धान में रस्सी पाटा चलाने के फायदे
धान के फसल में रस्सी चलने या पाटा चलने का मुख्य उद्देश्य धान में कंसा का फुटाव बढ़ाना तथा कीट रोग से फसल को बचाना होता है। पाटा बनाने के लिए अधिकतर किसान मोटा वाला पाइप और उसमें दोनों साइड रस्सी बांधकरउ पयोग करते हैं। कई किसान भाई बांस में रस्सी बांधकर भी पाटा बनाते हैं। पाटा बनाकर इसे एक आदमी अकेले ही पूरे खेत में घूम कर चला सकता है।
इसको चलाने से धान पर स्ट्रेस पड़ता है जिसके कारण कन्से का फुटाव और अधिक तेजी से होने लगता है तथा पत्तियों पर या पौधों पर चिपके हुए धान के हानिकारक कीटों को यह पानी में गिरा देता है तथा उसके अंडे को भी पानी में गिरा कर नष्ट कर देता है। पाटा चलने का सही समय गभोट अवस्था से पहले होता है। सबसे अच्छा समय जब फसल आपका डेढ़ से दो माह का हो तो पाटा चलना ज्यादा लाभदायक होता है।
लकड़ी के जगह पाइप का उपयोग करना इसलिए लाभदायक होता है क्योंकि इससे पौधों पर छीलन या क्षति नहीं होता क्योंकि यह चिकना होता है। लकड़ी का उपयोग करने से जो क्षति होती है उससे जीवाणु झुलसा रोग फैलने का डर होता है। क्योंकि जीवाणु झुलसा रोग का जीवाणु क्षतिग्रस्त स्थान से ही पौधों के अंदर प्रवेश करते हैं। अपने खुद से ही पौधे के अंदर छेद कर प्रवेश नहीं कर पाते हैं।
इसलिए पाइप का उपयोग करना ज्यादा अच्छा होता है। पाइप बहुत हल्की होती है इसलिए यह खेत के पानी में ऊपर तैरने लगता है, लेकिन पाइप को हल्का वजन होना चाहिए। वजन करने के लिए पाइप के अंदर हल्की गीली मिट्टी भर देनी चाहिए। खेत में काम से कम दो बार पाटा जरूर चलाना चाहिए। इससे धान के कटवा किट , धान के पत्ती मोड़क किट, बंकी के किट इत्यादि खेत के पानी में गिरकर नष्ट हो जाते हैं।