Mahu ki Dawa (धान में भूरा माहू)
परिचय: जैसे ही धान में फूल आता है या बाली निकल जाती है, भूरा माहू का प्रकोप बढ़ जाता है। यह किट रात भर में फसल को सूखा सकता है। खासतौर से पेंड के नीचे का धान जल्दी प्रभावित होता है। आमतौर पर किसान 2-4 दिनों में अपने खेत देखने जाते हैं, लेकिन यह किट 2-4 दिन में फसल चौपट कर देता है। धान में लगने वाला माहू किट 4 प्रकार के होते हैं जैसे- हरा माहू, भूरा माहू, सफेद माहू और काला माहू। इसमें से भूरा माहू सबसे ज्यादा हानिकारक होता है।
किसानों के द्वारा लगातार दवाई डालने के बाद भी यह किट नियंत्रित नहीं होता, इसका मुख्य कारण सही दवाई का सही मात्रा और सही समय में उपयोग नहीं होना है। अधिकतर किसान भाई 2 से अधिक दवाईयों को एक साथ मिलाकर छिड़काव करतें हैं, ऐसे में यह सभी रसायन आपस में रिएक्शन करके प्रभावहीन हो जाता है या इसका प्रभाव कम हो जाता है। इसलिए ज्यादा दवाई को मिलाकर ना छिड़काव करें।
जब भी भूरा माहू के लिए दवाई छिड़काव करें तो शाम के समय छिड़काव करें। क्योंकी किट रात में अधिक सक्रिय रहते हैं और दिन के समय या पेड़, मेड या मिट्टी में छुपे होते हैं, इसलिए सुबह डाले गए दवाई ज्यादा अच्छे से काम नहीं कर पाता।
अधिकांश किसान दवाई का चयन दुकानदार के अनुसार खरीदते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए। इसके जगह किसान को अपने कृषि अधिकारी के सलाह से दवाई का चयन करके दवाई का छिड़काव करना चाहिए। क्योंकि कृषि अधिकारीयां कृषि की पढ़ाई किये होते हैं और एक्सपर्ट होते हैं। कृषि अधिकारियों को आपको सलाह देने से कोई निजी लाभ नहीं होता, इसलिए वह सिर्फ अच्छी चीजे ही आपको बताएंगे। अगर यह भी संभव ना हो तो आपको किसान कॉल सेंटर में कॉल करके दवाई पूछकर छिड़काव करना चाहिए। किसान कॉल सेंटर का नंबर है – 1800 180 1551
माहू की दवाई छिड़काव में लक्ष्मण रेखा का महत्व
चूंकि माहू उड़ने/फुदकने वाली किट है, जैसे ही हम दवाई डालते हैं और इनको पता चलता है, यह उड़ कर मेंड़ या दूसरों के खेत में चले जाता है और जब दवाई का असर कम होता है, पुनः वापस आ जाता है। इसलिए पहले खेत के चारों तरफ एक स्प्रैयर दवाई को घूमकर छिड़काव करना चाहिए। इससे फायदा यह होगा कि यह सभी किट किनारे से भाग कर दूसरे के खेत में नहीं जा पाएंगे और बीच खेत की ओर आने लगेंगे। इससे जब भी आप दवाई छिड़काव करेंगे तो वह अधिक प्रभावशाली होगा।
जहां माहू किट लगा हो वहाँ घेर बनाकर पौधों को अच्छी तरह नहलाएं, ताकि माहू किट नीचे साइड होता है, वहाँ दवाई पहुँच सके। इसके अलावा जिस दवाई में systemic लिखा होता है, ऐसे दवाई का छिड़काव करें। systemic लिखा वाला दवाई पौधों पर कहीं भी पड़े, पूरे पौधों के अंदर पहुँच जाते हैं। पौधे इसे अवशोषित कर लेते हैं। और जब माहू धान का रस चूसता है तब पौधों के रस मे मिले दवाई से वह मर जाता है।
खेत की निगरानी करते रहें , क्योंकी अचानक से धान पैरा नहीं होता। जैसे माहू का प्रकोप होता है, सबसे पहले वहाँ गोल घेरे में धान पीला पड़ता है, उसके बाद वह पौधा मरता है। क्योंकी पानी का अवशोषण रुक जाता है। इसलिए जैसे ही लक्षण दिखे, नीचे बताए गए कोई भी एक दवाई का तुरंत छिड़काव करें।
Mahu ki Dawa का प्रभावशाली फार्मूला
Quinolphos 25%EC 600 ml प्रति एकड़
Benzpyrimoxan 10%SC ka 400 ml प्रति एकड़
Fenobucarb 50%EC 600 ml प्रति एकड़
Imidachloprid 30.5%SC ka 30 ml प्रति एकड़
Pymetrozin 40% WG + Ethiprole 10.7% ka 170 gram प्रति एकड़
Dinetefuron 15% + Pymetrozin 45% WG ka 130 gram प्रति एकड़
Fenobucarb 20% + Buprofezin 5% 800 ml प्रति एकड़
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