बीज उत्पादन कार्यक्रम 2024
परिचय
किसानों की आय बढ़ाना भारत सरकार की प्राथमिकता है। हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है, जहां किसानों की मेहनत से देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है। हाल के वर्षों में, किसानों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें से एक है किसान बीज निगम। इसके माध्यम से किसानों के द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन कराया जाता है । यह न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायक है, बल्कि देश की बीज गुणवत्ता में सुधार भी करता है। अगर किसान सहकारी समितियों के माध्यम से बीज उत्पादन करें, तो यह उनके लिए एक मुनाफेदार और स्थायी आय का जरिया बन सकता है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि किसान बीज निगम से जुड़कर कैसे बीज उत्पादन करें, इसकी प्रक्रिया, लाभ, और बीज उत्पादन करके कैसे मोटी कमाई कर सकते हैं। इस क्षेत्र में सफलता के लिए क्या-क्या जरूरी है।
बीज उत्पादन की आवश्यकता और महत्व
भारत में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की मांग लगातार बढ़ रही है। अच्छे बीज न केवल फसल की उत्पादकता बढ़ाते हैं, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करते हैं। हालांकि, अधिकांश किसान पारंपरिक बीजों का उपयोग करते हैं, जिससे उत्पादकता सीमित रहती है। मतलब उत्पादन बहुत कम आता है। इसलिए शासन किसानों को सहकारी समिति केंद्रों के माध्यम से प्रमणित बीज किसानों को उपलब्ध कराती है, ताकि उत्पादन बढ़े। सहकारी समिति या कृषि विभाग के द्वारा देने वाले बीज भी किसानों के माध्यम से उत्पादित किया गया होता है। जिसमें आप भी भाग ले सकतें हैं।
बीज निगम किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन में सहायता करता है। इसके तहत, किसानों को प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तीय मदद मिलती है। बीज उत्पादन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम निवेश में अधिक लाभ कमाया जा सकता है। यह व्यवसाय तकनीकी रूप से थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सरकार और बीज निगम किसानों को हर संभव मदद प्रदान करते हैं। बीज उत्पादन के निम्नलिखित लाभ हैं:
- उच्च आय: बीज उत्पादन से अन्य फसलों के मुकाबले अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।
- नई तकनीकों का ज्ञान: बीज उत्पादन के दौरान किसानों को नई कृषि तकनीकों का ज्ञान प्राप्त होता है।
- आत्मनिर्भरता: बीज उत्पादन से किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
- समाज सेवा: बीज उत्पादन करके किसान देश के कृषि विकास में योगदान देते हैं।
किसान बीज निगम से बीज उत्पादन का मॉडल
1. पंजीकरण और चयन प्रक्रिया
बीज उत्पादन में शामिल होने के लिए किसान को अपने जिले अंतर्गत आने वाले बीज निगम संस्था के साथ बीज उत्पादन के लिए पंजीकरण करना होता है।
- आवश्यक दस्तावेज: आवेदन पत्र के साथ किसान का आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, बी-1, पी-2 फसल विवरण, मोबइल नंबर, बीज के पैकेट में लगे टैग एवं अगर बीज कृषि विभाग के माध्यम से उपलब्ध हुई हो तो उसका बिल ।
- चयन मानदंड: किसानों के पास उपयुक्त भूमि होनी चाहिए, और वे निगम के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हों। इसके लिए कम से कम 2.5 एकड़ में बीज उत्पादन करना होता है। इससे कम के लिए चयन नहीं करते हैं। कुछ मामलों में धान और गेहूं जैसे अनाज वाली फसलों के लिए 2 एकड़ में भी बीज उत्पादन के लिए भाग लिया जा सकता है।
2. बीज निगम द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता
- उन्नत बीज: निगम किसानों को बीज उत्पादन के लिए उन्नत और प्रमाणित बीज उपलब्ध कराता है। जैसे- आधार बीज, रेजिस्टर्ड बीज या प्रमाणित बीज का Certified-1 बीज।
- तकनीकी मार्गदर्शन: बीज उत्पादन में नवीनतम तकनीकों और प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाती है।
- वित्तीय मदद: बीज उत्पादन में आने वाले खर्चों के लिए सब्सिडी प्रदान किए जाते हैं। जैसे- परिवहन व्यय आदि।
- मार्केटिंग सपोर्ट: बीज निगम द्वारा किसानों से चाही गई गुणवत्ता युक्त बीज समिति द्वारा निर्धारित मूल्य पर खरीदी जाती है।
3. बीज उत्पादन की प्रक्रिया
- भूमि का चयन: बीज उत्पादन के लिए उपजाऊ और रोगमुक्त भूमि की आवश्यकता होती है।
- फसल की देखभाल: पौधों की सही मात्रा, समय पर सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और संतुलित खाद का उपयोग जरूरी है।
- गुणवत्ता नियंत्रण: बीज उत्पादन के हर चरण में गुणवत्ता पर निगरानी रखी जाती है। इसके लिए इस इन्स्पेक्टर होते हैं, जो समय-समय आपके खेत का भ्रमण कर गुणवत्ता का निरीक्षण करते हैं। जब फसल कटाई के लायक हो जाता है या कटाई हो जाती है तब seed inspector द्वारा अपने मोबइल से अनुमानित का फिक्स कितने क्विंटल उत्पादन हुआ है, उसे online करते हैं। इस online किये गए डाटा के हिसाब से बीज निगम उतना ही मात्रा में किसानों से बीज खरीदती है।
4. प्रमाणन प्रक्रिया
फसल कटाई के बाद, बीजों को बीज निगम एवं सरकारी एजेंसियों या लैब द्वारा प्रमाणित किया जाता है। प्रमाणित बीजों की बाजार में अधिक मांग होती है और ये अधिक मूल्य पर बिकते हैं। लगभग लैब में 20 प्रकार का टेस्ट होता है। उसके बाद किसानों का बीज पास होता है।
बीज उत्पादन की प्रक्रिया
बीज उत्पादन की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है:
- बीज का चयन: किसानों को बीज निगम द्वारा अनुमोदित बीज का चयन करना होता है।
- खेत की तैयारी: बीज बोने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है।
- बीज बोना: बीज को निर्धारित दूरी और गहराई पर बोया जाता है।
- खरपतवार नियंत्रण: खेत में उगने वाले खरपतवारों को समय-समय पर नियंत्रित किया जाता है।
- कीट नियंत्रण: फसल को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।
- सिंचाई: फसल को समय-समय पर सिंचाई की जाती है।
- कटाई: फसल पकने पर उसे काटा जाता है।
- थ्रेसिंग: कटे हुए फसल से दानों को अलग किया जाता है।
- सफाई: दानों को साफ किया जाता है और उनमें से बीज को अलग किया जाता है।
- बीज निगम को विक्रय: उत्पादित बीज को बीज निगम को बेचा जाता है।
बीज उत्पादन कार्यक्रम में लगने वाले पंजीयन शुल्क
यह शुल्क छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए है, अलग-अलग राज्यों में यह शुल्क थोड़ा कम -ज्यादा हो सकता है।
- पंजीयन शुल्क- 85 रुपये (यह सिर्फ एक बार लगता है)
- निरीक्षण शुल्क- 400 रुपये प्रति हेक्टेयर
- बीज परीक्षण शुल्क- 200 रुपये (एक बार)
- बीज स्वास्थ्य परीक्षण शुल्क- 75 रुपये (यह शुल्क सिर्फ अनाज वाली फसलों में लगता है)
बीज का भुगतान का प्रक्रिया
जैसे किसानों द्वारा फसलों की कटाई करते मिसाई कर लेते हैं, उसके बाद उसे बीज निगम अपने खर्च में ले जाया जाता है। हालांकि बाद में परिवहन में जो भी खर्च आता है, बीज निगम किसानों को भुगतान करती है। किसानों के बीज का पहले ग्रेडिंग किया जाता है, जो बीज छोटे य कमजोर होते हैं, उसे किसानों को वापस कर दिया जाता है, जिसे किसान बाजार में अपने हिसाब से बेच सकतें हैं। उसके बाद ग्रेडिंग के बाद जो स्वस्थ बीज बचता है, उसे तौल कर किसान द्वारा जो भी फसल का बीज उत्पादन किये होतें हैं, उसके निर्धारित रेट के 50% पहले भुगतान करती है।
उसके बाद किसान का बीज टेस्टिंग के लिए लैब भेजा जाता है। लैब में लगभग 20 प्रकार का टेस्ट होता है, सभी टेस्टों में जब बीज पास हो जाता है, तब किसानों को परिवहन शुल्क मिलाकर शेष राशि का भुगतान उनके बैंक खाते में कर दिया जाता है। और अगर बीज फैल हो जाता है तब पूर्ण बीज किसानों को वापस कर दिया जाता है। जिसे किसान बाजार में बेच सकतें हैं।
किसानों द्वारा उत्पादित बीज को बीज निगम कितने में खरीदती है?
किसानों द्वारा उत्पादित बीज को बीज निगम द्वारा कितने रुपये प्रति क्विंटल में खरीदेगी, इसको निर्धारित करने के लिए राज्य लेवल का समिति होती है। समिति के द्वारा बीज का रेट प्रत्येक वर्ष तय की जाती है। जैसे- चना का पिछले साल 8200 रुपये प्रति क्विंटल रेट मिला था, और धान का 3900 रुपये प्रति क्विंटल रेट मिला था। बीज का रेट हर साल बदलते रहता है। आमतौर पर अनाज वाली फसलों का रेट समर्थन मूल्य से 500-700 रुपये ज्यादा होता है और दलहन तिलहन फसलों का बीज रेट 1000-1200 रुपये ज्यादा होता है।
अगर कोई किसान बीज उत्पादन कार्यक्रम में भाग लिए होते हैं तो उनका बीज को बीज निगम खरीदती है इसलिए उसे धान खरीदी केंद्र में समर्थन मूल्य में नहीं बेचा जा सकता है।
बीज उत्पादन से होने वाले लाभ
1. आर्थिक लाभ
बीज उत्पादन पारंपरिक खेती के मुकाबले अधिक मुनाफेदार है। प्रमाणित बीज की मांग और कीमत दोनों अधिक होती हैं। इससे आप समर्थन मूल्य से अधिक पैसे कमा सकते हैं।
2. सतत आय का स्रोत
बीज उत्पादन हर मौसम में आय का स्रोत बन सकता है। इससे किसान मौसमी खेती पर निर्भर नहीं रहते।
3. सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन
सरकार बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और अन्य सुविधाएं प्रदान करती है।
4. स्थानीय रोजगार सृजन
सहकारी समितियों के माध्यम से बीज उत्पादन में स्थानीय श्रमिकों को रोजगार मिलता है।
5. कृषि क्षेत्र का विकास
बीज उत्पादन किसानों को आत्मनिर्भर बनाता है और उनके जीवन स्तर को सुधारता है।
स्वस्थ बीज उत्पादन के लिए सुझाव
बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उत्पादन प्रक्रिया के हर चरण में सतर्क रहें।
- अच्छी किस्मों का चयन करें: उच्च उपज देने वाली बीज किस्मों का चयन करें।
- खेत की उर्वरकता बनाए रखें: खेत की उर्वरकता बनाए रखने के लिए उर्वरकों का उपयोग करें।
- कीटों और रोगों से बचाव करें: फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए आवश्यक उपाय करें।
- समय पर सिंचाई करें: फसल को समय पर सिंचाई करें।
- बीज निगम के साथ नियमित संपर्क रखें: बीज निगम के साथ नियमित संपर्क रखें।
- खरपतवार नियंत्रण: बीज उत्पादन करने वाले खेत को हमेशा खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए, खरपतवार उत्पादित बीज का गुणवत्ता खराब कर देता है। खरपतवार के अलावा अन्य किस्मों के पौधों को भी पहचान कर उसे निकालना बहुत जरूरी होता है।
- तकनीकी उपकरणों का उपयोग: आधुनिक कृषि उपकरण और मशीनें बीज उत्पादन को अधिक कुशल और प्रभावी बनाती हैं।
बीज उत्पादन कार्यक्रम में भाग लेने का अंतिम तिथि
- रबी सीजन में 15 दिसंबर होता है।
- खरीफ सीजन में 15 अगस्त होता है।
अंतिम तिथि से पहले किसानों को बीज निगम या अपने कृषि अधिकारीयों से संपर्क कर फॉर्म भर लेना चाहिए। अंतिम तिथि का इंतजार नहीं करना चाहिए, क्योंकि फॉर्म का विभिन्न औपचारिकता पूर्ण करने में समय लगता है।
निष्कर्ष
किसान बीज निगम के साथ जुड़कर और सहकारी समितियों के माध्यम से बीज उत्पादन में भाग लेकर किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं। यह न केवल उनके आर्थिक विकास में सहायक है, बल्कि देश में कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने का भी एक प्रभावी तरीका है। इसलिए, किसानों को चाहिए कि वे बीज उत्पादन को अपनाएं और इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करें।
सरकार की ओर से तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तीय मदद से यह काम और भी आसान हो जाता है। सही प्रशिक्षण, तकनीकी ज्ञान, और सामूहिक प्रयासों के साथ किसान इस क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकते हैं।
सलाह
अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।
तो क्यों न आज ही इस दिशा में कदम बढ़ाएं और बीज उत्पादन के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करें?
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