धान में सड़न-गलन रोग (Sheath Blight / Sheath Rot / Bacterial Leaf Blight)
वर्तमान समय में बहुत सारे हरूना धान जैसे- महामाया , MTU-1010 इत्यादि धान में बाली निकल आई और निकल रही है । अभी बारिश थोड़ी रुकी हुई है , वातावरण में बहुत ऊमस और गर्मी है। ऐसा वातावरण जीवाणु झुलसा रोग , सड़न – गलन रोग (Sheath Blight / sheath Rot) के बढ़ाने के लिए अनुकूल होता है। जब धान का पौधा बड़ा हो जाता है तब पौधों के निचली पत्तीयों को हवा , सूर्य की रोशनी पर्याप्त नहीं मिलता , यह भी इन रोगों के फैलने के लिए अनुकूल होता है।
रोग एवं रोग कारक
Sheath Blight – फफूंद
Sheath Rot – फफूंद
Bacterial Leaf Blight – जीवाणु
लक्षण
शीथ ब्लाइट रोग में धान के तनों पर काला रंग का धब्बा बन जाता है, जैसे आग में झुलस गया हो और पत्तीयों पर भी आग से झुलस गया हो जैसे लक्षण दिखाई देता है। शीथ राट रोग में धान के तनों में नीचे साइड गलन होने लगता है , जिसके कारण धान की पत्तियां पैरा जैसे सूखने लगती है। जीवाणु झुलसा रोग में धान का तना हरा भरा होता है लेकिन पत्तियां किनारे से सूखने लगता है , और पत्तीयों का बीच हरा रहता है, यह रोग भी धान के पौधे को पैरा कर देता है।
ऊपरोक्त तीनों धान का प्रमुख रोग है , जो अभी अधिकांश खेतों में एक साथ लगा हुआ है। यह बहुत नुकसानदायक रोग है , इससे प्रभावित पौधों में बालियाँ बहुत छोटी छोटी बनती है, दाने नहीं भरता, धान में बहुत बदरा आता है, बालियां काली पड जाती है। उत्पादन में 50 % से अधिक कमी आती है। इस लिए इस रोग का नियंत्रण बहुत आवश्यक है ।

नियंत्रण के लिए दवाई
2 Nitro, 2 Bromo, Propen, 1-3 Dial जीवाणु नाशक जो Baict + 775 या अन्य नामों से मिलता है के साथ में निम्न फार्मूला में से कोई एक मिलाकर छिड़काव करें । चिपको जरूर मिलाएं जो दवाई को पूरे पौधों में फैलाने में सहायक होता है।
Azoxystrobin 11% + Tebuconazole 18.3 % Sc – 300 ml प्रति एकड़
Tricyclazole 18 % + Tebuconazole 14.4 % sc – 400 ml प्रति एकड़
Propiconazole 11.71 SC + Picoxystrobine 7.05 % – 400 ml प्रति एकड़
Carbendazime 50 % WP 200 gram प्रति एकड़
Validamycin 3 L – 2 ml प्रति लिटर पानी के दर से छिड़काव करें।
नोट – ऊपरोक्त सभी दवाईयां सड़न गलन रोग के लिए है , ऊपरोक्त में से कोई भी एक दवाई लें जो आपको उपलब्ध हो सके। लोकल कंपनी की दवाइयों में प्रतिशत मात्रा कम हो सकता है , गुणवत्ता खराब हो सकता है। इससे धान का रोग नियंत्रण नहीं होंगे। इसलिए अच्छी एवं फेमस कंपनी का ही दवाई लें। अगर इस रोग का प्रकोप ज्यादा है तो खेत में रोग के नियंत्रित होते तक यूरिया नहीं डालना चाहिए , इनसे पत्तीयों में सड़न – गलन और बढ़ सकता है।