जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के तरीके
जिस प्रकार से आजकल जंगलों को काटा जा रहा है और गाँव का शासकीय जमीन गाँव वालों के द्वारा कब्जा किया जा रहा है, जंगली जानवरों के चरने और घूमने के लिए जगह नहीं बच रहा है, इसलिए यह जंगली जानवर खाने या पानी की तलास में गाँव के नजदीक और गाँव वालों के फसलों को अपना निशाना बना रहें हैं, हालांकि यह उनकी मजबूरी है। जब जंगल या खाली जगह नहीं बचेगा तो वन्य पशु कहाँ जाएंगे।
भारत के कई हिस्सों में किसानों को नील गाय, जंगली सुवर और हिरण जैसे जानवरों से फसलों को बचाने की समस्या का सामना करना पड़ता है। ये जानवर अक्सर खेतों में घुसकर फसलों को नष्ट कर देते हैं जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम कुछ ऐसे कारगर और व्यावहारिक उपायों के बारे में चर्चा करेंगे जिनके द्वारा किसान अपनी फसलों को इन जानवरों से बचा सकते हैं।
फसलों को नील गाय, जंगली सुवर और हिरण से बचाने के विभिन्न कारगर उपाय
बिजली का जाल- सौर ऊर्जा से चलने वाली फेंसिंग:
- खेतों के चारों ओर बिजली का जाल लगाना एक प्रभावी तरीका है।
- यह जाल जानवरों को बिजली का झटका देकर उन्हें दूर भगाता है।
- हालांकि, यह एक महंगा विकल्प हो सकता है।
- सोलर पावर की मदद से इलेक्ट्रिक फेंसिंग लगाई जा सकती है, जो नीलगाय और जंगली सूअर को खेत में आने से रोकती है। इससे उन्हें हल्का झटका लगेगा, जिससे वे दूर रहते हैं।
गंधक या प्याज का घोल:
- गंधक या प्याज के घोल को खेतों के चारों ओर छिड़कने से जानवरों को बदबू आती है और वे खेतों से दूर भाग जाते हैं।
- यह एक सस्ता और आसानी से उपलब्ध विकल्प है।
पौधों की कंटीली बाड़:
- खेतों के चारों ओर कांटेदार पौधों की बाड़ लगाने से जानवर खेतों में प्रवेश नहीं कर पाते।
- यह एक प्राकृतिक और पर्यावरण अनुकूल विकल्प है।
जाल:
- बड़े जालों का उपयोग करके खेतों को ढकना भी एक प्रभावी तरीका है।
- यह छोटे जानवरों को खेतों में प्रवेश करने से रोकता है।
तार वाली कंटीले बाड़:
खेत के चारों ओर कंटीले तार या बाड़ लगाना एक प्रभावी उपाय है। नीलगाय और जंगली सूअर के लिए यह एक बाधा का काम करती है और उन्हें खेत में प्रवेश करने से रोकती है।
खेत के चारों ओर गहरी खाई:
खेत के चारों ओर गहरी खाई खोदकर नीलगाय और जंगली सूअर को खेत में प्रवेश करने से रोका जा सकता है। गहरी खाई उनके लिए बाधा का काम करती है।
आवाज और रोशनी का प्रयोग:
- कई किसान खेत के आसपास जोरदार आवाज वाले स्पीकर या चमकीली रोशनी का उपयोग करते हैं, ताकि जानवर डरकर भाग जाएं। सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइट या बत्तियाँ रात में नीलगाय और अन्य जानवरों को खेत में आने से रोकने में मददगार होती हैं।
- जानवर अंधेरे में अधिक सक्रिय होते हैं और तेज रोशनी उन्हें परेशान करती है।
- विभिन्न प्रकार के ध्वनि यंत्र बाजार में उपलब्ध हैं जो जानवरों को दूर भगाने के लिए उच्च आवृत्ति की ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
- ये यंत्र सौर ऊर्जा से चलते हैं और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
मिर्च और तम्बाकू का घोल:
- खेत के किनारों पर मिर्च और तम्बाकू का घोल छिड़कने से भी जंगली जानवर खेत में नहीं आते हैं, क्योंकि इससे उन्हें चुभन और असहजता होती है।
- मिर्च का स्प्रे जानवरों के लिए बहुत तीखा होता है और वे इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते।
- फसलों पर मिर्च का स्प्रे करने से वे जानवरों के लिए अखाद्य बन जाती हैं।
पैरों के निशान वाले कागज या कपड़े:
खेत के चारों ओर बाघ, तेंदुए या अन्य शिकारी जानवरों के पैरों के निशान जैसे प्रतीक (स्टेंसिल) वाले कागज या कपड़े टांगने से नीलगाय और हिरण जैसे जानवर डरकर खेत में नहीं आते।
पशुपालक कुत्ते:
कुछ किसान खेत के आसपास प्रशिक्षित कुत्ते पालते हैं जो जंगली जानवरों को खेत में घुसने से रोकने में मदद करते हैं। कुत्ते की उपस्थिति से जानवर डरते हैं और खेतों से दूर भाग जाते हैं।
11. जैविक गंधकारी स्प्रे:
बाजार में ऐसे जैविक स्प्रे उपलब्ध हैं जिनकी गंध से जंगली जानवर दूर रहते हैं। यह स्प्रे खेत की मेड़ पर छिड़क सकते हैं। यह ऐमज़ान में online मिल जाता है।
नकली मानव उपस्थिति (फर्जी आकृतियाँ)
खेत में नकली मानव आकृतियाँ, पुतले, या चमकीले कपड़े लगाए जा सकते हैं, जिससे जंगली जानवर यह सोचकर दूर रहते हैं कि वहाँ कोई व्यक्ति मौजूद है। इसे काक भगोड़ा भी कहते हैं। गाँव में आज भी बंदरों से फसलों को बचाने इसे घर में रखे पुराने कपड़े से बनाया जाता है।
मछली से बने दवाई
इस तकनीक में माना जाता है कि जंगली सुवर, हिरण या नील गाय आदि एक शाकाहारी वन्य जीव हैं, यह मांसाहार से दूर रहतें हैं। यह दवाई बंदरों के लिए भी उपयोगी है। इसको बनाने के लिए 1 किलो कोई भी मछली लेनी है और 2 किलो काला गुण लेना है। मछली को छोटे-छोटे काट लेना है और गुण को भी फोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ों में कर लेना है, ताकि अच्छे से पानी में घुल सके। इसको बनाने के लिए 100 लिटर पानी लेना है और इस पानी में मछली और गुण को डालकर अच्छी तरह घोल लेना है।
घोलने के बाद ड्रम को 2 लेयर सूती कपड़े से अच्छी तरह ढँक देना है। इसको बनने में 45 दिनों का समय लगता है। 7 दिनों में एक बाद इस घोल में डंडे से घड़ी की सुई की दिशा में हिलाना है।इससे यह दवाई और अच्छे से बनेगा। यह दवा सिर्फ वन्य प्राणी से आपके फसलों को नहीं बचाएगा बल्कि पौधों में एक खाद का भी काम करेगा। इस तैयार घोल को अपने फसलों में प्रत्येक 15 दिनों में छिड़काव करना होता है। अगर आप इस दवा को और अधिक बनाना चाहते हैं तो 1:2 में मछली और गुण मिलाकर बना सकतें हैं।
जंगली सूअर के लिए उपाय
जंगली सूअर हमेशा अपना सर नीचे किये हुए, सूंघते हुए आगे बढ़ता है, ऐसे में अगर हम नाई के पास से बाल लाकर अपने खेत के मेंड जिधर से जंगली सूअर आते हैं, उधर थोड़ा-थोड़ा फैला देने से, यह बाल सूअर के नाक में घुस जाएगा और वह इससे परेशान होकर वहाँ से भाग जाएगा। लड़कों का बाल बहुत छोटे-छोटे होता है, यह उनके द्वारा सांस अंदर लेने से उनके नाक में आसानी से जा सकता है।
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