फसल बीमा कराने का क्या फायदा होता है? जानिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna)
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की महत्वपुर्ण योजना है, इस योजना में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिलकर कुछ फिक्स प्रीमियम की राशि बीमा कंपनी को देती है। किसानों से भी बीमित राशि का 2 % रुपये प्रीमियम राशि के रूप में लिया जाता है। एक राज्य में एक से अधिक बीमा कंपनी हो सकती है, जो अपने अंतर्गत जिलों के फसल बीमा कराने के लिए जिम्मेदार होती है।
चूंकि सरकार द्वारा 15 % और किसानों से 2 %, मतलब बीमित राशि का 17 % अग्रिम राशि बीमा कंपनी को पहले ही मिल जाती है। बीमा कॉम्पनी फसल अवधि के बीच में या फसल कटने के उपरांत अपने एजेंट, कृषि अधिकारी एवं पटवारियों द्वारा संयुक्त रूप से फसल का रिपोर्ट बनाया जाता है। इस रिपोर्ट से ही बीमा कंपनी निर्धारित करती है कि कितने % नुकसान इस वर्ष पिछले 5 वर्षों के औसत से हुआ है। इसी नुकसान के आधार पर जितना % नुकसान आता है, उसे बीमा क्लैम बोलते हैं, जिसे बीमित राशि से गणना करके जीतने किसानों का फसल बीमा हुआ रहता है उनके बैंक खाते में डायरेक्ट भेज दिया जाता है।
वहीं अगर पिछले 5 वर्षों के औषत उपज से इस वर्ष का औषत उपज बराबर या कम आता है, तब सरकार और किसान द्वारा जमा की गई कुल 17 % राशि बीमा कंपनी की हो जाती है।
फसल बीमा कराने का क्या फायदा होता है?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की किसानों के हित में बनाए गए विशेष योजना है। इस योजना को कृषि विभाग द्वारा संचालित किया जाता है। इस योजना में राजस्व विभाग का भी सहयोग रहता है। यह योजना देश के सभी राज्यों में संचालित है। इस योजना अंतर्गत सभी राज्यों के किसानों को फसल क्षति होने पर आर्थिक सहयोग मिलता है।
मतलब अगर कोई किसान भाई फसल बोने से पहले अपने फसल का बीमा कराया हो और अगर मौसम की अनियमितता या किट व्याधि के प्रकोप से उसका फसल का नुकसान होता है तो उस किसान को नुकसान के प्रतिशत के हिसाब से बीमित राशि का प्रतिशत हिस्सा आर्थिक सहयोग के रूप में मिलता है।
फसल बीमा कराने के लिए क्या करना पड़ता है?
फसल बीमा 2 तरह से कराया जाता है, एक तो ऋणी किसान के रूप में और दूसरा अऋणी किसान के रूप में। ऋणी किसान का मतलब ऐसे किसानों से है, जो सहकारी समिति या किसी बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड योजना अंतर्गत ऋण लिया हो। यह ऋण नगद पैसा या खाद-बीज के रूप में भी हो सकता है। अऋणी किसान का मतलब ऐसे किसान से है, जो कहीं से भी ऋण नहीं लिए हैं।
ऋणी किसानों का फसल बीमा उस संस्था से स्वतः ही हो जाता है, जहां से ऋण लिया गया हो। संस्था द्वारा कौन सा फसल का उक्त किसान का बीमा करना है, यह निर्धारण ऋण जिस फसल के लिए दिया गया होता है, उसी को माना जाता है, भले ही किसान उस खसरे में दूसरे फसल क्यों ना बोया हो। अगर किसान फसल बीमा स्वतः नहीं कराना चाहता है या स्वयं कराना चाहता है तो उसे ऋण प्राप्त संस्था में आवेदन देना होता है।
अऋणी किसान अपने फसलों का फसल बीमा कोई भी लोक सेवा केंद्र या कोई कंप्युटर दुकान या स्वयं कर सकतें हैं।
फसल बीमा कराने के लिए कौन-कौन सा दस्तावेज लगता है?
- आधार कार्ड का छायाप्रति (स्वप्रमाणित)
- बैंक पासबुक का छायाप्रति
- बी-1
- पी-2 (फसल विवरण)
- फसल बोनी प्रमाण पत्र (स्वप्रमाणित) यह फॉर्म के साथ संलग्न रहता है।
कौन-कौन से फसल का बीमा करा सकतें हैं?
इस योजना अंतर्गत किसान कौन सा फसल का बीमा करा सकतें हैं, यह निर्भर करता है कि उस गाँव में सर्वाधिक कौन सा फसल किसानों द्वारा बोया जाता है। अगर किसीकिसी गाँव में अनाज वाली फसल का रकबा 10 हेक्टेर से अधिक होता है तब किसान उस फसल का बीमा करा सकता है। वहीं सब्जी या फल वर्गीय फसल को बीमा में शामिल तहसील या राजस्व क्षेत्र को आधार मानकर किया जाता है।
फल या सब्जी वर्गीय फसल का फसल बीमा उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन से कराया जाता है। इनका बीमा अनाज वाली फसलों से थोडा अलग होता है। इसे मौसम आधारित फसल बीमा कहते हैं। इसका मतलब इसमें फसल क्षति का सर्वे या निर्धारण, होने वाली बारिश, सूर्य की रोशनी, , तापमान आदि के गणना के हिसान से किया जाता है।
फसल बीमा कराने में कितने पैसे लगता है?
सभी जिलों और फसलों के लिए यह अलग-अलग रहता है। जो बीमित राशि होता है, उसका 2 % राशि प्रीमियम के रूप में किसानों से लिया जाता है। यह बीमित राशि कौन सी फसल के लिए कितना होगा, इसका निर्धारण उस फसल में आने वाले लागत प्रति हेक्टेयर के हिसाब से निर्धारित किया जाता है। जैसे छत्तीसगढ़ राज्य के मुंगेली जिला में उड़द फसल का बीमित राशि 22000 रुपये प्रति हेक्टेयर है, तब इसका 2 % मतलब 440 रुपये प्रति हेक्टेयर होता है, जिसे किसान को फसल बीमा कराते समय प्रति हेक्टेयर उड़द फसल के लिए पटाना पड़ेगा।
वैसे ही सिंचित धान की बीमित राशि 60000 रुपये प्रति हेक्टेयर, 1200 रुपये प्रीमियम है, वहीं असिंचित धान के लिए 43000 रुपये प्रति हेक्टेयर बीमित राशि और 860 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रीमियम है। यह प्रीमियम की राशि हर वर्ष बदल जाता है, क्योंकि लागत भी बदल जाता है।
मुंगेली जिला छत्तीसगढ़ के लिए (खरीफ-2024) | ||
फसल का नाम | बीमित राशि/हे. | कृषक प्रीमियम/हे. |
उड़द | 22000/- | 440/- |
मूंग | 22000/- | 440/- |
मूंगफली | 42000/- | 840/- |
कोदो | 16000/- | 320/- |
कुटकी | 17000/- | 340/- |
मक्का | 36000/- | 720/- |
धान सिंचित | 60000/- | 1200/- |
धान असिंचित | 43000/- | 860/- |
अरहर | 35000/- | 700/- |
रागी | 15000/- | 300/- |
सोयाबीन | 41000/- | 820/- |
जानिए किस प्रकार के नुकसान होने पर बीमित किसान को फसल बीमा कराने का क्या फायदा होता है
चूंकि आप जानतें होंगे कि फसल बीमा फसल बोने के पहले या उसी दौरान कराया जाता है। इस वर्ष खरीफ में फसल बीमा कराने का अंतिम तिथि 31 जुलाई 2024 थी, लेकिन किसानों का फसल बीमा पूर्ण ना होने के कारण यह अवधि 16 अगस्त 2024 तक बढ़ा दिया गया था। फसल बीमा की अवधि को बढ़ाना या घटाना राज्य सरकार के ऊपर होता है।
पटवारी एवं कृषि अधिकारियों द्वारा जब अंतिम सर्वे किया जाता है, दोनों मिलकर रैंडम विधि से चयनित 2+2=4 खेतों से नियम से फसल कटाई प्रयोग करके उससे जो फसल की रिपोर्ट बनाया जाता है और स्थिति निर्धारित होती है, वह पूरे गाँव के बीमित कृषकों के लिए होता है, भले ही किसी किसान विशेष का बहुत अच्छा ऊपज हुआ हो या फसल खराब हो गया हो।
अधिसूचित गाँव के आधार पर बुवाई या रोपाई ना होने पर
अगर किसी अधिसूचित गाँव में 75 % या इससे अधिक क्षेत्र में बुवाई या रोपाई नहीं हो पाती है तो, बीमित किसानों को बीमित राशि का अधिकतम 25 % राशि क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाता है। यह नियम सिर्फ धान फसल के लिए लागू है।
व्यक्तिगत आधार पर लाभ- स्थानीय आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान
जब किसी बीमित किसानों का फसल का नुकसान ओलावृष्टि, बादल फटना, आकाशीय बिजली से खड़ी फसल का जल जाना या अधिक बारिश से जल भराव (धान फसल को छोड़कर) होने वाले नुकसान शामिल है।
व्यक्तिगत आधार पर लाभ- फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान
अगर कोई किसान फसल काटकर या बांधकर अपने खेत में ही सूखने के लिए रखा हो, फसल कटाई के 14 दिनों के अंदर अगर ओलावृष्टि, चक्रवात, बेमौसम बारिश या अन्य प्राकृतिक आपदा आ जाने से फसल खराब होता है, तो भी किसानों को बीमा का लाभ दिया जाता है।
ऊपरोक्त कोई भी प्रकार का, किसी भी किसान को, अगर नुकसान होता है तो नुकसान के 72 घंटों के अंदर बीमा कंपनी को सूचना देना होता है, उसके बाद बीमा कंम्पनी अपने एजेंट को भेजकर खेत का वास्तविक निरीक्षण करातें हैं, उसके बाद जितना % का नुकसान हुआ रहता है, उतना % राशि किसानों को दिया जाता है।
नुकसान का सूचना बीमित किसान कंपनी का टोल फ्री नंबर जैसे -14447 पर कॉल करके या लोक सेवा केंद्र, कृषि विभाग, भारत सरकार का बीमा एप, राजस्व विभाग, अपने सहकारी समिति या जहां से बीमा कराएं हों उस बैंक में जाकर भी डे सकतें हैं।
अधिक जानकारी के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का ऑफिसियल वेबसाईट में जाकर पढ़ सकतें हैं- https://pmfby.gov.in/यह ऐप्लकैशन आपके मोबाईल में google play store में भी उपलब्ध है, जिसे डाउनलोड कर सकतें हैं- https://play.google.com/store/apps/details?id=in.farmguide.farmerapp.central&pcampaignid=web_share
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