चने का फसल मरना मतलब उकठा रोग । यह चने का फफूंद जनित रोग है। यह Rhizoctonia और Fusarium नामक फफूंद के कारण होता है।
यह फफूंद चने के पौधों में शुरू से लास्ट तक अटैक करतें है। Fusarium नामक फफूंद मुख्य रूप से चने के जड़ में तो Rhizoctonia नामक फफूंद मुख्य रूप से जमीन के पास से तने पर अटैक करता है।
जड़ या तने पर यह फफूंद अटैक करके उसे सड़ा देते हैं, जिसके कारण पौधों का पानी अवशोषण करने का क्षमता कम होते होते लास्ट में पूरा खत्म हो जाता है, इसके फलस्वरूप पौधे सुख जाते हैं, जिसे ऊकठा रोग कहते हैं।
अधिकतर चने का खेत इस फसल से खराब हो जाता है।
इस रोग का रोगजनक फफूंद मिट्टी और बीज दोनों में ही रहता है, इस लिए बीज उपचार करना चाहिए , जिससे यह रोगाणु नस्ट हो जाते है और बीज के साथ दवाई भी खेत में जाने से मिट्टी का भी रोगाणु मर जाते हैं।
बीज उपचार के लिए दवाई –
Tebuconazole 5.4%fs का 20 ml प्रति 50 किलो बीज अथवा Metalaxyl 35%ws , दोनो में से कोई एक दवाई से बीज उपचारित करें।
अगर फसल अवधि के बीच में चने मरने की समस्या दिखे तो Fosetyl AI 80%WP फार्मूला वाला कोई भी अच्छी कंपनी का फफुंदनाशक दवाई का छिड़काव करें। यह दवा बायर कंपनी का एलाइट के नाम से भी बाजार में मिलता है।