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धान की पराली का उपयोग: जलाने के बजाय उत्पाद बनाकर कमाए पैसे (2024)

धान की पराली का उपयोग

(धान फसल का अवशेष को ही अलग-अलग क्षेत्रों में पैरा, पुवाल, स्ट्बल या पराली भी कहते हैं।)

Index of Contents

धान की पराली जलाने से खेत और पर्यावरण को होने वाले नुकसान

धान की कटाई के बाद बचे हुए पैरे को जलाना एक आम प्रथा है, लेकिन यह पर्यावरण और खेत दोनों के लिए बेहद हानिकारक है। आइए जानते हैं कि पैरे जलाने से क्या-क्या नुकसान होते हैं।

खेत को होने वाले नुकसान:

  • मिट्टी की उर्वरता कम होना: पैरे में कई पोषक तत्व होते हैं जो मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं। जलाने से ये पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।
  • मिट्टी का तापमान बढ़ना: पैरे जलाने से मिट्टी का तापमान अचानक बढ़ जाता है, जिससे मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्म जीव मर जाते हैं। ये सूक्ष्म जीव मिट्टी को उपजाऊ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • मिट्टी की संरचना बिगड़ना: जलाने से मिट्टी की ऊपरी परत जल जाती है, जिससे मिट्टी की संरचना बिगड़ जाती है। इससे मिट्टी में पानी की रिसाव क्षमता कम हो जाती है और मिट्टी कठोर हो जाती है।

पराली जलाने का नुकसान पराली जलाने का नुकसान पराली जलाने का नुकसान

पर्यावरण को होने वाले नुकसान:

  • वायु प्रदूषण: पैरे जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो वायु प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।
  • स्वास्थ्य समस्याएं: वायु प्रदूषण से सांस की बीमारियां, आंखों में जलन, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • अम्लीय वर्षा: पैरे जलाने से निकलने वाली गैसें वर्षा के पानी में मिलकर अम्लीय वर्षा का कारण बनती हैं, जो फसलों, मिट्टी और जल स्रोतों को नुकसान पहुंचाती हैं।
  • ओजोन परत को नुकसान: पैरे जलाने से निकलने वाली कुछ गैसें ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणों का प्रभाव बढ़ जाता है।

धान के पराली को जलाने के जगह हम उससे क्या-क्या बना सकतें हैं?

भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। धान की कटाई के बाद बचे हुए पुआल को अक्सर किसान जला देते हैं। यह प्रथा पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है, मिट्टी की उर्वरता कम होती है और स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धान के पुआल का उपयोग कई उपयोगी उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है? इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको धान के पुआल से बनने वाले विभिन्न उत्पादों और उनकी बनाने की विधियों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

धान के पराली से बनाए जा सकने वाले संभावित उत्पादों का नाम 

  1. गोबर खाद: धान का पुआल एक उत्कृष्ट जैविक खाद है।
  2. केचुवा खाद
  3. पौध बढ़वार हेतु टॉनिक खाद
  4. छत के लिए सामग्री: पुआल का उपयोग छप्पर बनाने के लिए किया जा सकता है।
  5. पशुओं का चारा: पुआल को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  6. कम्पोस्ट: पुआल को गोबर के साथ मिलाकर कम्पोस्ट बनाया जा सकता है।
  7. ईंधन (एथेनॉल) बनाया जा सकता है
  8. मशरूम उत्पादन (बटन/आयस्टर आदि)
  9. पेपर
  10. पेलेट ईंधन (छोटा साइज़)
  11. पेलेट ईंधन (मोटा साइज़ लकड़ी जैसे)
  12. सब्जियों की खेती में मलचिंग करने के लिए
  13. पैरे का गठठा चारा (बेलर मशीन से)
  14. प्लास्टिक बनाने में उपयोग
  15. माइक्रो सेल्यूलोज बनाने में
  16. प्लाई वुड बनाने में
  17. कटिया काटने के मशीन से काटकर खेत में ही मिलाया जा सकता है।
  18. बिजली
  19. थर्मोकोल

धान के पराली से उत्पाद बनाने की विधियाँ

धान के पुआल से विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए कई विधियाँ उपलब्ध हैं। इन विधियों में आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का उपयोग किया जाता है। कुछ प्रमुख विधियाँ इस प्रकार हैं:

1. जैविक पराली खाद बनाने की विधि

मान लीजिए एक किसान के पास 10 एकड़ में धान की खेती है। कटाई के बाद उसके पास लगभग 100 टन (मतलब 1000 क्विंटल पैरा) धान का पुआल बच जाता है। वह इस पुआल को जलाने के बजाय खाद बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। इस खाद को अपने खेत में डालकर वह अगली फसल की पैदावार बढ़ा सकता है।

  • सामग्री: धान का पुआल, गोबर, मिट्टी, पानी
  • विधि:
    • पुआल को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
    • एक गड्ढा खोदें और उसमें एक परत पुआल, एक परत गोबर और एक परत मिट्टी डालें।
    • इसी तरह कई परतें बनाएं।
    • हर परत को पानी से अच्छी तरह गीला करें।
    • गड्ढे को ढक्कन से ढक दें।
    • कुछ महीनों बाद खाद तैयार हो जाएगी।

2. घर या जानवरों के लिए छप्पर बनाना

  • सामग्री: धान का पुआल, लकड़ी, रस्सी
  • विधि:
    • पुआल को लंबे-लंबे टुकड़ों में काट लें।
    • इन टुकड़ों को लकड़ी की फ्रेम पर बांधकर छप्पर बना लें।
    • छप्पर को पानी से बचाने के लिए उस पर मिट्टी का लेप या पॉलिथीन लगा सकते हैं।

3. पशुओं के लिए नरम चारा

  • विधि:
    • पुआल को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
    • पुआल को पानी में भिगोकर रखें।
    • कुछ घंटों बाद पानी निकाल दें और पुआल को पशुओं को खिलाएं।
    • या पैरा कटिया में 2 % यूरिया मिलाकर उसे ज्यादा प्रोटीन युक्त खाद भी बनाया जा सकता है। और इसे कुछ महीनों के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है।

4. कम्पोस्ट खाद बनाना

  • सामग्री: धान का पुआल, गोबर, मिट्टी, पानी, वर्मीकम्पोस्ट (वैकल्पिक)
  • विधि:
    • पुआल, गोबर और मिट्टी को बराबर मात्रा में मिलाएं।
    • पानी डालकर मिश्रण को गीला करें।
    • यदि उपलब्ध हो तो वर्मीकम्पोस्ट भी मिला सकते हैं।
    • मिश्रण को ढेर लगाकर रख दें।
    • समय-समय पर ढेर को पलटते रहें।
    • कुछ महीनों बाद कम्पोस्ट तैयार हो जाएगी।
    • पैरे को वैस्टडिकमपोजर द्वारा अधसड़ा करके इससे अच्छी क्वालिटी का केचुवा खाद भी बनाया जा सकता है। इसके लिए अधसड़ापैरे को गोबर और कुछ मिट्टी मिलाकर केचुवा टंकी में भरकर केचुवा छोड़ना चाहिए और गीले जुट बरदाने से ढँक देना चाहिए, समय-समय में पानी देते रहना चाहिए। 70 % नमी बनाकर रखना है। 45-60 दिनों में खाद बनकर तैयार हो जाता है।

5. धान के पराली से बायोगैस का उत्पादन

बायोगैस क्या है? बायोगैस जैविक पदार्थों के किण्वन से बनने वाली एक गैस है। इसमें मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड मुख्य रूप से होते हैं। मीथेन एक ज्वलनशील गैस है जिसका उपयोग खाना बनाने और बिजली पैदा करने के लिए किया जा सकता है।

 इसके अलावा, वह इस पुआल का एक हिस्सा बायोगैस संयंत्र में भी भेज सकता है। इससे उसे घर में खाना बनाने के लिए गैस मिलेगी और साथ ही बिजली भी पैदा होगी।

बायोगैस कैसे बनाएं?
  • बायोगैस संयंत्र: एक बायोगैस संयंत्र में पुआल को पानी और बैक्टीरिया के साथ मिलाकर एक एयरटाइट टैंक में रखा जाता है।
  • किण्वन: बैक्टीरिया पुआल को तोड़कर मीथेन और अन्य गैसें पैदा करते हैं।
  • गैस संग्रह: उत्पादित गैस को एक टैंक में संग्रहित किया जाता है।
बायोगैस के उपयोग:
  • खाना बनाना
  • बिजली उत्पादन
  • हीटिंग
ध्यान देने योग्य बातें:
  • बायोगैस संयंत्र की स्थापना के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
  • बायोगैस संयंत्र की लागत थोड़ी अधिक हो सकती है।

6. धान के पुआल से पेपर का उत्पादन

पेपर कैसे बनाएं?

  • पुआल को पकाना: पुआल को पानी और रसायनों के साथ पकाकर लुगदी बनाई जाती है।
  • लुगदी को साफ करना: लुगदी को साफ किया जाता है और उसमें से अशुद्धियां हटाई जाती हैं।
  • पेपर शीट बनाना: लुगदी को एक जालीदार बैंड पर फैलाकर पानी निकाला जाता है और पेपर शीट बनाई जाती है।
  • सुखाना: पेपर शीट को सुखाया जाता है।

पेपर के उपयोग:

  • पैकेजिंग
  • लेखन सामग्री

ध्यान देने योग्य बातें:

  • पेपर निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए बड़े पैमाने पर उपकरण और रसायनों की आवश्यकता होती है।
  • यह प्रक्रिया पर्यावरण के लिए हानिकारक भी हो सकती है अगर उचित सावधानी न बरती जाए।
  • अगर संभव हो तो कोई ऐसे संस्था से ट्रैनिंग ले लेना चाहिए, उसके बाद कार्य शुरू करना चाहिए।

7. धान के पराली से छोटे पेलेट या मोटी पेलेट 

पेलेट क्या हैं?

पेलेट छोटे, सिलेंडर के आकार के ईंधन होते हैं जो जैविक पदार्थों जैसे कि लकड़ी, पुआल, आदि को संकुचित करके बनाए जाते हैं। ये पेलेट उच्च घनत्व वाले होते हैं और उन्हें जलाने पर बहुत कम राख बचती है।

धान के पुआल को जलाने के बजाय, इसे मूल्यवान उत्पादों में बदलकर आप न केवल पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं बल्कि अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं। हालांकि, धान के पुआल से सीधे लकड़ी बनाना संभव नहीं है। लेकिन, पुआल से पेलेट बनाकर आप इसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि लकड़ी का एक विकल्प है।

धान की पराली का उपयोग
धान के पैरे से बना बड़ा पेलेट्स
धान की पराली का उपयोग
धान के पैरे से बना छोटे पेलेट्स

धान के पुआल से पेलेट बनाना

पेलेट बनाने की प्रक्रिया:

  1. पुआल को सुखाना: कटाई के बाद पुआल को पूरी तरह से सुखाना आवश्यक है। नमी वाली सामग्री पेलेट बनाने के लिए उपयुक्त नहीं होती है।
  2. पुआल को छोटे टुकड़ों में काटना: पुआल को एक चॉपर या श्रेडर का उपयोग करके छोटे टुकड़ों में काटा जाता है।
  3. संपीड़न: छोटे टुकड़ों को एक पेलेट मिल में डाला जाता है। यह मशीन उच्च दबाव और तापमान का उपयोग करके पुआल को छोटे, सिलेंडर के आकार के पेलेट में संकुचित करती है।

पेलेट बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन पेलेट बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन पेलेट बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन पेलेट बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन धान की पराली का उपयोग: पेलेट बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन:

पेलेट मिल मशीन : यह मशीन पेलेट बनाने का मुख्य उपकरण है। यह विभिन्न आकारों और क्षमताओं में उपलब्ध होती है।

पेलेट के उपयोग:

  • ऊर्जा उत्पादन: पेलेट को घरेलू हीटिंग, औद्योगिक बॉयलर और बिजली संयंत्रों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कृषि: पेलेट का उपयोग खेतों में मिट्टी को गर्म करने और खाद बनाने के लिए किया जा सकता है।

ध्यान देने योग्य बातें:

  • पेलेट बनाने के लिए एक निवेश की आवश्यकता होती है।
  • पेलेट मिल की क्षमता आपके द्वारा उत्पादित पुआल की मात्रा पर निर्भर करती है।
  • पेलेट को स्टोर करने के लिए एक सूखी जगह की आवश्यकता होती है।

पैरे से बने पेलेट बिक्री का जगह और तरीका 

चूंकि अभी सिर्फ हमारे देश का शासन प्रशासन ही नहीं बल्कि पुरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग को कम करने और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए अथक प्रयास कर रही है। सभी देशों के जैसे हमारे देश में भी बड़ी-बड़ी फैक्ट्री है, जिसमें रासायनिक ईंधन या कोयला पेट्रोल आदि का उपयोग वहाँ की मशीनो को चलाने के लिए किया जाता है। यह सभी पर्यावरण को प्रदूषित करती है। इसी प्रदूषण को कम करने के लिए इन फैक्ट्रीयों को कुछ मात्रा में जैविक ईंधन जैसे- एथेनॉल, पेलेट्स, पेलेट्स लकड़ी आदि जैसे ग्रीन एनर्जी का उपयोग करना होता है। चूंकि अभी देश में बहुत कम फैक्ट्री है, जो जैविक ईंधन बनाकर इनको सप्लाइ कर पाती है।

इसलिए अगर कोई पैरे से पेलेटेस या लकड़ी बनाकर इन बड़ी कंपनी को बेचे तो आसानी से बिकेगा और बहुत अच्छी कमाई भी कर पाएगा। वर्तमान में पैरे से बने छोटे पेलेट्स का रेट 6-7 रुपये प्रति किलो और बड़ी पेलेट्स का रेट 8-9 रुपये प्रति किलो है।

इस तरह पैरे के पुआल से पेलेट बनाकर आप एक स्वच्छ और नवीकरणीय ईंधन प्राप्त कर सकते हैं। पेलेट बनाने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल है और इसके लिए विभिन्न आकारों और क्षमताओं की पेलेट मिलें उपलब्ध हैं। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप यूट्यूब में सर्च कर कंपनी का नाम और कॉन्टेक्ट नंबर भी प्राप्त कर सकतें हैं।

8. धान के पुआल से पौष्टिक पशु चारा

धान की खेती के बाद बचे हुए पुआल को जलाने के बजाय, इसे पशुओं के लिए पौष्टिक चारे में बदला जा सकता है। यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि कर सकता है। आइए जानते हैं कैसे।

धान के पुआल को पौष्टिक चारे में बदलना

धान का पुआल अपने आप में पशुओं के लिए एक अच्छा चारा नहीं है। इसमें प्रोटीन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। लेकिन कुछ प्रक्रियाओं के माध्यम से इसे पौष्टिक बनाया जा सकता है।

1.   2% यूरिया से उपचार:

  • क्यों: यूरिया में नाइट्रोजन होता है जो पुआल में प्रोटीन के स्तर को बढ़ाता है। इससे पशुओं का स्वस्थ ठीक रहता है और अधिक दूध देता है।
  • विधि:
    • पुआल को छोटे टुकड़ों में काट लें।
    • यूरिया को पानी में घोलें और इस घोल को पुआल पर छिड़कें।
    • पुआल को ढेर लगाकर ढक दें।
    • कुछ दिनों बाद पुआल पशुओं को खिलाने के लिए तैयार हो जाएगा।

2. पैरे से साइलेज बनाना:

  • क्यों: साइलेज एक संरक्षित चारा है जिसमें अधिकांश पोषक तत्व बरकरार रहते हैं।
  • विधि:
    • पुआल को अन्य हरे चारे जैसे ज्वार, बाजरा आदि के साथ मिलाएं।
    • इस मिश्रण को एक साइलेज पिट में भरें और कसकर दबाएं।
    • पिट को प्लास्टिक की शीट से ढक दें।
    • कुछ हफ्तों बाद साइलेज तैयार हो जाएगा।
    • इससे अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

4. अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिलाना:

  • क्यों: पुआल को दालों, तिल के बीज, या अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाया जा सकता है।
  • विधि:
    • पुआल को पीसकर अन्य खाद्य पदार्थों के साथ भी मिलाया जा सकता है।

9. पौध बढ़वार हेतु टॉनिक खाद 

जब किसी भी पौधे के अवशेष को आंशिक आक्सिजन की उपस्थिति में जलाया जाता है तो इससे चारकोल बनता है। और पूर्ण रूप से आक्सिजन की उपस्थिति में जलाया जाता है तो वह राख बनकर नष्ट हो जाता है। यहई चारकोल पौधों के लिए टॉनिक का काम करता है, क्योंकि इसकी गुणवत्ता और बढ़ जाता है, इसका पोषक तत्व बना रहता है। इसको पौधों के ऊपर छिड़काव भी किया जा सकता है या अन्य खाद के साथ मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। यह चारकोल मिट्टी के कई हानिकारक रसायनों के प्रभाव को भी कम करता है।

10. ईंधन (एथेनॉल) बनाया जा सकता है

धान की पराली से एथेनॉल बनाकर अच्छी कमाई की जा सकती है, लेकिन यह बहुत अधिक खर्च वाला कार्य है। इसके लिए नीचे दिए लिंक से विडिओ देखिए।

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11. मशरूम उत्पादन (बटन/आयस्टर आदि)

धान के पैरे से सभी प्रकार के मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है। यह एक बहुत अच्छा व्यवसाय है। पैरे को काटकर ओएस्टेर, मिल्की, बटन मशरूम उत्पादन किया जाता है और बिना काटे ही पैरा मशरूम उत्पादन किया जाता है।

 

12. सब्जियों की खेती में मलचिंग करने के लिए

कपास या सभी भाजी को एक कतार में लगाया जाता है। कतारों के बीच में बहुत सारे खरपतवार उग आते हैं, जो हमारे मुख्य फसल को नुकसान करता है और उत्पादन कम हो जाता है। अगर धान के पैरे को इन कतारों के बीच में फैला दिया जाए तो वहाँ कम से कम 3 माह तक कोई खरपतवार नहीं उगेगा और पानी को सोख कर रखेगा। इससे सिंचाई कम करना पड़ेगा। जैसे ही फसल अंतिम अवस्था मे आएगा उस समय तक यह पैरा खाद बन चुका होगा, इससे अगले फसल को फायदा होगा।

कपास का मलचिनग
फोटो- इस फोटो में देखिए कपास का फसल में कपास का ही मलचिन्ग किया गया है, आप धान के पैरे का भी मूलचींग कर सकतें हैं।

13. पैरे का गठठा चारा (बेलर मशीन से)

आज का समय हार्विस्टर और थ्रेशर रिपर मशीन का है। गाय बैल पालना अब बहुत कम हो गया है, हार्विस्टर से धान की कटाई और मिसाई में पूरा पैरा खेत में फैल जाता है, इसलिए उसे एकत्रित करने में अतिरिक्त खर्च के डर से किसान पैरे को घर नहीं लाते हैं या उसे जला देते हैं। लेकिन बेलर मशीन को आपके खेत में चलाने से वह खेत के बिखरे हुए पैरे को एकत्रित करके उसे रस्सी से बांधकर गठान बना देता है, जिसे आप आसानी से अपने घर ला सकतें हैं और उसे पशु चारे के लिए उपयोग कर सकतें हैं। इसे रखने में ज्यादा जगह भी नहीं घेरता है।

14. प्लास्टिक बनाने में उपयोग 

प्लास्टिक इंडस्ट्री में हल्का प्लास्टिक बनाने के लिए माइक्रो cellulose का उपयोग किया जाता है, यह प्लास्टिक को सिर्फ हल्का ही नहीं करता बल्कि उसे और मजबूत और टिकाऊ बना देता है। इसके अलावा यह सस्ता भी है।

15. माइक्रो सेल्यूलोज निकालने में   

जैसे की आप जानते हैं कि पैरे का मुख्य भाग उसका cellulose होता है। धान का पैरा सेल्यूलोज का एक समृद्ध स्रोत है। सेल्यूलोज एक प्राकृतिक बहुलक है जिसका उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है, जैसे कि खाद्य, दवा और प्लास्टिक। माइक्रोसेल्यूलोज सेल्यूलोज का एक रूप है जिसे छोटे कणों में तोड़ा गया है और इसका उपयोग कई अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे कि खाद्य थिकनर, दवा वाहक और कंपोजिट सामग्री।

 

धान के पैरे से माइक्रोसेल्यूलोज निकालने की प्रक्रिया

माइक्रोसेल्यूलोज निकालने की प्रक्रिया काफी जटिल है और इसमें कई चरण शामिल हैं।

  1. पैरे की तैयारी:

    • पैरे को साफ किया जाता है और छोटे टुकड़ों में काटा जाता है।
    • टुकड़ों को पानी में भिगोया जाता है ताकि अशुद्धियां हट जाएं।
  2. रासायनिक उपचार:

    • पैरे को रसायनों के साथ उपचारित किया जाता है ताकि लिग्निन और हेमीसेल्यूलोज जैसे अशुद्धियों को हटाया जा सके।
    • आमतौर पर सोडियम हाइड्रोक्साइड या सोडियम हाइड्रोक्साइड और सल्फाइड के मिश्रण का उपयोग किया जाता है।
    • इस प्रक्रिया को पाचन कहा जाता है।
  3. यांत्रिक उपचार:

    • पाचन के बाद, पैरे को यांत्रिक रूप से पीसा जाता है ताकि सेल्यूलोज के रेशों को छोटे टुकड़ों में तोड़ा जा सके।
    • इस प्रक्रिया को पीसना कहा जाता है।
  4. ब्लीचिंग:

    • पीसे हुए पैरे को ब्लीच किया जाता है ताकि शेष अशुद्धियों को हटाया जा सके।
    • आमतौर पर हाइड्रोजन पेरोक्साइड का उपयोग किया जाता है।
  5. शुद्धिकरण:

    • ब्लीच किए हुए पैरे को पानी से धोया जाता है ताकि रसायनों के अवशेष हटाए जा सकें।
  6. सूखाना:

    • धोए हुए पैरे को सुखाया जाता है।
  7. ग्राइंडिंग:

    • सूखे हुए पैरे को माइक्रोमीटर आकार के कणों में पीसा जाता है।

माइक्रोसेल्यूलोज के उपयोग

  • खाद्य उद्योग: खाद्य थिकनर, स्थिरकारी और एमल्सीफायर के रूप में।
  • दवा उद्योग: दवा वाहक, टैबलेट बाइंडर और ड्रग डिलीवरी सिस्टम के रूप में।
  • कॉस्मेटिक उद्योग: त्वचा देखभाल उत्पादों में।
  • कंपोजिट सामग्री: प्लास्टिक, रबर और अन्य सामग्रियों के साथ मिश्रित करके मजबूत और हल्के कंपोजिट बनाने के लिए।

16. प्लाई वुड बनाने में 

पैरे से सीधे प्लाइवुड नहीं बनाया जा सकता। प्लाइवुड बनाने के लिए लकड़ी के पतले पर्तों (वीनियर) की आवश्यकता होती है, जिन्हें एक दूसरे के ऊपर परत दर परत चिपकाकर बनाया जाता है। पैरा एक कठोर और रेशेदार पदार्थ है, जिससे पतले और लचीले वीनियर बनाना मुश्किल होता है। हालांकि धान के पैरे का उपयोग प्लाइवुड बनाने में किया जा सकता है।

17. कटिया काटने के मशीन से काटकर खेत में ही मिलाया जा सकता है

यह सबसे अच्छा तरीका है, अपने खेत के उर्वरक क्षमता को बनाए रखने का। जैसे कि आप जानते हैं, कोई पौधा मिट्टी से ही पोषक तत्व खिचकर अपने आप को बड़ा करता है, फलता फूलता है और अंत में सुख जाता है। अगर इन पौधों या फसलों को खेत से बाहर कर देते हैं या इसे जला देते हैं तो पौधों के साथ मिट्टी से खिचा गया पोषक तत्व भी खत्म हो जाता है। आजकल किसान अपने खेत में कम से कम 2 फसल लगाता ही है।

जरा सोचिए अगर बार-बार उन फसलों को खेत से निकाल देते हैं या उसे जला देते हैं और मिट्टी में संतुलित मात्रा में जैविक खाद या रासायनिक खाद नहीं डालते हैं तो मिट्टी में कहाँ से पोषक तत्व बचेगा।

 

18. धान के पराली से थर्मोकोल बनाया जा सकता है 

इसके लिए इस विडिओ को देखिए- Watch 

धान के पैरे (पराली) को तेजी से सड़ाने और खाद बनाने की वैज्ञानिक और व्यावहारिक विधि

धान की कटाई के बाद बचे हुए पैरे को जलाने के बजाय, इसे खाद बनाकर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है। यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि कर सकता है। आइए जानते हैं कैसे धान के पैरे को तेजी से सड़ाकर खाद बनाया जा सकता है।

पैरे को तेजी से सड़ाने के पीछे का विज्ञान

पैरे को सड़ने के लिए सूक्ष्म जीवों की आवश्यकता होती है। ये सूक्ष्म जीव पैरे में मौजूद कार्बनिक पदार्थों को तोड़कर खाद में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया को तेजी से करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

  • नमी: सूक्ष्म जीवों को बढ़ने के लिए नमी की आवश्यकता होती है।
  • ऑक्सीजन: सूक्ष्म जीवों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
  • तापमान: अधिकांश सूक्ष्म जीव गर्म तापमान में तेजी से बढ़ते हैं।
  • कार्बन और नाइट्रोजन का अनुपात: कार्बन और नाइट्रोजन का सही अनुपात सूक्ष्म जीवों की वृद्धि के लिए जरूरी है।

पैरे को तेजी से सड़ाने की व्यावहारिक विधियां

  1. खाद का ढेर बनाना:

    • पैरे को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
    • गोबर, मिट्टी और पानी के साथ मिलाएं।
    • कार्बन और नाइट्रोजन का अनुपात लगभग 30:1 रखें।
    • ढेर को हवादार जगह पर बनाएं।
    • समय-समय पर ढेर को पलटते रहें ताकि हवा का प्रवाह बना रहे।
    • कुछ हफ्तों में खाद तैयार हो जाएगी।
  2. बायो डीकंपोजर का उपयोग:

    • बायो डीकंपोजर में ऐसे सूक्ष्म जीव होते हैं जो पैरे को तेजी से सड़ा देते हैं।
    • बायो डीकंपोजर को पानी में घोलकर पैरे पर छिड़क दें।
    • यह प्रक्रिया कुछ ही दिनों में खाद तैयार कर सकती है।
  3. वर्मीकम्पोस्ट:

    • केंचुओं का उपयोग करके पैरे को खाद में बदला जा सकता है।
    • केंचुए पैरे को खाते हैं और मिट्टी के साथ मिलाकर खाद बनाते हैं।

पैरे को तेजी से सड़ाने के लिए टिप्स

  • पैरे को छोटे टुकड़ों में काटें: इससे सूक्ष्म जीवों के लिए सतह क्षेत्र बढ़ जाता है और वे तेजी से काम करते हैं।
  • गोबर का उपयोग करें: गोबर में सूक्ष्म जीव होते हैं जो पैरे को सड़ाने में मदद करते हैं।
  • पानी का छिड़काव करें: ढेर को नम रखें लेकिन बहुत ज्यादा पानी न डालें।
  • ढेर को हवादार जगह पर बनाएं: हवा का प्रवाह सूक्ष्म जीवों के लिए जरूरी है।
  • समय-समय पर ढेर को पलटते रहें: इससे हवा का प्रवाह बना रहेगा और तापमान नियंत्रित रहेगा।

लाभ

  • मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: खाद से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
  • पर्यावरण संरक्षण: पैरे जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सकता है।
  • खेती की लागत कम: खाद बनाने से खाद खरीदने की लागत कम हो जाती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: जैविक खाद से उगाई गई फसलें स्वस्थ होती हैं।
  • आर्थिक लाभ: खाद और अन्य उत्पाद बेचकर आय प्राप्त की जा सकती है।

निष्कर्ष

धान का पुआल एक बहुमूल्य संसाधन है। इसे जलाने के बजाय इसका उपयोग कई उपयोगी उत्पाद बनाने के लिए किया जा सकता है। इस लेख में बताई गई विधियों का उपयोग करके आप स्वयं भी धान के पुआल से उत्पाद बना सकते हैं और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।

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