धान का रोपा विधि , छितकवा विधि से ज्यादा उपज देता है। इसका प्रमुख कारण सही पौधों से पौधों और कतार से कतार की दुरी है। इसके कारण पौधों में खाद, पानी, पोषक तत्व, हवा आदि के लिये प्रतीस्पर्धा नही होता, जिसके कारण पौधों का सर्वांगीण विकास होता है, कंसे अच्छे और स्वस्थ आते हैं।
निराई- कुडाई में आसानी होती है, जिसके कारण खरपतवार पौधों पर भारी नही पड्ता है।
छिटकवा विधि में एक ही जगह पर एक से अधिक धान अंकुरित हो जाता है, जिसके कारण एक दूसरे पौधों का जड एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करता है।
लाईन से धान लगाने के लिये एक बडी रस्सी लेते हैं। जिसके दोनों शिरों को धारदार लकड़ी से बान्ध देते हैं। और इसे खिच कर दोनों मेडों में गाड़ देते हैं, और रस्सी के निचे 1- 2 पौधे लगाते जाते हैं।
कुछ किसान भाई रस्सी में एक परफ़ेक्ट दुरी पर कपडे के टूकड़े बान्ध देते हैं, और उस टुकडे के निचे पौधे लगाते जाते हैं।इससे पौधों से पौधों की दुरी और कतार से कतार की दुरी दोनों समान लगते जाते हैं।
17- 20 cm की दुरी में पौधे लगाना चाहिये।