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सिंदूर कैसे बनता है: जानिए हर्बल सिंदूर बनाकर भी अच्छी इंकम किया जा सकता है (2024)

सिंदूर कैसे बनता है?

(सिंदूर: सुहाग की निशानी और इसके पीछे की कहानी)

नमस्ते दोस्तों!

आज हम बात करेंगे सिंदूर के बारे में, जो कि विवाहित हिंदू महिलाओं के माथे पर एक लाल निशान के रूप में देखा जाता है। क्या आप जानते हैं कि सिंदूर सिर्फ एक सौंदर्य प्रसाधन नहीं है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं? चलिए जानते हैं सिंदूर के बारे में कुछ रोचक बातें।

सिंदूर क्या है?

सिंदूर एक लाल रंग का पाउडर है, जिसे पारंपरिक रूप से विवाहित महिलाएं अपनी मांग में लगाती हैं। यह मुख्य रूप से सिंदूर या वर्मिलियन नामक खनिज से बना होता है। सिंदूर में पारा भी पाया जाता है, जो इसे एक चमकदार लाल रंग देता है। आज के समय में हर्बल सिंदूर बहुत ज्यादा चलन में हैं। हर्बल सिंदूर का रंग बंदन जैसा होता है, जबकि खनिज से बना सिंदूर गहरा लाल रंग का होता है।

विवाहित महिलाएं सिंदूर क्यों लगाती हैं?

  • धार्मिक महत्व: हिंदू धर्म में सिंदूर को मां पार्वती से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि मांग में सिंदूर लगाने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं। हमारे हिन्दू धर्म में बिना सिंदूर के शादी सम्पन्न नहीं हो सकती ।
  • पति की लंबी उम्र: कुछ मान्यताओं के अनुसार, सिंदूर लगाने से पति की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  • शारीरिक लाभ: सिंदूर में मौजूद पारा, ब्रह्मरंध्र ग्रंथि के लिए अच्छा माना जाता है। यह मानसिक तनाव कम करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
  • सौन्दर्यवर्धक: सिंदूर विवाहित महिलाओं के सौन्दर्य को आकर्षक बना देता है। इसलिए महिलाओं की सौन्दर्य बिना सिंदूर का अधूरा है। यह महिलाओं का रोजाना उपयोग होने वाले सौन्दर्य प्रसाधक वस्तु है।
सिंदूर कैसे बनाया जाता है?
Photo: यह सिंदूर का पौधा है। 
सिंदूर कैसे बनाया जाता है?
Photo: यह सिंदूर का फल है। अभी यह पका नहीं है, फल के बीच में छोटे-छोटे बीज दिख रहा होगा, इसी में सिंदूर भरा होता है।

सिंदूर कैसे बनाया जाता है?

सिंदूर 2 तरीके से बनाया जाता है। पहला सिंदूर बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। पहले सिंदूर खनिज को पीसा जाता है और फिर इसमें अन्य सामग्री जैसे पारा, गंधक आदि मिलाकर एक विशेष विधि से तैयार किया जाता है। यह एक प्राचीन कला है और इसे बनाने में काफी समय और मेहनत लगती है। दूसरा इसमें सिंदूर का पौधे से निकाला जाता है। सिंदूर के पौधे में लगने वाले फल जब पक जाता है, तब उसे तोड़कर सूखा लेते हैं और उसके बीज से सिंदूर निकाला जाता है। यह एकदम शुद्ध होता है। इसमें और कुछ मिलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसे सीधे ही उपयोग किया जा सकता है।

सिंदूर बेच कर अच्छी पैसे कैसे कमाया जा सकता है?

सिंदूर के पौधे की खेती करना बहुत आसान है। इसका पौधा 2 साल में तैयार हो जाता है। अगर कोई किसान इसकी 50 एकड़ में भी खेती करता है, तो उसके फल से निकला सिंदूर को बेच कर काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। एक पौधे से 0.500 किलो से 1 किलो या इससे अधिक सिंदूर निकाला  जा सकता है, यह पौधे की लंबाई बढ़वार और उम्र पर निर्भर करता है। वैसे यह पौधा साल भर फल फूल देते रहता है। लेकिन इसमें मुख्य रूप से फूल बरसात के दिनों में आता है और इसका पौधा ठंड के दिन में पक कर तैयार होता है।

जो किसान भाई इसकी खेती करना चाहतें  हैं, अपने विकासखण्ड के उद्यानिकी विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर पौधे प्राप्त कर सकता है। जब फल पककर तैयार हो तो उससे निकाले गए सिंदूर को आकर्षक तरीके से पैक कर अपने आसपास के शहरों के होल सेल जनरल दुकान या नॉर्मल वाला जनरल कॉस्मेटिक्स दुकान में संपर्क कर बेचा जा सकता है। बाजार से कुछ अलग-अलग ब्रांड का सिंदूर खरीद कर उसका पॅकिंग, मूल्य, मात्रा आदि को अनैलिसिस करके अपना प्रोडक्ट को तैयार किया जा सकता है।

सिंदूर लगाने का सही तरीका

सिंदूर को हमेशा नाक के बीचोंबीच एक सीधी रेखा में लगाना चाहिए। टेढ़ा-मेढ़ा सिंदूर लगाने से अशुभ माना जाता है।

ध्यान दें: सिंदूर लगाने के तरीके और इसके महत्व को लेकर अलग-अलग धर्मों और समुदायों में अलग-अलग मान्यताएं हो सकती हैं।

अंतिम शब्द सिंदूर सिर्फ एक सौंदर्य प्रसाधन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विवाहित महिलाओं की पहचान और सम्मान का प्रतीक है।

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