फसल गिरदावरी(What is Girdawari)
गिरदावरी क्या होता है?
परिचय: गिरदावरी का कार्य साल में 2 बार पटवारीयों और कृषि अधिकारियों के द्वारा किया जाता है। 2 बार मतलब खरीफ सीजन और रबी सीजन में वास्तविक रूप से बोए गए फसल का सर्वे किया जाता है, और खसरा नंबर पर मौके में पाए गए फसल का नाम, उसका रकबा, सिंचित/असिंचित, खेत में पाए गए वृक्ष, सिंचाई का साधन इत्यादि को Online CgBhuiyya app पर चढ़ाया जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में जमीन एवं फसल का बौरा शासकीय वेबसाईट cgbhuiyya app में देखा जाता है, जबकि अन्य राज्यों में वेबसाईट का नाम अलग हो सकता है।
फसल गिरदावरी करने की विधि
जैसे की ऊपर बताया गया है कि दोनों खरीफ और रबी सीजन में फसल गिरदावरी का कार्य पटवारियों और कृषि अधिकारियों द्वारा किया जाता है, लेकिन इसको अनलाईन एंट्री का कार्य पटवारियों द्वारा अपने आइडी में किया जाता है। सबसे पहले जिस दिन गिरदावरी करना होता है, उसके 1 दिन पहले गाँव में कोटवार के माध्यम से मुनादी कराया जाता है। निर्धारित समय पटवारी गाँव के अलग-अलग क्षेत्रों का मौका जांच करतें हैं कि वास्तविक में उस खसरे में इस वर्ष क्या और कितना बोया गया है? इसमें गाँव के कोटवार, कृषक मित्र और ग्रामीण मदद करतें हैं, साथ में घुमतें हैं।
गाँव के किसानों को गिरदावरी कार्य में शामिल हो कर अपने खेत की स्थिति लिखवाने के सलाह दिया जाता है, ताकि किसी प्रकार की त्रुटि ना हो। 1 गाँव में गिरदावरी करने में लगभग 4-5 दिन का समय लग जाता है, लेकिन यह गाँव में उपस्थित खसरों की संख्या पर निर्भर करता है। जितना बड़ा गाँव, उतना ही ज्यादा खसरा नंबर, और घूमने में उतने ही ज्यादा समय लगता है।
पटवारी अपने साथ में गाँव का खसरा बुक, गाँव का नक्शा इत्यादि अपने साथ में रखे होतें हैं, जिसमें तुरंत खसरे में बोया गया फसल का नाम, सिंचित/असिंचित, सिंचाई का साधन, बोनी का प्रकार, फसल का किस्म और कैफियत में वृक्ष आदि हो तो उसे भी लिखा जाता है। बाद में जब गाँव का सर्वे पूर्ण हो जाता है, तब इस डाटा को अनलाईन चढ़ाया जाता है। पटवारियों को गिरदावरी करने का एक फिक्स समय दिया जाता है, इस समय में ही गिरदावरी करके अनलाईन चढ़ाया जाता है। जैसे इस साल गिरदावरी करने का अंतिम तिथि 31 अगस्त 2024 है।
यदि कोई किसान गाँव में गिरदावरी के दिन उपस्थित नहीं हो पाते हैं तो उनको अपने पटवारी से मिलकर अपना रिकार्ड ठीक करा लेना चाहिए।
फसल गिरदावरी से किसानों को क्या फायदा होता है?
जैसे की जानतें हैं किसान का मतलब उनका जमीन और फसल से होता है, मतलब किसान जीवोकोपार्जन के लिए पूर्ण रूप से अपने फसल और जमीन पर निर्भर होतें हैं।
समर्थन मूल्य में धान या अन्य कोई भी फसल आप तभी बेंच सकतें हैं, जब आपके खसरे में वह फसल लिखा होगा, और यह फसल गिरदावरी के मध्यम से मौके में जाकर लिखा जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ लेने के लिए भी किसानों को अपना जमीन और जिस सीजन के लिए क्रेडिट कार्ड से लोन लेना चहतें है तो बोया गया फसल की जानकारी देना होता है, जो की गिरदावरी के द्वारा आपके जमीन के पी-2 (फसल विवरण) में चढ़ाया जाता है। सिंचित भूमि में ज्यादा पैसा मिलता है,जबकि असिंचित जमीन में कम पैसे मिलता है। वहीं यह किसान क्रेडिट कार्ड बोया गया फसल के हिसाब से भी कम-ज्यादा मिलता है।
जमीन के खरीदी बिक्री के समय रेजिस्ट्री में लगने वाले पैसे भी आपके जमीन की सिंचित और असिंचित लिखे होने के आधार पर तय किया जाता है। असिंचित जमीन में कम पैसे लगता है, जबकि सिंचित जमीन में ज्यादा पैसे लगता है। वैसे ही 1 फसलीय है या द्विफसलीय, इसके हिसाब से भी रेजिस्ट्री की राशि निर्भर करती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत किसानों को अपने फसल का फसल बीमा कराने का सुविधा दिया जाता है, ताकि विपरीत परिस्थिति में किसानों को कुछ बीमित राशि सहयोग के रूप में प्राप्त हो सके, इसके लिए भी आपके खेत/खसरे में वह फसल लिखा होना चाहिए। तभी यह माना जाता है कि आप वह फसल बोए थे। भले ही आप वह फसल बोए होंगे लेकिन अनलाईन आपके जमीन में नहीं दिखा रहा होगा या चढ़ा नहीं होगा तो आपका फसल माना नहीं जाता है।
कुछ किसान फसल बीमा नहीं कराए होतें हैं, लेकिन बेमौसम बारिश, बहुत ज्यादा बारिश, किट व्याधि का प्रकोप, सुख, चक्रवात, बाढ़ आदि आने से अचानक पूरा फसल खत्म हो जाता है, ऐसी परिस्थिति में राज्य सरकार द्वारा उस गाँव के किसानों को मुआवजा दिया जाता है। यह मुआवजा जिस फसल के लिए होता है, उसको अनलाईन आपके गिरदावरी के समय लिखा गया फसल के हिसाब से माना जाता है।
मान लीजिए कोई किसान पहली बार धान बेचने के लिए भररी या पड़ती जमीन को धनहा/खेत बनाया है और उसमे धान बोया है, लेकिन गलती से पटवारी से गिरदावरी के दिन वह खसरा छूट जाता है और किसान भी सूचना नहीं देता है, तो उनको धान बेचने के समय पंजीयन के समय परेशानी की सामना करना पड सकता है। किसान को अपने उस खसरे में फसल लिखवाना पड़ेगा, जबकि गिरदावरी का समय खत्म हो चुका होता है, ऐसे में किसान धान बोकर भी बेचने से वंचित हो सकतें हैं।
अगर कोई किसान पिछले साल जितना रकबा में धान बोए थे, लेकिन इस साल उससे ज्यादा रकबा में धान बोए हैं, तो इनको भी पूरे रकबा में धान बेचने के लिए रकबा संसोधन का फॉर्म भरना पड़ता है, मगर गिरदवारी में इस साल बढ़ाकर बोया गया फसल नहीं चढ़ा है तो उनमें उतना धान नहीं बेच सकते।
नोट: इस तरह एक किसान के लिए गिरदावरी बहुत ही ज्यादा महत्वपुर्ण है, इसलिए गिरदावरी में जरूर भाग लेना चाहिए और अगर किसी कारणवश उस दिन उपस्थित नहीं हो पाते हैं तो पटवारी से तुरंत मिलकर अपने फसल की एंट्री जरूर कराना चाहिए।
अन्य लिंक –किसान अपने गिरदावरी की स्थिति देखने के लिए अपने राज्य के भूमि की जानकारी देने वाली शासकीय वेबसाईट पर जाकर देखना चाहिए, जैसे छत्तीसगढ़ के किसानों की पुरी जानकारी https://revenue.cg.nic.in/bhuiyanuser/User/Selection_Report_For_KhasraDetail.aspx वेबसाईट में रहती है।
उदाहरण के लिए आपको कुछ किसानों का फसल विवरण नीचे दिखाया जा रहा है
ऊपरोक्त फोटो https://revenue.cg.nic.in/ से निकाला गया है, जिसमें से रिपोर्ट सेक्शन में आप देख सकतें हैं, डिजिटल हस्ताक्षरित खतौनी बी 1, पी -2, खण्ड -2 फसल विवरण (इस साल का) और उसके नीचे भी खण्ड-2 (पूर्व वर्ष का) लिखा हुआ है। जिसको आप डाउनलोड करके इस साल की गिरदावरी की स्थिति और पिछले साल की गिरदावरी की स्थिति देख सकतें हैं। यह बहुत ही आसान है।
यह एक किसान का पिछले वर्ष 2023-24 का फसल विवरण/ गिरदावरी की स्थिति है। जिसमें आप स्पष्ट देख सकतें हैं कि यह किसान अपने कौन-सा खसरा नंबर में कौन-सी फसल, कितना रकबा में बोया था। फसल का नाम और उसका क्षेत्रफल, साथ ही क्या उसका वह रकबा द्विफ़सली था की एक फ़सली, यह भी बताया गया है । अगर द्विफसलीय था तो रबी सीजन में क्या फसल और कितने रकबा मे बोया गया था, वह भी देख सकतें हैं।
इसके अलावा आप 11 नंबर कॉलम में, यह किसान कौन सी बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड योजना अंतर्गत ऋण लिया और कब तक के लिए लिया है? मतलब बंधक है, आप यह भी देख सकतें हैं।