सागरिका खाद (Sagarika Khad Iffco Company)
सागरिका समुद्री शैवाल से निकाला गया एक जैविक उत्पाद है, जिसे खेतों में उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह उत्पाद भारत में किसानों को बेहतर पैदावार देने में मदद कर रहा है।यह फसलों की वृद्धि और उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करता है। इस लेख में हम सागरिका के दानेदार रूप में उपयोग और पर्णीय छिड़काव के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सागरिका खाद क्या है?
- यह खाद Iffco कंपनी द्वारा बनाया गया है। जो कि खाद-उर्वरक बनाने वाली विश्वसनीय कंपनी है।
- समुद्री शैवाल से निर्मित: सागरिका को भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर पाए जाने वाले लाल समुद्री शैवाल से निकाला जाता है।
- पोषक तत्वों का खजाना: इसमें कई उपयोगी खनिज, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
- प्राकृतिक उर्वरक: यह एक प्राकृतिक उर्वरक है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करता है।
सागरिका का महत्व
सागरिका किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। यह न केवल फसलों की पैदावार बढ़ाता है बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधारता है। साथ ही, यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।
सागरिका खाद के फायदे
पैदावार में वृद्धि: सागरिका का उपयोग करने से फसलों की पैदावार में 11 से 36 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।
मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार: यह मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करके फसलों को स्वस्थ रखता है।
रसायनिक उर्वरकों का कम उपयोग: सागरिका के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों की मात्रा में कमी की जा सकती है।
पर्यावरण के लिए सुरक्षित: यह एक पर्यावरण-हितैषी उत्पाद है।
सागरिका खाद का उपयोग कैसे किया जाता है?
सागरिका खाद को विभिन्न तरीकों से विभिन्न फसलों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी सही मात्रा और उपयोग की विधि फसल के प्रकार और मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करती है।
मात्रा: 10 किलो प्रति एकड़
- उपयोग विधि: इसे सीधे खेत में मिला दें।
सागरिका का पर्णीय छिड़काव
- मात्रा: 250-500 मिलीलीटर प्रति एकड़
- विधि: 25 मिलीलीटर सागरिका को 10 लीटर पानी में घोलकर फसलों पर छिड़काव करें।
- ध्यान दें: पत्तियां पूरी तरह से गीली होनी चाहिए।
सागरिका का विभिन्न फसलों में पर्णीय छिड़काव
दी गई तालिका “सागरिका” नामक उत्पाद के विभिन्न फसलों पर पर्णीय छिड़काव (foliar spray) के समय को दर्शाती है। पर्णीय छिड़काव का मतलब है पत्तियों पर सीधे स्प्रे करना। सागरिका एक उर्वरक या पादप पोषक तत्व हो सकता है जो पौधों के विकास को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
क्र. | फसल | प्रथम छिड़काव | द्वितीय छिड़काव | तृतीय छिड़काव | चतुर्थ छिड़काव |
---|---|---|---|---|---|
1. | गन्ना | जमाव के 45 दिन पश्चात | जमाव के 90 दिन पश्चात | जमाव के 125 दिन पश्चात | – |
2. | धान | रोपाई के 25 दिन पश्चात | रोपाई के 40 दिन पश्चात | रोपाई के 60 दिन पश्चात | – |
3. | केला | रोपाई के 3 माह पश्चात | रोपाई के 5 माह पश्चात | फूल आते समय | फल लगने पर |
4. | दलहनी फसलें (मूंग एवं उड़द) | बुआई के 20 दिन पश्चात | फूल आने के पहले | फूल आने के बाद | – |
5. | सब्जियां (टमाटर, बैंगन, आलू, मिर्च एवं भिंडी) | लगाने के 20 दिन पश्चात | प्रथम छिड़काव के 20 दिन पश्चात | द्वितीय छिड़काव के 20 दिन पश्चात | – |
6. | सोयाबीन | बुआई के 30 दिन पश्चात | बुआई के 60 दिन पश्चात | – | – |
7. | अन्य फसलों के लिए | फूल एवं फल वाले पौधों के लिए 2-3 माह के अंतराल पर सागरिका का छिड़काव पैदावार में वृद्धि ला सकता है। | – | – | – |
टेबल का स्पष्टीकरण:
- जमाव: बीज बोने के बाद जब पौधा जमीन से बाहर निकलता है, तो उसे जमाव कहते हैं।
- रोपाई: छोटे पौधों को एक जगह से दूसरी जगह लगाना रोपाई कहलाता है (जैसे धान के पौधे)।
- तालिका में दिए गए दिनों की संख्या बुआई या रोपाई के बाद के दिनों को दर्शाती है जब पहला, दूसरा, तीसरा या चौथा छिड़काव करना चाहिए।
- केला के मामले में, छिड़काव माह (महीनों) में दिया गया है।
- अन्य फसलों के लिए, यह बताया गया है कि फूल और फल वाले पौधों के लिए 2-3 महीने के अंतराल पर छिड़काव किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण बातें:
- यह तालिका केवल एक मार्गदर्शन है। वास्तविक छिड़काव का समय क्षेत्र, जलवायु, और फसल की स्थिति के आधार पर भिन्न हो सकता है।
- बेहतर परिणामों के लिए, सागरिका के उत्पाद के लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
सागरिका खाद में उपलब्ध पोषक तत्व की मात्रा
सागरिका में मुख्य रूप से तीन प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं: मुख्य पोषक तत्व, द्वितीयक पोषक तत्व और सूक्ष्म पोषक तत्व। इसके अतिरिक्त, इसमें कुछ अन्य तत्व जैसे उत्प्रेरक, कुल एमिनो एसिड और विटामिन भी होते हैं।
1. मुख्य पोषक तत्व: ये पौधे के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं।
मुख्य पोषक तत्व | यूनिट | मात्रा |
---|---|---|
नत्रजन (N) | (%) | 0.12 – 0.35 |
स्फूर (P) | (%) | 0.05 – 0.10 |
पोटैशियम (K) | (%) | 15.0 – 18.5 |
- नत्रजन (N): पौधों की वृद्धि और पत्तियों के विकास के लिए आवश्यक है।
- स्फूर (P): जड़ों के विकास, फूलों और फलों के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
- पोटैशियम (K): पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
2. द्वितीयक पोषक तत्व: ये तत्व भी पौधों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मुख्य पोषक तत्वों की तुलना में कम मात्रा में आवश्यक होते हैं।
द्वितीयक पोषक तत्व | यूनिट | मात्रा |
---|---|---|
कैल्शियम (Ca) | (%) | 0.20 – 0.40 |
मैग्नीशियम (Mg) | (%) | 0.25 – 0.60 |
सल्फर (S) | (%) | 2.0 – 4.5 |
- कैल्शियम (Ca): कोशिका विभाजन और कोशिका भित्ति के निर्माण के लिए आवश्यक है।
- मैग्नीशियम (Mg): क्लोरोफिल के निर्माण और प्रकाश संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है।
- सल्फर (S): प्रोटीन और एंजाइम के निर्माण के लिए आवश्यक है।
3. सूक्ष्म पोषक तत्व: ये तत्व बहुत कम मात्रा में आवश्यक होते हैं, लेकिन पौधों के स्वस्थ विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
सूक्ष्म पोषक तत्व | यूनिट | मात्रा |
---|---|---|
जिंक (Zn) | (ppm) | 5 – 15 |
मैंगनीज (Mn) | (ppm) | 12 – 20 |
सोडियम (Na) | (%) | 1.2 – 3.5 |
लोहा (Fe) | (%) | 0.02 – 0.04 |
सिलिका (SiO2) | (%) | 1.2 – 3.5 |
तांबा (Cu) | (ppm) | 2.5 – 12.0 |
कोबाल्ट (Co) | (ppm) | 1.0 – 3.00 |
आयोडीन (I) | (%) | 0.3 – 0.8 |
- ये सभी तत्व विभिन्न एंजाइमेटिक क्रियाओं और पौधों के चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
4. अन्य पोषक तत्व:
अन्य तत्व | यूनिट | मात्रा |
---|---|---|
पौध वृद्धि उत्प्रेरक (PGP) | (ppm) | 1200 – 2200 |
कुल एमिनो एसिड | (%) | 0.35 – 0.6 |
विटामिन्स | (%) | 5.0 – 8.0 |
- पौध वृद्धि उत्प्रेरक (PGP): पौधों की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देते हैं।
- कुल एमिनो एसिड: प्रोटीन के निर्माण खंड हैं और पौधों के चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- विटामिन्स: विभिन्न जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए आवश्यक हैं।
नोट: ppm का अर्थ है पार्ट्स पर मिलियन. यह एक सांद्रता का माप है। इसका मतलब 1 मिलीग्राम (mg) खाद 1 लिटर पानी के दर से मिलाना है।
निष्कर्ष:
सागरिका एक ऐसा जैविक उत्पाद है जो भारतीय कृषि के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। यह उत्पाद किसानों को अधिक मुनाफा कमाने में मदद कर रहा है और साथ ही पर्यावरण को भी बचा रहा है।
कृपया ध्यान दें:
यह लेख केवल जानकारीपूर्ण है और इसे किसी भी पेशेवर सलाह के विकल्प के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी कृषि संबंधी समस्या के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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