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शासकीय अनुदान में स्प्रिंकलर पाइप या ड्रिप सिस्टम लगवाने पर कितना खर्च लगता है? प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2024

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY 2024)

परिचय: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojna- PMKSY) केंद्र सरकार की योजना है। यह योजना सभी राज्यों में संचालित है। इस योजना के तहत देश के सभी राज्यों के किसानों को अनुदान में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने के लिए स्प्रिंकलर पाइप और ड्रिप सिंचाई पाइप प्रदान किया जाता है। यह दोनों विधि से सिंचाई की क्षमता बहुत अधिक होती है, क्योंकि इसमें बहुत कम पानी व्यर्थ होता है। पौधों को जितना पानी चाहिए उतना ही दिया जाता है, जिससे पौधों को वृद्धि एवं विकास भी बहुत तेजी से होता है।

इस लेख में हम आपको ड्रिप सिस्टम और स्प्रिंकलर पाइप लेने में कितना पैसा लगता और इसको लेने के लिए क्या करना पड़ता है, उसके बारे में भी नीचे बताएंगे। ड्रिप सिंचाई विधि मुख्य रूप से सब्जी भाजियों की खेती के लिए ज्यादा उपयोग किया जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। आप धान के अलावा किसी भी फसल में ड्रिप विधि से सिंचाई कर सकतें हैं। धान का जल उपयोग क्षमता सबसे कम होता है, इसलिए इसे बहुत ही ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है, इसके अलावा धान के खेत मे खरपतवार के नियंत्रण के लिए पानी भरकर भी रखना पड़ता है, इसलिए धान में ड्रिप विधि से सिंचाई सही नहीं रहता।

इसके विपरीत स्प्रिंकलर पाइप ऊबड़-खाबड़ एवं ऊंचा नीचा जमीन में अनाज वाली फसलों में सिंचाई करने के लिए उपयुक्त होता है, जैसे – गेहूं, चना, सोयबिन, मूंग एवं उड़द इत्यादि।प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना विपरीत परिस्थिति से निपटने में बहुत कारगार साबित हो रही है। आज के समय में व्यापरिक उद्देश्य से सब्जी लगाने वाले किसानों में ड्रिप विधि में पॉलिथीन Malching का उपयोगिता बहुत बढ़ा है। इसके कई फायदे है, जैसे फसल में किट व्याधि का कम लगना, खरपतवार का बहुत कम उगना, फसल का स्वस्थ रहना, सिंचाई पाइप के माध्यम से खाद, पोषक तत्व डालने में आसानी होता है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का प्रमुख उद्देश्य 

  • जल संसाधन या जल का समुचित उपयोग करना, मतलब जल को व्यर्थ होने से बचाना।
  • खेती किसानी में मौसम पर निर्भरता या मानसून आधारित खेती पर निर्भरता को कम करना ।
  • खेत में सिंचाई का दक्षम में वृद्धि करना।
  • वर्ष आधारित कृषि क्षेत्रों का समग्र विकास करना।
  • सभी खेतों में पानी की उपलब्धता बढ़ाते हुए, प्रति बूंद पानी से अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करना।
  • कुल मिलाकर इस योजना का उद्देश्य जल का अधिक से अधिक सही उपयोग कर उत्पादन बढ़ाना है।

शासकीय अनुदान में स्प्रिंकलर पाइप या ड्रिप सिस्टम लेने के लिए क्या करना पड़ता है?

अगर कोई किसान भाई अनुदान में ड्रिप या स्प्रिंकलर पाइप लेना चाहतें हैं तो उनको अपने कृषि अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह योजना कृषि विभाग द्वारा संचालित होती है। इस योजना का फॉर्म मैं नीचे डे रहा हूँ , जिसे आप डाउनलोड कर कंप्युटर दुकान से प्रिन्ट करा सकतें हैं। फॉर्म के साथ आवेदक का ऋणपुस्तिका का फोटोकॉपी, 2 पासपोर्ट साइज़ फोटो, बी-1, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र एवं बैंक पासबुक की छायाप्रति संलग्न करना पड़ता है। फॉर्म में अनुशंसा पर सरपंच का हस्ताक्षर लगता है, साथ ही साथ फॉर्म में नोटरी कराना पड़ता है।

शासकीय अनुदान में स्प्रिंकलर पाइप या ड्रिप सिस्टम लगवाने पर कितना खर्च लगता है?

इस योजना अंतर्गत लघु (0-2.5 एकड़ जमीन वाले) एवं सीमांत किसानों (जिनके पास 2.5-5 एकड़ कृषि जमीन वाले) को कुल लागत का 55 % अनुदान दिया जाता है, वहीं बड़े किसानों (जिनके पास 5 एकड़ से अधिक जमीन हो) 45 % तक अनुदान मिलता है। चूंकि बाजार में कई अलग-अलग कॉम्पनी है, जो ड्रिप या स्प्रिंगकलर पाइप अनुदान में किसानों को वितरण करती है, क्वालिटी के हिसाब से सभी कॉम्पनी का कुल मूल्य अलग-अलग रहती है, लेकिन शासन से मिलने वाला अनुदान निश्चित रहती है, इसलिए कृषक अंश में कमी या अधिकता हो सकती है।

स्प्रिंकलर पाइप का रेट/लागत 

जैसे – 63mm मोटाई वाले वाले स्प्रिंगकलर पाइप का 30 नाग पाइप+5 चिड़िया (नोजेल)+फिटिंग सामग्री का कुल रेट 21588 रुपये है। यह 1 हेक्टेयर खेत के लिए होता है। इसमें लघु सीमांत किसानों को 55 % छूट के हिसाब से 13654 रुपये की अनुदान मिलेगी। अनुदान काटकर 11172 रुपये कृषक अंश किसान को पटाना पड़ता है। अगर 45 % सब्सिडी की बात करें तो 11172 रुपये सब्सिडी काटकर 13654 रुपये कृषक अंश बड़े किसानों को पड़ेगा।

अगर कोई किसान भाई 75 mm मोटाई वाले स्प्रिंगकलर पाइप लेना चाहतें हैं तो 1 हेक्टेयर के लिए 30 नाग पाइप+5 चिड़िया (नोजेल)+फिटिंग सामग्री का कुल रेट 24194 रुपये पड़ता है, इसमें लघु सीमांत किसानों को 55 % छूट के हिसाब से 15303 रुपये अनुदान काटकर 15520 रुपये कृषक अंश किसानों को पटाना पड़ता है। वहीं अगर बड़े किसानों के लिए 45 % सब्सिडी की बात करें तो 12520 रुपये सब्सिडी काटकर 15303 रुपये कृषक अंश पड़ता है।

ड्रिप सिंचाई पद्धति लगवाने पर लगने वाला लागत 

अगर कोई किसान भाई 1 एकड़ में ड्रिप लगवाना चाहता है तो उसे कुल लागत 65827 रुपये आता है, इसमें लघु सीमांत किसानों को 55 % छूट के हिसाब से 41636 रुपये अनुदान मिलता है, अनुदान काटकर 34065 रुपये कृषक अंश राशि पटाना पड़ता है। वहीं अगर बड़े किसानों को लगवाना है तो उनको 45 % छूट मिलती है, इसलिए कुल लागत में 34065 रुपये अनुदान मिलेगी और कृषक अंश राशि 41636 रुपये पटाना पड़ता है।

नोट- अलग-अलग कॉम्पनी का कुल लागत भिन्न-भिन्न होने से कृषक अंश राशि ऊपरोक्त बताया गया अंश राशि से कुछ कम या ज्यादा पद सकता है। 

स्प्रिंकलर पाइप से पानी पलाने के फायदे 

  • यह बहुत ही किफायती और आसानी से स्थापित किया जा सकता है। इसके स्थापना से श्रम और लागत में कमी आती है।
  • स्प्रिंगकलर पाइप स्थापना करने के लिए खेत को समतल करना या बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • ऊबड़-खाबड़, उंच-नीच जमीन में भी पानी सभी जगह एक सामान दिया जा सकता है।
  • अधिक ढाल वाली जमीन में सिंचाई के लिए यह सर्वोत्तम विधि है।
  • स्प्रिंकलर पाइप सभी प्रकार के मिट्टी में स्थापित किया जा सकता है।
  • गर्मी के दिनों में आप इसे तेज धूप से बचाने के लिए निकालकर अलग रख सकतें हैं, इसको निकालना-लगाना बहुत आसान है।
  • इसका उपयोग आप सिंचाई के अलावा गर्मी में उच्च तापमान को कम करने के लिए भी कर सकतें हैं, जिससे फसल को खराब होने या झुलसने से बचाया जा सकता है।

ड्रिप विधि से पानी पलाने के फायदे 

  • सब्जी-भाजियों की व्यापारिक खेती में सबसे ज्यादा लोकप्रिय सिंचाई तकनीक है।
  • सामान्य विधि के तुलना में इस पद्धति से सिंचाई करने से लगभग 150 % तक अधिक पैदावार होता है।
  • प्रचलित सिंचाई विधि के तुलना में इस विधि से 70 % तक पानी बचाया जा सकता है, जिससे आप और अधिक क्षेत्रों में पानी पला सकतें हैं।
  • चूंकि ड्रिप विधि से फसल को समुचित मात्रा में पानी निरंतर मिलती है, ना कम ना ज्यादा। इसलिए पौधों को वृद्धि एवं विकास बहुत तेजी से होती है, जल्दी परिपक्व होती है।
  • ड्रिप में उर्वरक डालकर चलाने से खाद-उर्वरक का सही उपयोग होता है, खाद सीधा पौधों के जड़ में जाती है, जिससे दिया गया खाद-उर्वरक का पौधों द्वारा अधिक से अधिक उपयोग किया जाता है। इससे खाद का उर्वरक क्षमता 30 % तक बढ़ जाती है, या यह कहें कि 30 % तक खाद कम लगता है।
  • पारंपरिक विधि के तुलना में कुल फसल लागत में कमी आती है, जिससे शुद्ध आय में वृद्धि होती है, क्योंकि सिंचाई करने, खाद डालने, निराई-कुड़ाई इत्यादि में लगने वाले मजदूरों में बहुत कमी आती है, इससे पैसा बचता है।
  • इस पद्धती के माध्यम से जड़ों में लगने वाले रोग, किट का जड़ रसायन रूपचार करना बहुत आसान है। ड्रिप में उस दवा को डालकर चलाने से जड़ का रसायन उपचार किया जा सकता है। जो की सिर्फ इसी विधि में संभव है।

 

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