धान का फसल में अंतिम रूप से खाद , दवाई का उपयोग
धान का फसल: सभी किसान भाई धान में बुवाई से लेकर कटाई तक कई प्रकार के दवाइयों और खाद का प्रयोग करते हैं । फसल का सबसे महत्वपूर्ण समय जब फूल आने वाले हो / बालियाँ निकलने वाली हो होता है , क्योंकि इस समय अगर किसी रोग या किट का प्रकोप हो जाए या जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाए तो उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए धान की अच्छी उत्पादन के लिए गभोट अवस्था में विशेष ध्यान देना चाहिए ।
धान में गभोट अवस्था में आने वाली परेशानियाँ
1. गंधीबग किट जो बालियों का दूध पीता है ।
2. धान की बालियाँ छोटी -छोटी आना ।
3. पर्याप्त मात्रा में बालियों में फूल ना आना ।
4. गभोट से निकलने वाली बालियाँ आधी भारी हुई होना ।
5. बालियाँ निकलते ही दानों का काला हो जाना
6. बालियाँ नीचे से खाली और सफेद रंग का निकले
7. लाई ,लकवा रोग
8. भूरा माहू एवं सफेद माहू
धान में गभोट अवस्था में आने वाली परेशानियों का समाधान
धान के फसल हो या कोई अन्य फसल , जब उसमें फूल आने वाले हो तो पोषक तत्वों का जरूरत पौधों को सबसे ज्यादा पड़ता है। इसका मुख्य कारण पौधों को फल फूल लाने के लिए अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की जरूरत होती है।
धान में गभोट अवस्था में कम से कम 20 किलो पोटाश+ 10 किलो यूरिया + 5 किलो सल्फर + 5 किलो बोरान जरूर डालना चाहिए। पोटाश डालने से बालियों की साइज़ बड़ी आती यही , दाने अच्छी तरह भरा हुआ आता है, दानों में चमक और वजन रहता है।
बोरान के कारण से ही पौधों में फूल आता है , अगर खेत में इसकी कमी हो तो बालियों में फूल कम रहेंगे और फूल कम रहेंगे तो दानें बहुत कम बनेंगे । इस लिए बोरान जरूर डालना चाहिए ।
सल्फर यूरिया , पोटाश , DAP जे बाद सबसे ज्यादा पौधों को जरूरत होता है , लेकिन अधिकांश किसान भाई इसकी उपयोगिता नहीं समझते , जिसके कारण इसका उपयोग नहीं करते। सल्फर पौधों का बहुत ही उपयोगी पोषक तत्व है, इसकी कम से कम 10 किलो प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए। अगर शुरू से उपयोग नहीं किये हैं तो 5 किलो गभोट में डालना चाहिए ।
वर्तमान में गभोट अवस्था में गंधी किट , लाई , शीथ ब्लाइट, माइट आदि का प्रकोप आता है , इसके रोकथाम के लिए Hexaconozole या Tricyclazole फफूंदनाशक दवाई के साथ Spiromecifen या Fenpyroximet या Ethion का छिड़काव करना चाहिए , और अगर या दवाई न मिले तो सस्ते में Chloropyriphos और ऊपरोक्त फफूंदनाशक दवाई को मिलाकर छिड़काव करें ।
Chloropyriphos किटनाशक कृषि केंद्रों में 505 , कोरंडा आदि के नाम से मिलता है।
नोट : धान में विभिन्न किट एवं रोग किसी भी अवस्था में लग सकते हैं , ऊपरोक्त दवाई और सलाह सामान्य सलाह है , जो करना ही चाहिए। अधिक जानकारी के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों से जरूर सलाह लेना चाहिए , क्योंकि कृषि अधिकारियाँ इनकी पुरी पढ़ाई किये होते हैं , बहुत सही जानकारियाँ आपको डे सकते हैं। इससे आपका फिजूल दवाइयों में पैसे खर्च होने से बचेंगे और आपके फसलों को सही दवाई भी मिल पाएगी।