शेयर बाजार (Share Bazaar) में मेरी कहानी
परिचय: इस लेख में मैं आपसे अपना अनुभव शेयर करूंगी । मैं 2018 से शेयर बाजार को समझने की कोशिश कर रही हूँ और थोड़ा-थोड़ा इनवेस्टमेंट कर रही हूँ। इस लेख में जो भी बताऊँगी ओ मेरा वास्तविक अनुभव और जो मैंने इतने समय में सीखा है, वही सब इस लेख में आपलोग से साझा कर रही हूँ। इस लेख को पढ़ने से आपको जरूर कुछ ना कुछ सीखने को मिलेगा, जो आपके बहुत काम आ सकता है। अनुभव पैसे से नहीं खरीदा जा सकता, सिर्फ समय खर्च कर पाया जाता है, और समय पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। इसलिए इस पोस्ट को जरूर पढ़ें।
शेयर बाजार में मेरा सफर शुरू हुआ 2018 के फरवरी-मार्च महीने में। मैं उस समय कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी। एक दिन मेरा रूम पार्टनर मोबाईल में किसी से अपने उधारी दिया हुआ पैसा मांग रही थी, जिसपर उसका दोस्त बोल रहा था कि वह पैसा वह शेयर बाजार में लगा दिया है, जिसे निकालने में 2-3 दिन समय लगेगा। यह बात मैं सुनी तो मुझे जानने का जिज्ञासा हुआ कि यह क्या चीज है और इसमें वह अपना पैसा क्यूँ लगा रखा है।
चूंकि मेरा शुरू से एक आदत है कि अगर मैं कुछ अलग सी बात सुनती हूँ तो उसे जानने की कोशिस जरूर करती हूँ, इसलिए मैंने अपने रूम मेट से पूछा कि ये शेयर बाजार क्या चीज है, क्या हुआ तेरे साथ। तो मेरी रूम मेट को इसके बारे में कुछ नहीं पता है बताई। लेकिन आज का समय मोबाईल और इंटरनेट का समय है। आज आप गूगल से कोई भी सवाल कर सकते हो, उसका सहीं जवाब आपको आसानी से मिल जाता है।
मैंने इस पर बहुत सारे यूट्यूब पर विडिओ देखि, इंटरनेट से पढ़ा। कुछ दोस्तों से चर्चा किया कि क्या कोई ऐसे लोगों को जानती है जो शेयर बाजार पर पैसा लगाता है या लगती हो। लेकिन मेरे परिचित में ऐसा कोई नहीं मिला।
अब मेरा सहारा सिर्फ इंटरनेट और यूट्यूब मात्रा था। लेकिन इसको जानना चाहती थी। यूट्यूब पर शेयर बाजार का कई विडिओ देखा, इससे यह बात तो समझ आ गया था कि इसमें बहुत पैसा है। इसलिए मैं अपना एक Demat Account अपने मोबाईल से ही खोली। लेकिन Online account खोलने से मेरे साथ कुछ fraud ना हो जाए, इसलिए डरती भी थी। पता चला गलत जगह अकाउंट खोला और पूरा पैसा गायब। इसलिए पहले Demat Account खोलने SBI गया, वहाँ बोले उनलोग नहीं खोलते, आप ऐक्सिस बैंक चले जाइए।
मैंने वहाँ भी गया तो मुझे बैंक वाले बोले कि पहले वहाँ सेविंग खाता खोलाना पड़ेगा उसके बाद वहाँ Demat Account खुल जाएगा। उनके द्वारा दूसरा विकल्प बताया गया कि अगर आप सेविंग खाता नहीं खोलाना चाहते तो कई Online ब्रोकर है, जिसमें आप अपना Demat Account खोल सकतें हैं, और यह सैफ है। डरने की जरूरत नहीं है। हम लोग भी ऐसे ही खाता खोले हैं।
उनकी यह बात सुनकर थोड़ा आत्मविश्वास आया और यूट्यूब में सबसे अच्छा Demat Account किसका होता है, सर्च किया। लगभग 5 ब्रोकर जैसे – Zerodha, Angel one (पहले इसका नाम ऐन्जल ब्रोकिंग था), upstox, ShareKhan और 5 Paisa को सबसे अच्छा बताया जा रहा था। जिसमें से मैंने सबसे पुराना और सीखने के लिए अधिक ऑप्शन रहने के कारण Angel one को सिलेक्ट किया। इसमें अपना Demat Account अपने मोबाईल से खोला।
अकाउंट तो बना लिया लेकिन मेरे मन में अनगिनत सवाल था। मैंने पहले 100 रुपया डालकर पैसा डालना और निकालना सीखा और देखा कितने समय में पैसा हमारे सैविंग खाता से Demat Account में चला जाता और कैसे करतें हैं। इसके बाद Demat अकाउंट से पुनः अपने Saving खाता में कैसे लाते हैं, यह सब अनुभव किया। तो मैंने देखा सैविंग अकाउंट से Demat Account में पैसा तुरंत फोनपे या Paytm से चला जाता है। इसके लिए Upi या Net Banking होना बहुत जरूरी है, लेकिन Demat Account से Saving Account में पैसा Transfer करने में 2-3 वर्किंग दिन लग जाता है।
मैंने शुरू में यही 100 रुपये से सस्ता शेयर खरीदना और बेचना सीखा, ऑर्डर लगाना सीखा। यूट्यूब से देख-देख कर Angel one का विभिन्न Function को सीखने का कोशिश करती रही, जैसे बाजार कैसे काम करता है,और भी बहुत कुछ।
मैंने यूट्यूब से देख कर ऑप्शन ट्रैडिंग करना चालू कर दी, लगभग 20000 रुपये से। शुरू का 2-3 ट्रैड में मुझे फायदा हुआ, इससे मेरा आत्मा विश्वास बढ़ा लेकिन बिना जानकारी, अनुभव का ये सब सिर्फ नुकसान ही करता है। धीरे-धीरे मेरा लगभग 12000 रुपये नुकसान हो गया। तो डर में बाँकी पैसा मैंने निकाल लिया। लेकिन और विडिओ देखा और Motivate होकर बचे 8000 रुपये से पुनः चालू किया, फिर थोड़ा-थोड़ा करके पूरा पैसा खत्म हो गया।
इसके बाद भी मैंने नहीं रुका, यूट्यूब देख-देख के पुनः ऑप्शन ट्रैडिंग चालू किया। इसबार तो लगभग 46000 रुपये मेरे खाता में था, 1000 छोड़कर सब को Demat Account में Transfer कर दिया। पहले दिन लगभग 2300 रुपये, 1200 ऐसे छोटा-छोटा प्रॉफ़िट लेकर निकल जाता था, ऐसे करके लगभग 6-7000 रुपये कमाई थी। लेकिन एक दिन जैसा सोच कर ट्रैडिंग चालू किया वैसा नहीं हुआ, मार्केट Opposite Direction में चलने लगी, मेरा लगभग 6000 रुपये देखते ही देखते लॉस में चला गया, लेकिन मैं शाम तक रिकवर करेगा करके बना रहा, लेकिन नहीं रिकवर हुआ।
फिर मैंने सोचा इतना लॉस हो चुका है तो कल सुबह तक देखते हैं, क्या पता कल रिकवर हो जाए। लेकिन जस्ट उल्टा हुआ, मार्केट Gap down ओपन हुआ और मेरा 10000 से ज्यादा लॉस हो गया, लेकिन कुछ समय तक देखा, रिकवर नहीं हुआ तो मई लगभग 10000 के नुकसान में निकल गई ।
लेकिन ऐसे लगता था कि एक बार सब लॉस रिकवर हो जाए फिर कभी ट्रैडिंग नहीं करूंगा, ऐसा सोचकर फिर 10000 रुपये से ट्रैडिंग चालू किया। इस बार छोटी-छोटी कमाई हुई लेकिन छोटी प्रॉफ़िट में मैं निकल जाती थी, फिर एक दिन ऐसा हुआ कि 2500 तक लॉस में चला गया, लेकिन इस बार मैंने सोचा कि चलो देखते हैं कि क्या होता है, मैंने पूरा हफ्ता इंतजार किया की आज रिकवर करेगा या कल, लेकिन Market में तेजी रहने के बाद भी मेरा वाला कान्ट्रैक्ट बहुत माइनर ग्रोथ होता और अंत में बाजार Positive होने के बाद भी माइनस में चला जाता था।
मुझे समझ नहीं आ रहा था, ऐसा क्यों हो रहा है। बाजार ठीक है फिर भी मुझे लॉस ही क्यों हो रहा है, कान्ट्रैक्ट का Expiry के दिन तो पूरा पैसा 0.5 रुपये बचा। मतलब पूरा 10000 रुपये खत्म हो गया।
इससे मैंने एक बात सीखी कि बिना अच्छी जानकारी, अनुभव, सब्र के फायदा नहीं हो सकता। मार्केट को बहुत ज्यादा सीखने की जरूरत है। जब तक एक-एक चीज के बारे में अच्छी जानकारी ना हो फायदा नहीं होगा। बिना जानकारी के तुक्का मारना बहुत गलत है।
इस दौरान मैंने एक चीज और नोटिस किया कि ऐन्जल वन बहुत चार्ज काटता है, इसीलिए मैंने Upstox में भी Account बना लिया, इसका चार्ज उस समय Angel one से कम था, लेकिन आज देखती हूँ तो upstox तो angel one से भी ज्यादा चार्ज काटता है। इसलिए मैंने Zerodha में भी एक Account खोल लिया। अगर आज के समय में मुझे यह तीनों में सबसे अच्छा कोई लगता है तो वह Zerodha है। यह बहुत कम पैसा काटता है। ओवरऑल देखने के लिए मुझे Angel one अच्छा लगता है, लेकिन ट्रैडिंग या इनवेस्टमेंट मई सिर्फ Zerodha में करती हूँ।
वर्तमान में मैं मेरे पास जो भी पैसा बचता है उसे ETF, कुछ म्यूचूअल फंड और डायरेक्ट शेयर में इनवेस्टमेंट करती हूँ। और मैं इससे खुश हूँ। इसमें रिस्क बहुत कम है, पैसा भी कम है, लेकिन अच्छा है। टेंशन कम होता है। चूंकि मैं एक्सपर्ट नहीं हूँ और सीखने में ज्यादा समय नहीं दे पाती, इसलिए मुझे अपने लिए इनवेस्टमेंट करना ज्यादा सही लगता है।
अब मैं नीचे कुछ आवश्यक अनुभव/समझ साझा कर रही हूँ, हो सकता है कुछ में मैं गलत भी होऊँगी लेकिन आप लोग अपने विवेक से समझें-
शेयर बाजार क्या है?
ऐसा online Platform जहां किसी कंपनी का शेयर की खरीदी बिक्री होती है। लेकिन यहाँ सिर्फ शेयर ही नहीं बल्कि Commodity जैसे- गोल्ड सिल्वर, कान्ट्रैक्ट और बॉन्ड आदि भी खरीदा-बेचा जाता है। इसके अलावा म्यूचूअल फंड में SIP भी किया जाता है।
निफ्टी (NIFTY) क्या है?
यह NSE का एक इंडेक्स है, जो 50 विभिन्न क्षेत्रों के शेयरों का Average होता है। आमतौर पर 13 सेक्टर या इससे अधिक सेक्टर का शेयर शामिल किया गया होता है। इंडेक्स मतलब शेयर बाजार का दिशा बताने वाला सूचकांग होता है। इसका उपयोग प्रति दिन या आजतक का बाजार की स्थिति देखने के लिए उपयोग करतें हैं। इसी के आधार पर बोलते हैं कि आज निफ्टी ….इतने प्रतिशत बढ़ा है या घटा है। अगर कहा जाए तो सेंसेक्स और यह शेयर बाजार को Represent करता है।
सेंसेक्स (SENSEX) क्या है?
यह BSE का इंडेक्स होता है। यह भी निफ्टी जैसा ही होता है लेकिन यह केवल 30 शेयरों का Average होता है।
बैंकनिफ्टी (BANKNIFTY) क्या है?
यह टॉप 12 बैंकों का Average होता है। इसके माध्यम से बैंक सेक्टर का शेयर बाजार में परफॉरमेंस देखा जाता है।
फिननिफ्टी (FINNIFTY)क्या है?
यह 20 फाइनैन्स से संबंधित शेयरों का Average होता है। इसमें कुछ बैंक के शेयर भी शामिल होतें हैं।
निफ्टी नेक्स्ट 50 (NIFTYNXT50) क्या होता है?
जैसे निफ्टी के अंदर टॉप 50 शेयर होतें हैं, और निफ्टी इनका Average होता है, वैसे ही अगला टॉप 50 शेयरों को निफ्टी नेक्स्ट 50 में शामिल किया जाता है। इसका Average को निफ्टी नेक्स्ट 50 कहा जाता है।
AMERICAN SHARE MARKET INDEX NAME (USA)
- DOW JONES
- NASDAQ
- RUSSELL 2000
- S&P 500
- TSX
- DOLLER INDEX
- US 10 YR TREASURY
जैसे हमारे इंडियन मार्केट में निफ्टी, सेंसेक्स, बैंकनिफ्टी होता है वैसे ही यह सभी USA का शेयर बाजार का इंडेक्स है। इसको देख कर हम अपने मार्केट की स्थिति का अनुमान लगा सकतें हैं, क्योंकि इंडियन शेयर बाजार में बहुत सारे विदेशी/अमेरिकन कॉम्पनी भी पैसा लगाती है। वैसे हमारे इंडियन शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले मार्केट में USA, सिंगापूर, जापान एवं चीन प्रमुख है।
EUROPE SHARE MARKET INDEX NAME
USA भी EUROPE महाद्वीप में आता है, लेकिन अलग-अलग देशों का अलग-अलग शेयर बाजार होता है। जिसमें USA प्रमुख है। अन्य में जैसे-
- CAC 40
- FTSE 100
- OMX
- DAX
ASIAN SHARE BAZAR INDEX
- HANG SENG
- NIKKEI 225
शेयर बाजार काम कैसे करता है? शेयर बाजार का Basic Knowledge
शेयर बाजार का शुरुवात दलाल स्ट्रीट मुंबई में हुई थी, यह किसी भी कंपनी को अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए पब्लिक से पैसा जुटाने के एक तरीका है। इससे कंपनी को पैसा मिलता है और लोगों को उसमें हिस्सेदारी मिलती है। सभी कॉम्पनी का तिमाही-वार्षिक रिपोर्ट आता है, जिसमें अगर कॉम्पनी को अगर फायदा हुआ रहता है तो वह फायदे का कुछ हिस्सा अपने शेयर धारकों में बाँट देती है, इसी को Devident मिलना कहतें हैं।
जब भी किसी कॉम्पनी को पैसे की जरूरत होती है तो वह SEBI (सिक्युरिटी एण्ड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के पास जाकर आवेदन करता है। सेबी उनका कॉम्पनी का अनैलिसिस करके IPO लाता है। IPO का मतलब Initial Public Offering मतलब जनता को बोलती है, इतने से इतने तारीख तक कोई भी इस कॉम्पनी में अपने हिस्सेदारी खरीदना चाहता हो आवेदन कर सकता है।
इसके बाद कब शेयर Disbursement होगा वह डेट भी बताया जाता है। मतलब इस दिन किसको-किसको शेयर मिलना है, मिलता है। और जिनको नहीं मिलता उनको पैसा रिफन्ड कर दिया जाता है। इसके बाद उस कॉम्पनी का शेयर आम आदमी के खरीदी-बिक्री के लिए पब्लिक हो जाता है, इसे शेयर का लिस्टिंग होना कहतें हैं। शेयर का विनिमय करने के लिए हमारे देश में 2 कॉम्पनी या बोर्ड है, बोल सकतें हैं। पहला है BSE (Bombay Stock Exchange) और NSE (National Stock Exchange)। इसमें से BSE पुराना और प्राइवेट है जबकि NSE शासन का है।
आज के समय में जो भी शेयर बाजार में आता है, वह दोनों एक्सचेंज में listed रहता है। जैसे किसी कॉम्पनी का शेयर बाजार में लिस्टिंग हो जाता है फिर कोई भी इसको अन्य शेयर के जैसे ही खरीद सकता है। जब भी कोई कॉम्पनी का IPO आता है, उस समय उसका प्रति शेयर कितना रेट रहेगा, वह निर्धारित रहती है। लेकिन जब बाजार में यह पब्लिक हो जाता है तब इसका प्राइस वास्तविक प्राइस से कम रहेगा या बढ़ेगा, यह पूरा उस शेयर को पब्लिक कितनी खरीद रही है या बेच रही है, उसपर निर्भर करता है। शेयर का रेट कम होने या बढ़ने से शेयर का संख्या कम या ज्यादा नहीं होता, वह फिक्स रहता है।
जैसे- बाजार में आम जब कम आता है और खरीदने वाले अधिक होतें हैं तो आम 150-200 या उससे अधिक रेट पर बिकता है। लेकिन जब बाजार में आम ज्यादा आने लगता है तब मांग कम और पूर्ति ज्यादा होने लगती है तब आम 50-60 रुपये किलो में भी लोग खरीदते नहीं है।
तब बेचने वाले इसका रेट और गिराकर बेचते हैं। अगर किसी शेयर का रेट बढ़ रहा है तो समझिए उसका Demand ज्यादा है लेकिन सप्लाइ कम है, मतलब लोग उस शेयर को बेचने के बजाय और खरीदना पसंद कर रहें हैं, इसलिए बढ़ –बढ़ कर बोली लगा रहें हैं। इसी सिद्धांत पर पूरा शेयर बाजार काम करता है। इस बात को अगर कोई अच्छी तरह समझ जाए तो वह शेयर बाजार में अच्छी कमाई कर सकता है।
लेकिन बाजार में कौन सी शेयर का मांग बढ़ेगा/घटेगा या सप्लाइ बढ़ेगा/घटेगा, यह पुरी तरह निर्भर करता है उस कॉम्पनी के परफॉरमेंस और बाजार का न्यूज के ऊपर। इसलिए न्यूज में अपडेट रहना बहुत जरूरी है। किसी कॉम्पनी के परफॉरमेंस जानना भी बहुत आसान है, इसके लिए आपको अपना Demat Account में किसी कॉम्पनी का ग्राफ और Fundamental स्थिति देख सकतें हैं। इसके अलावा आप Money control, Zee business, CNBC आवाज आदि वेबसाईट में जाकर भी पढ़ सकतें हैं। मेरे अनुसार अगर TV में देखना है तो CNBC आवाज बेस्ट है और अगर मोबाईल की बात करें तो Money Control बेस्ट मोबाईल एप है।
मेरा अन्य लेख– ETF क्या है? इसमें निवेश करना क्या सही है? Mutual Fund से कैसे अलग है? जानिए इसकी पुरी जानकारी।
ऊपरोक्त लेख को पढ़कर आप म्यूचूअल फंड और ETF में से कौन सा इनवेस्टमेंट के लिए सहीं है, निर्धारित कर सकतें हैं। मुझे ETF में इन्वेस्ट करना ज्यादा सही लग रहा है, लेकिन कोई भी ETF ऐसे ही नहीं लेना है, जिसका पुराना परफॉरमेंस अच्छा हो, अच्छी रिटर्न दिया हो, फॉलोवर्स ज्यादा हो उसको लेना चाहिए। ऐसे ही म्यूचूअल फंड के बारे में भी है।
सभी ETF में उनका मैनेजर का नाम दिया रहता है, गूगल में उनके बारे में भी सर्च कर लेना चाहिए, कहीं उसका पुराना रिकार्ड खराब ना रहे। ऐसे केस में उस वाला ETF लेना रिस्की हो सकता है।
कोई भी प्रकार का शेयर खरीदने के पहले उस कंपनी का परफॉरमेंस देखना बहुत जरूरी है। इसके अलावा अगर किसी कॉम्पनी का कोई अच्छी कंपनी के साथ Tie up हो जाता है या गवर्नमेंट से कुछ टारगेट या अन्य लाभ प्राप्त होता है, यह बात अगर पब्लिक को पता चलती है तब लोग उस शेयर को लेने के लिए ऑर्डर करने लगतें हैं, फलस्वरूप उस शेयर का रेट बढ़ने लगता है, इसके विपरीत अगर किसी कॉम्पनी के बारे में कोई बुरी खबर आती है या आने वाली होती है, यह बात लोगों को पता चलता है तो लोग उसको बेचना चालू कर देते हैं, फलस्वरूप उसका रेट गिरने लगता है।
इसलिए न्यूज देखना बहुते जरूरी है। पूरा बाजार न्यूज से चलती है। लेकिन किसी शेयर का रेट बढ़ने और घटने में कंपनी के प्रोमोटर लोगों का बहुत बड़ा हाथ होता है, क्योंकि लगभग सभी कॉम्पनी का अधिकतम शेयर कॉम्पनी के प्रोमोटर के पास होता है। प्रोमोटर वह लोग होतें हैं, जो कंपनी का मालिक भले नहीं होते लेकिन उस कॉम्पनी के स्थापना में उनका बहुत बड़ा हाथ होता है। मतलब प्रोमोटर कॉम्पनी के ही लोग होतें हैं। कई बार प्रोमोटर लोग बहुत ज्यादा शेयर खरीद लेते हैं, जिससे उसका शेयर बहुत बढ़ जाता है।
शेयर के बढ़ने और घटने में दूसरा सबसे बड़ा हाथ म्यूचूअल फंड, ETF, FII और DII का भी होता है। FII का मतलब विदेशी इन्वेस्टर है और DII का मतलब डोमेस्टिक इन्वेस्टर से हैं। इन दोनों का संस्था होता है, जहां से यह शेयर बाजार में शेयर खरीदी बिक्री का कार्य करतें हैं। FII और DII दोनों शेयर बाजार पर बहुत ज्यादा पैसा करोड़ में लगातें हैं। ऐसा जरूरी नहीं होता है कि जब FII वाले शेयर खरीदे या बेचें तो DII वाले भी शेयर खरीदे और बेचें। चाहे इनमें से कोई भी शेयर खरीदे या बेचें। ओवरऑल जितना शेयर खरीदने के जगह बिकेगा, उतना मार्केट गिरता है और इसके विपरीत बेचने के जगह खरीदतें हैं तो मार्केट बढ़ता है।
आप कौन सा शेयर में कितना प्रतिशत हिस्सा ETF, म्यूचूअल फंड, FII या DII वाले का है, उनका फन्डमेनटल डीटेल में जाकर देख सकतें हैं।
अगर कोई ऑप्शन ट्रैडिंग करना चाहते हैं तो उनको ITM या ATM कान्ट्रैक्ट ही लेना चाहिए, भले ही वह थोड़ा महंगा मिलता है। इसका फायदा यह है कि इसमें टाइम डिकै बहुत कम होता है और इसके अलावा इंटरेनशीक वैल्यू भी बहुत कम डाउन होता है। जिसके कारण उस कान्ट्रैक्ट का रेट भी बहुत कम डाउन होता है और मार्केट के दिशा के साथ ही चलता है, जो सभी ट्रैडर के लिए जरूरी होता है।
ऑप्शन ट्रैडिंग में शेयर पर भी ट्रैडिंग होता है और निफ्टी, बैंक निफ्टी आदि पर होता है। इसमें डायरेक्ट शेयर नहीं होकर कान्ट्रैक्ट होता है। इसका रेट जो हमे दिखता है वह 2 चीजों से बना होता है, पहला टाइम वैल्यू और दूसरा इंटरेनशीक वैल्यू। जैसे-जैसे कान्ट्रैक्ट अपने एक्स्पाइरी के नजदीक आता है उसका टाइम वैल्यू कम होने लगता है, इसलिए उसका रेट गिरते जाता है, भले ही कान्ट्रैक्ट मार्केट के दिशा में ही चल रही हो।
अगर कोई नया-नया बाजार में आया हो तो ट्रैडिंग के जगह शेयर या ETF में इनवेस्टमेंट के बारे में सोंचना चाहिए। क्योंकि इसमें रिस्क बहुत कम होता है। आपको अचानक से लंबा फायदा या लंबा नुकसान नहीं हो पाता। कम पैसे में भी आप लंबे समय तक बाजार में बने रहतें हैं। जितना ज्यादा समय तक आप बाजार से जुड़े रहेंगे, उतना ही ज्यादा सीखेंगे।
कई लोगों को लगता है की अब तो मैं कम समय लाखों कमाऊँगा, लेकिन यह पूर्ण रूप से गलत फहमी है। क्योंकि आप तो अभी बाजार में आए हो और इतना बड़ा सपना देख रहें हैं। आप से पहले कई लोग बाजार में आ चूकें है और लगातार बाजार से सिख रहें हैं। शेयर बाजार में कोई नुकसान करता है तो उसका पैसा हमें मिलता है और इसके विपरीत जब हम नुकसान में रहतें हैं तो हमारा पैसा हममे से ही किसी और को मिल रहा होता है।
शेयर बाजार हम लोगों के बीच ही लेन-देन का कार्य है। इसलिए अगर किसी से हमें जितना है तो हमें उनसे ज्यादा शेयर का ज्ञान और अनुभव चाहिए। अगर हमारा ज्ञान और अनुभव किसी से कम है तो हम एक या 2 बार उनसे जीत सकतें हैं, लेकिन ओवरऑल हम नुकसान में ही रहेंगे।
शेयर बाजार में हम शेयर में इनवेस्टमेंट करें या ट्रैडिंग करें, एक स्ट्रैटिजी के साथ करना चाहिए। बिना स्ट्रैटिजी के तुक्का मारने का कोई मतलब/फायदा नहीं है, सिर्फ रिस्क लेना ही है। अगर आपका स्ट्रैटिजी ठीक है और मार्केट में ऑर्डर लगाने के बाद मार्केट उल्टा मूव करें तो आपको धीरज रखना चाहिए। कई बार हम थोड़ा लॉस होता है और हम डर में निकल जातें हैं, लेकिन बाद में मार्केट आपके स्ट्रैटिजी के हिसाब से बढ़ जाता है और आप पछताते हैं। लेकिन इसमें स्टॉप लॉस जरूर लगाना चाहिए। बहुत सारे लोगों को मैंने देखा है जो बिना स्टॉप लॉस का ट्रैडिंग करतें हैं और इस कारण अपने भावनाओं को नियंत्रण नहीं कर पाते और मार्केट में बने रहतें हैं। इसके कारण और ज्यादा नुकसान झेलना पड़ जाता है।
हो सकता है कि कोई दिन आपका नहीं रहता/आपका स्ट्रैटिजी काम नहीं किया, इसमें सबसे अच्छा है कि एक निश्चित लॉस करके बाजार से उस दिन निकल जाओ। अगले दिन नया स्ट्रैटिजी के साथ नया ऊर्जा के साथ नया शुरुवात करना चाहिए। 10 में से 6-7 बार भी अगर आप जीतते हैं तो यह बहुत बड़ी बात है। मैंने यूट्यूब में कई बड़े-बड़े ट्रैडर की इंटरव्यू देखि है, जो 6-7 बार ही जीतते हैं, कोई भी परफेक्ट नहीं होतें है। कोई भी मार्केट को परफेक्ट प्रीडिक्ट नहीं कर सकते। इसलिए सिर्फ अपने सीखने और अनुभव पर ही हमे विश्वास करना चाहिए। दूसरों के अनुभव/गलतियों से सीखना चाहिए। अपनी गलतीयों का अनैलिसिस जरूर करना चाहिए। इससे आत्मविश्वास और अनुभव बढ़ता है।
शेयर बाजार की कुछ अच्छी बुक Amazon आदि से मँगा कर पढ़ना चाहिए।
नोट: यह सब मेरा व्यक्तिगत अनुभव है, इसको ट्रैडिंग या इनवेस्टमेंट के उद्देश्य से उपयोग ना करें, अपना स्वयं के विवेकानुसार जाने समझें और विश्वास कर ट्रैडिंग और इनवेस्टमेंट करें।