Meditation (ध्यान)
ध्यान: एक अंतर्यात्रा (Meditation: An Inner Journey)
ध्यान, जिसे अंग्रेजी में मेडिटेशन (Meditation) कहते हैं, एक प्राचीन अभ्यास है जो मन को शांत और एकाग्र करने की एक तकनीक है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम ध्यान के अर्थ, लाभ, विधियाँ, अध्यात्म से संबंध और अलौकिक शक्तियों की संभावना पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ध्यान क्या है? (What is Meditation?)
ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को किसी एक वस्तु, विचार या गतिविधि पर केंद्रित करता है, ताकि वह मानसिक शांति और स्थिरता का अनुभव कर सके। यह विचारों के निरंतर प्रवाह को कम करने और वर्तमान क्षण में रहने की क्षमता विकसित करने का एक तरीका है। ध्यान का अभ्यास विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि साँसों पर ध्यान केंद्रित करना, मंत्रों का जाप करना, या किसी विशेष छवि पर ध्यान लगाना।
ध्यान के लाभ (Benefits of Meditation)
ध्यान के अनगिनत लाभ हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- तनाव कम करना (Stress Reduction): ध्यान तनाव हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।
- मानसिक शांति (Mental Peace): नियमित ध्यान अभ्यास से मन शांत होता है और भावनात्मक स्थिरता बढ़ती है।
- एकाग्रता में सुधार (Improved Concentration): ध्यान मन को केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे एकाग्रता और स्मृति में सुधार होता है।
- नींद में सुधार (Improved Sleep): ध्यान अनिद्रा की समस्या को दूर करने और गहरी नींद लाने में मदद करता है।
- भावनात्मक नियंत्रण (Emotional Control): ध्यान भावनाओं को नियंत्रित करने और आत्म-जागरूकता बढ़ाने में सहायक है।
- शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार (Improved Physical Health): कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि ध्यान रक्तचाप को कम करने, दर्द को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है।
ध्यान करने की विधि (Meditation Kaise Karte Hain?)
ध्यान करने के कई तरीके हैं, लेकिन यहाँ एक सरल विधि दी गई है जिसका पालन शुरुआती लोग कर सकते हैं:
- शांत जगह चुनें (Choose a quiet place): एक शांत और आरामदायक जगह चुनें जहाँ आपको कोई बाधा न हो।
- आरामदायक स्थिति में बैठें (Sit in a comfortable position): आप कुर्सी पर, फर्श पर या योगा मैट पर बैठ सकते हैं। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें लेकिन शरीर को तनाव न दें।
- आँखें बंद करें (Close your eyes): धीरे से अपनी आँखें बंद करें।
- साँसों पर ध्यान केंद्रित करें (Focus on your breath): अपनी साँसों की गति पर ध्यान दें। साँस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को महसूस करें।
- विचारों को आने-जाने दें (Let thoughts come and go): जब विचार आएँ, तो उन्हें रोकने की कोशिश न करें। बस उन्हें देखें और धीरे से अपना ध्यान वापस साँसों पर ले जाएँ।
- समय निर्धारित करें (Set a time limit): शुरुआत में 5-10 मिनट से शुरू करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
अध्यात्म और ध्यान (Spirituality and Meditation)
ध्यान का अध्यात्म से गहरा संबंध है। कई आध्यात्मिक परंपराओं में ध्यान को आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर से जुड़ने का एक मार्ग माना जाता है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपनी आंतरिक गहराई में उतरता है और अपने वास्तविक स्वरूप को जानने का प्रयास करता है।
क्या ध्यान से अलौकिक शक्ति मिलती है? (Does Meditation Give Supernatural Powers?)
कुछ लोग मानते हैं कि ध्यान के निरंतर अभ्यास से अलौकिक शक्तियाँ प्राप्त हो सकती हैं, जैसे कि टेलीपैथी, पूर्वज्ञान, या हीलिंग पावर। हालाँकि, वैज्ञानिक रूप से इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। ध्यान का मुख्य उद्देश्य मानसिक और आध्यात्मिक विकास है, न कि अलौकिक शक्तियों को प्राप्त करना।
उपयोगी वेबसाइट्स (Useful Websites)
ध्यान एक शक्तिशाली उपकरण है जो हमें शांति, स्थिरता और आत्म-ज्ञान की ओर ले जा सकता है। नियमित अभ्यास से हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
मेरा अनुभव (वास्तविकता)
मैं भी बहुत समय से ध्यान लगाना सिख रहा हूँ, लेकिन मन में बहुत सवाल आता है, की वास्तव में ध्यान कैसे करें। इसके संबंध में मैंने कई यूट्यूब से विडिओ भी देखा, मंदिरों के पुजारियों से बात करने की कोशिश किया, ध्यान से संबंधित व्यक्तियों से बात किया, कुछ संस्था में भी कुछ दिन जाकर देखा और इंटरनेट से बहुत सारे लेख पढ़ने की कोशिश किया। लेकिन सभी का ध्यान का तरीका अलग-अलग है। सब अलग-अलग बताते हैं। मैं संतुष्ट कभी नहीं हुआ, लेकिन मेरा मन और जानने की कोशिश करते रहता है, अभी भी मैं पुरी तरह से इसके रहस्य नहीं समझ पाया हूँ।
जब भी मैं आँख बंद करके अपने सांस में फोकस करना शुरू करता हूँ तो ध्यान अपने आप इधर-उधर जाता है, हाथ पैर या सिर आदि में अचानक हल्की खुजली होती है या कई बार मच्छर काट लेता है और हाथ उसके ओर चला जाता है। ऐसे में मैं सोचता था कि मैं अच्छे से ध्यान नहीं कर पा रहा हूँ , या मुझसे कुछ गलत हो रहा है क्या।
अपने लाइफ के विभिन्न अनुभवों और प्रयास के बाद मैं ध्यान का मतलब जागते-जागते सोना समझता हूँ, मेरे मायने में यह ध्यान है। मतलब जागते-जागते (बैठे-बैठे या किसी भी मुद्रा) जिसमें आप कम्फ्टबल हो, उसमें अपने आप आप को सुला देना या अनकौंसियस हो जाना ध्यान है। लेकिन अपने आप को इस लेवल पर ले जाने के लिए किसी एक चीज पर फोकस करना होता है, चाहे आप अपने सांस पर करो, आँख पर, आँखों के बीच में, हाथ पैर या आवाज, मंत्र, प्रकृति या कुछ भी जो आप चाहें। मतलब सबका एक ही फोकस।
ऐसे करने से दिमाग एक चीज पर फोकस हो जाता है और अन्य चीजों से अपना ध्यान हटा लेता है। लेकिन जब हम कोई एक चीज जैसे अपने सांस पर फोकस करते हैं तो हमारा ध्यान सांस से हट कर कहीं और चला जाता है और जब हमे पता चलता है कि मैं तो कहीं और चला गया, तो तुरंत अपने सांस पर पुनः ध्यान को केंद्रित करते हैं। और ऐसा करना भी है। ध्यान में बैठते वक्त अगर मन में कोई दुविधा हो, कुछ अधूरे काम हो या मन के हिसाब से अगर कुछ नहीं हो रहा है लगे तो मन जो बोले वही करो।
अगर मन के खिलाफ जाएंगे तो ध्यान संभव नहीं है, क्योंकि यहाँ जबरदस्ती कुछ नहीं होता, और ना ही हमे अपने दिमाग और शरीर के साथ कुछ जबरदस्ती करना है, जैसे खुजलाने का मन कर रहा है तो तुरंत खुजला लेना है, अगर मन सांस में फोकस से दूर कॉलेज साइड चला गया, दोस्तों के साइड चला गया तो उसी में मजा लेना है, मतलब मन जिधर लेजाए उधर चले जाना है।
यह सभी काम आँख बंद करके करना है। मैं मानता हूँ अगर ध्यान लगाने के समय ध्यान सांस से दूर कॉलेज साइड चला जाता है तो कॉलेज को ध्यान समझ लो, इससे कोई परेशानी नहीं है। इसे बहाने हम अपने मन को तो समझ पाएंगे। और यह कॉलेज की बात, दोस्तों की बात, घूमने फिरने का ध्यान, कितना आएगा। एक समय के बाद हमारा दिमाग खुद थक जाएगा, बोर हो जाएगा, कॉलेज साइड जा जा कर। जब दिमाग थक जाएगा तो खुद ही सांस या जो चीज आप चाहों उसपर केंद्रित हो जाएगा।
लेकिन केंद्रित होना तभी आप मानना जब आपको लगे की आपका शरीर अब शून्य हो गया है। इस अवस्था में आपको अपना सांस ले रहा हु, छोड़ रहा हूँ ऐसा नहीं लगेगा। ऐसे लगेगा जैसे आप कोई सपना देख रहे हो, यह अनुभव सैम सोने के बाद जब हम सपना देखते हैं, वैसा ही है। लेकिन ध्यान में सपने आप जागते -जागते देखते हैं और यह आपको याद रहता है जबकि सोने के बाद वाला सपना तुरंत भूल जाता है।
ध्यान लगाने से फायदा यह कि हम पर हमारा नियंत्रण बढ़ जाता है, इससे हम कोई भी काम करेंगे उसमें हमारा आब्ज़र्वैशन क्षमता, कार्यक्षमता बढ़ जाने से हमारा सफल होने के चांस बढ़ जाता है। दिमाग फिर हमारे हिसाब से काम करने लगता है ना कि हम दिमाग के हिसाब से। मेरे हिसाब से ध्यान करना मतलब आपने दिमाग को कंट्रोल करना होता है। क्योंकि दिमाग ही हमारे सफल और असफल होने का कारण होता है, हम सुनते हैं, हम बोलते हैं, हम पढ़ते हैं, हम लिखते हैं, हम सूंघते हैं, सोते हैं, जागते जागते हैं आदि सब कुछ हमारा दिमाग का ही खेल है।
जैसे मैं 10 बजे सोना चाहता हूँ लेकिन मेरा आदत है रात में 12 बजे सोने का तो मैं 10 बजे नहीं सो पाऊँगा, लेकिन अगर मेरा दिमाग मेरे नियंत्रण में है तो मैं तुरंत सो सकता हूँ, जब चाहू जाग सकता हूँ, पढे हुए चीजों को याद रख सकता हूँ, अधिक ध्यान पूर्वक पढ़ सकता हूँ, पढे हुए चीजों को समझ सकता हूँ। इसके कारण मेरे सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगा। जब हम अपने आप को समझ लेते हैं तो हमे अपने आप पर भरोसा बढ़ जाता है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
मतलब ध्यान मतलब आपने आप को, अपने दिमाग को, अपने शरीर को बारीकी से समझना है, इसके बाद आपने बाहर के लोगों, प्रकृति को समझना है। जब भी हमे ध्यान लगाना चाहिए तो मन को एक इन्स्ट्रक्शन जरूर देना चाहिए कि देखो मैं अभी ध्यान लगाने जा रहा हूँ, कितना समय तक लगाऊँगा यह मुझे नहीं पता, जितना भी काम पेंडिंग है उसे इसके बाद करेंगे, मैं अस्वस्त हूँ, तुम मुझे परेशान नहीं करना,बल्कि मेरा साथ देना। यह सब वास्तव में हम अपने आप को बोलते होते हैं। इससे हमारा तन और मन दोनों हमे ध्यान में मदद करता है।
ध्यान लगाना एक प्रैक्टिस का काम है, इसे निरंतर करते रहना ही इसे समझ पाने का एक मात्र जरिया है। इसलिए रोज या जब भी खाली समय मिले, इसे कोशिश जरूर करना चाहिए। ज्यादा रिसर्च करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन मन की संतुष्टि के लिए रिसर्च करना चाहिए। अगर सरल शब्दों में कहूँ तो आँख बंद करके किसी भी आराम दायक मुद्रा में बैठकर शांति पूर्वक कोई भी एक चीज को सोचना, अनुभव करना, मन से देखना या देखने का कोशिश करना ध्यान है।
मैं आपने लाइफ में सिर्फ एक ऐसे व्यक्ति को जनता हूँ जो पिछले 10-12 वर्षों से लगातार ध्यान लगाते हैं, बहुत ही ईमानदार व्यक्ति हैं, जो एक फूड इन्स्पेक्टर है। लेकिन अपने salery के अलावा एक रुपये भी किसी से नहीं लेते, कोई गलत काम नहीं, सभी जीव जंतुओं के लिए उनके मन में बहुत करुणा है। यह फौज से रिटायर्ड ऑफिसर हैं। इनसे बहुत कुछ सीखा और सुना हूँ। इनसे ध्यान के बारे में पूछता हूँ तो एक ही चीज बोलते हैं कि रोज प्रैक्टिस करो, रोज बैठो, ज्यादा सोचों मत।
नोट: ऊपर लिखा गया नोट मेरा अपना मानना है, मुझे नहीं पता कि मैं सहीं हूँ की गलत। इसलिए आप अपना फैसला अपने विवेक से करें, किसी जानकार व्यक्ति से संपर्क करें, जानकारी लें, मेरा अनुभव अगर आपके काम आता है तो इससे मुझे बहुत खुशी होगी।
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