धान का फसल का पानी में डूब जाना
धान को होने वाले नुकसान – मुख्य रूप से सड़क किनारे , नदी, नाले के किनारे से लगा हुआ धान के खेत, अधिक बरसात होने से पानी में डूब जाता है । अगर तुरंत 24 घंटे के अंदर अगर खेत का पानी निकाल जाए तो कोई नुकसान नहीं होता । अगर 24 घंटे से ज्यादा पूरा खेत डूबा हुआ रहता है तो धान की पत्तियां लाल – पीली हो जाती है और पौधों का बढ़वार रुक जाता है।
पौधों की निचली पत्तियां सड़ने लगती है और अगर गभोट अवस्था में खेत डूब जाए तो पुरी बालियाँ खराब हो सकती है । धान की पत्तीयों में मिट्टियाँ जम जाती है , जिसके कारण पौधे प्रकाश-संश्लेषण (भोजन निर्माण) बहुत धीरे करने लगते है , जिसके कारण भी उत्पादन कम हो जाता है ।
फसलों को होने वाले नुकसान से कैसे बचाया जा सकता है ?
जब धान पौधा छोटा होता है , तब ज्यादा परेशानी नहीं होती है , क्योंकि फसलों के पास अपने आप को सम्हालने के लिए पूरा समय होता है , लेकिन जब फसल गभोट अवस्था के निकट हो तो जरूर निम्न तरीकें अपनाना चाहिए , जिससे फसलों को नुकसान से बचाया जा सके –
1. कोशिश करें , जितनी जल्दी हो सके खेत से अतिरिक्त पानी निकल जाए , 24 घंटे से ज्यादा फसल ना डूबा रहे ।
2. जैसे ही खेत का पानी निकल जाए , डूबा हुआ धान का फसल दिखने लगे और मौसम साफ हो तो जिंक 120 ग्राम घोलकर 16 लिटर टंकी वाली स्प्रैयर में (Sprayer) छिड़काव करना चाहिए । लेकिन खेत में यूरिया तुरंत नहीं डालना चाहिए , अधिक यूरिया से धान की पत्तियां सड़ सकती है।
3. धान की पत्तीयों में मिट्टी जमा होने और पानी में डूबे रहने के कारण पौधे प्रकाश संश्लेषण नहीं पाते , इसको बढ़ाने के लिए पोटाश , सल्फर और मैंगनीज का पौधों को ज्यादा जरूरत पड़ता है , इसलिए 20 किलो पोटाश + 10 किलो सल्फर + 5 किलो मैंगनीज एवं मैगनिसियम युक्त सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त खादो को एक साथ मिलाकार खेत में डालना चाहिए । इससे धान का पौधा जल्दी अपने आप को सम्हाल पाएगा ।
4. अगर ज्यादा समय तक धान का सम्पूर्ण पौधा पानी में पुरी तरह डूबा रहा हो ,पत्तियां पीली पड़ गई हो तो फफूंदनाशक दवाई जैसे – बाविस्टीन , मेनकोजेब , हेक्साकोनोज़ोल इत्यादि में से कोई 1 दवाई का छिड़काव करना चाहिए और अगर पत्तीयों में पीला पन ना हो तो अनावश्यक छिड़काव ना करें ।
5. पत्तीयों में जमी हुई मिट्टी अगली बारिश का पानी से धूल जाती है और ऊपरोक्त पोषक तत्वों से बहुत जल्दी हरा -भरा हो जाता है ।
6. कुछ मामलों में पौधों को तुरंत एनर्जी देने के लिए 5 % dextroze वाला ग्लूकोस बोतल (1 – 1.5 बोतल प्रति स्प्रैयर) + Tricontanol का छिड़काव करना भी लाभकारी होता है। Tricontanol कृषि केंद्रों और मेडिकल स्टोर में आसानी से मिल जाता है।
7. अगर धान में अच्छे से हरापन न आए हो तो 15 दिनों बाद 10- 15 किलो यूरिया का पुनः छिड़काव किया जाना अच्छा हो सकता है ।