन करना चाहिए , जो सब लगा रहें हैं उसी फसल को आप भी लगाओगे तब बाजार में सही रेट नहीं मिल पाता । अच्छी किस्में अधिक उपज के साथ प्रमुख किट एवं रोग प्रतिरोधक किस्म होना चाहिए ।
सब्जी की खेती में तभी आपको अच्छी कमाई होगी जब आप बाजार की आवश्यकता के हिसाब से खेती करेंगे । नहीं तो मजदूरों के भी खर्चे नहीं निकलेंगे । सही रेट अगर मिलता है तब आपको काफी फायदा होता है और अगर गलत रेट मिलता है तब काफी नुकसान भी झेलना पड़ता है। अकेले खेती करना सब कुछ सम्हालना थोड़ा कठिन होता है इसलिए अपने परिवार के साथ और उनको लेकर चलना सबसे ज्यादा जरूरी है।