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खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम List – धान के फसल में उपयोगी बननाशक दवाइयों (Herbicide / Weedicide) की सूची एवं उपयोग की विधि Easy to Know @2024

glycel weedicide
यह Glycel kharpatwar नाशक है। इसका प्रयोग से सभी प्रकार के पेड़ पौधे मर जातें है , धान भी। इसका प्रयोग धान बोने से पहले खेत के खरपतवार नष्ट करने के लिए कर सकते हैं।

खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम List (Weedicide for Paddy)

धान के फसल में विभिन्न प्रकार से खरपतवार नाशक दवाइयों का उपयोग किया जाता है। जैसे-

Index of Contents

1. बोता धान में अंकुरण पूर्व खरपतवार प्रबंधन (Pre- emergenge weedicides for paddy)

2. रोपा धान में अंकुरण पूर्व खरपतवार प्रबंधन (Pre- emergence weedicides for paddy)

3. बोता धान में अंकुरण पश्चात खरपतवार प्रबंधन (Post- emergence weedicides for paddy)

4. रोपा धान में अंकुरण पश्चात खरपतवार प्रबंधन (Post- emergence weedicides for paddy)

धान के फसल में धान बोने के पहले यह बुवाई के 3 दिनों के अंदर, खरपतवार के अंकुरण के पूर्व जो खरपतवार नाशक दवाई का उपयोग किया जाता है उसे प्री इमरजेंसी (pre emergence) तथा फसल की बुवाई के पश्चात एवं खरपतवार के अंकुरण के पश्चात जो खरपतवार नाशक दवाई का उपयोग किया जाता है उसे पोस्ट इमरजेंस (Post emergence) कहते हैं।

आमतौर पर Pre emergence  दवाइयों का उपयोग धान बुवाई या रोपाई के 3 दिनों के अंदर कर दिया जाता है और अगर धान बोने के पश्चात खेत में नमी ना हो तो जब खेत में नामी हो तब इसका उपयोग किया जाता है। ऐसे ही पोस्ट इमरजेंस खरपतवार नाशक  का उपयोग  बुवाई के पश्चात फसल अवधि में कभी भी कर सकते हैं।

  • सक्रिय तत्व का मतलब kya hai ?- सभी दवाइयों में एक निश्चित मात्रा में original रसायन होता है, बाँकी सब अन्य पदार्थों का मिश्रण होता है। original chemical जो लक्ष्य कीड़ों, बीमारियाँ या खरपतवारों को मारता है उसकी प्रतिशत मात्रा को ही सक्रिय तत्व (Active Ingradient) कहते है।  सक्रिय तत्व की मात्रा  35% Ec , 75 % wp इत्यादि जैसा लिखा रहता है।
  • व्यावसायिक उत्पाद का मतलब- सक्रिय तत्व तथा उसमे मिलाए गए पदार्थों को एक साथ व्यवसायिक उत्पाद कहते हैं। जैसे 100 ग्राम के दवाई में 75%wp लिखा है। तो यह पैकेट बाजार में कोई भी नाम से मिल सकता है लेकिन उसमें सक्रिय तत्व का मुख्य महत्व होता है। एक ही रसायन कई अलग अलग सक्रिय तत्व में अलग अलग नाम से बाजार में मिलते हैं। इसे ही व्यवसायिक उत्पाद कहते हैं।

खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम list,उपयोग की विधि, मात्रा तथा नियंत्रित होने वाले खरपतवारों की सूची 

1. बोता धान में अंकुरण पूर्व खरपतवार प्रबंधन (Pre- emergenge weedicides for broadcasted paddy)

खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम list

1. प्रिटीलाक्लोर (Pretilachlor)

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 300

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 600

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)=3-6  दिन

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर घास कुल व चुनिंदा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार।

2. आक्साडायरजिल (Oxadiazine weedicide)

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 32

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 40

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)=0-3 दिन

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर संकरी पत्ती वाली घास  व सैजेस एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – गेंगरवा , नरजवाँ आदि।

3. पेरेजोसलफूरोन 10% WP (Pyrazosulfuron Ethyl 10% WP)- इसे Saathi (साथी) के नाम से जानते हैं 

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 8

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 80

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)=0-3 दिन

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= घास  व सैजेस एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – गेंगरवा , नरजवाँ आदि।

4. पिनाकसुलम (Penoxsulam)+ पेंडिमेथलीन (Pendimethalin 30% EC)

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 225-250

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 900-1000

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)=0-3 दिन  के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर संकरी पत्ती वाली घास  व सैजेस एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – गेंगरवा , नरजवाँ आदि।

2. रोपा धान में अंकुरण पूर्व खरपतवार प्रबंधन (Pre- emergenge weedicides for transplanted paddy)

खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम list

1. प्रिटीलाक्लोर (Pretilachlor)

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 300

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 600

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)=3-6  दिन

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर घास कुल व चुनिंदा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार।

2. आक्साडायरजिल (Oxadiazine weedicide)

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 32

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 40

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)=0-3 दिन

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर संकरी पत्ती वाली घास  व सैजेस एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – गेंगरवा , नरजवाँ आदि।

3. पेरेजोसलफूरोन 10% WP (Pyrazosulfuron Ethyl 10% WP)- इसे Saathi (साथी) के नाम से जानते हैं 

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 8

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 80

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)=0-3 दिन  या 10-12 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= ज्यादातर  चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – गेंगरवा , नरजवाँ आदि।

खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम list
pretilachlor weedicide

4. प्रिटीलाक्लोर (Pretilachlor) + बेन सलफूरोन (Bensulfuron) (दानेदार)

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 264

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 4000

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)=0-3  दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= सभी प्रकार के संकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर प्रभावी।

3. बोता धान में अंकुरण पश्चात खरपतवार प्रबंधन (Post- emergence weedicides for broadcasted paddy)

खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम list

1. बीसपायरीबैक सोडियम (Bispyribac Sodium )

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 10

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 100

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 20-25 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर घास कुल के संकरी पत्ती वाले एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – मोथा , नरजवाँ, गेंगरवा आदि ।

2. फिनक्साप्राप पी- इथाइल 9.3% (Fenoxaprop-Ethyl 9.3% ec)

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 24

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 250

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 20-25 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर घास कुल के संकरी पत्ती वाले जैसे – सांवा ।

3. इथाकसी सलफुरान (ethoxysulfuron)

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 6

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 40

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 15-20 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर  चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – मोथा , नरजवाँ, गेंगरवा आदि ।

4. क्लोरिमयूरान (Chlorimuron Ethyl 25% Wp)+ मेटसुलफूरोन (Metsulfuron Methyl 20% WP)  

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 1.60

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 8

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 15-20 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर  चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – मोथा , नरजवाँ, गेंगरवा आदि ।

5. पिनाकसुलम (Penoxsulam )

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 9.0

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 37.5

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 12-18 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर घास कुल के संकरी पत्ती वाले एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – मोथा , नरजवाँ, गेंगरवा आदि ।

4. रोपा धान में अंकुरण पश्चात खरपतवार प्रबंधन (Post- emergence weedicides for transplanted paddy)

खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम list

1. बीसपायरीबैक सोडियम (Bispyribac Sodium )

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 8-10

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 80-100

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 20-25 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर घास कुल के संकरी पत्ती वाले एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – मोथा , नरजवाँ, गेंगरवा आदि ।

2. पिनाकसुलम (Penoxsulam ) 

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 9.0

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 37.5

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 12-18 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर घास कुल के संकरी पत्ती वाले एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – मोथा , नरजवाँ, गेंगरवा आदि ।

3. फिनक्साप्राप + इथाकसी सलफुरान 

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 24+6

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 250+40

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 20-25 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर संकरी पत्ती वाले एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार।

4. फिनक्साप्राप + क्लोरिमयूरान+ मेटसुलफूरोन 

प्रति एकड़ डालने के लिए सक्रिय तत्व (ग्राम/एकड़)= 24+1.6

प्रति एकड़ डालने के लिए व्यावसायिक उत्पाद (मिलीलिटर/एकड़)= 250+8

डालने का समय (बुवाई के बाद, दिनों में)= 20-25 दिनों के अंदर

नियंत्रित होने वाले खरपतवार= अधिकतर घास कुल के संकरी पत्ती वाले एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे – मोथा , नरजवाँ, गेंगरवा आदि ।

इस तरह यह लेख खरपतवार नाशक दवाइयों के नाम list को पढ़कर किसान भाई इसको सही तरह से अपने खेत में उपयोग कर सकतें हैं।

समन्वित खरपतवार नियंत्रण (Integrated weed management)

खरपतवार उगने के 10-15 दिन बाद खेत की जुताई करना प्रभावकारी रहता है। ग्रीष्म ऋतु में गहरी जुलाई से काफी सीमा तक खरपतवारों पर नियंत्रण रहता है।

साधन एवं भूमि की परिस्थितियों के अनुसार फसल परिवर्तन से विशिष्ट खरपतवारों के नियंत्रण करने में सहायता मिलती है

धान की बिजाई पूर्व खेत में सिंचाई देकर खरपतवारों को जमने के बाद नष्ट किया जा सकता है (निश्तेज बीज शैया का निर्माण)।

धान की बुवाई कतारों में करने से खरपतवार नियंत्रण आसानी से किया जा सकता है। छिटका पद्धति में खरपतवार प्रकोप अधिक होता है। रोपाई के 20-30 दिन बाद एक निंदाई करना आवश्यक है। खेत को बोने के 30 40 दिन तक नौदा रहित रखना चाहिये। बियासी विधि से भी खरपतवार नियंत्रित किया जा सकता है।

धान की रोपाई में कतार व पौध के बीच 20 से.मी. का फासला तथा सीधे बिजाई हेतु 76 100 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर रखने से पौधों की सघनता बढ़ती है, जिससे खरपतवार कम पनपते हैं। पौधों की आरम्भिक अवस्था में रखेत में पानी भरा रखने से खरपतवारों की वृद्धि में 50 प्रतिशत की गिरावट ऑकी गई है।

करगा (जंगली धान) नियंत्रण (karga dhan niyantran)

प्रमाणित बीजों का उपयोग करें। करमा प्रभावित खेतों में बैगनी पत्ती वाली किस्मों के धान (श्यामला) की खेती लगातार दो या तीन वर्ष करें। करमा छँटाई कम से कम 3 बार करें। खेतों के पास गड्ढों अथवा तालाबों में लगे पशहर धान (जंगली) के पौधों के उन्मूलन करना भी आवश्यक है।

या फिर ज्यादा समस्या हो रही हो तो जब करगा उग जाए टब  पूरे खेत में रोटोवेटर चलाकर 2 साल तक रोपा लगाना चाहिए, बोता नहीं करना चाहिए।

कही से भी बीज लें नमक का 17 % घोल से उपचारित करके रोग ग्रस्त , कमजोर बीज को अलग जरूर कर लेना चाहिए।

या फिर जब करगा धान खेत में बहुत हो तो धान लगाने से पहले उगा हुवा करगा धान को सफाया (Gramoxone herbicide) मारकर साफ कर देना चाहिए

खरपतवारों की विशेषतायें (Characteristics of Weeds)

(1) फसल के पौधों की अपेक्षा, खरपतवारों में उगने, बढ़ने एवं विस्तार करने का गुण अधिक होना है। खरपतवारों की अनेकों विशेषताओं का वर्णन अग्र प्रकार किया जा सकता है-

(2) खरपतवारों के पौधों हैं। जंगली चौलाई का एक पौधा पर फूल शीघ्र आते हैं। बीज अधिक मात्रा में व फसलों से जल्दी पकते 18022 व मकोय का एक पौधा 178000, सत्यानाशी पाँच हजार जंगली जई 250 व स्ट्रीगा (Suriga) आधा करोड़, बीज प्रतिवर्ष पैदा करता है। इस प्रकार खेत में खरपतवारों का पूर्णतया उन्मूलन कभी-कभी असम्भव हो जाता है।

(3) खरपतवारों की जड़ें, फसल के पौधों की तुलना में शीघ्र विकसित होती हैं । इसकी वृद्धि भूमि चारों ओर व काफी गहराई तक होती है। प्रयोग से मालूम होता है कि कांस व हिरन खुरी की जड़ भूमि में 20 फीट, व जवासे की जड़ें भूमि में 13 फीट गहराई तक पहुंच जाती हैं।

(4) खरपतवारों के बीजों की अंकुरण विन (Seed viability) बहुत समय तक बनी रहती बथुवे (Chenopodium album) के बीज 40 वर्ष तक भूमि में रहने के बाद भी उग आते हैं।
कुछ खरपतवारों के बीज 70 वर्ष तक जीवन क्षमता बनाये रखते हैं। ठण्डे व शुष्क वातावरण में रखने पर अंकुरण क्षमता बढ़ती है

(5) अधिकतर खरपतवारों की पत्तियों पर इसकी रक्षा के लिये, सख्त बाल,चिपचिपे पदार्थ अथवा कांटे होते हैं।

(6) खरपतवारों की पत्तियों पर क्रियाशील रन्ध्रकूपों (Stomata) की संख्या अधिक पायी जाती खरपतवारों के बीजों के वितरण अथवा फैलाव के लिए, बीजों पर हुक,पंख, बाल व कांटे आदि होते हैं जैसे कोकोलेवर व कम्पोजिटी वर्ग के खरपतवारों के बीजों पर।

(8) खरपतवार को यदि बीज बनने से पहले नष्ट कर दें, तो वे विभिन्न वानस्पतिक भागों द्वारा अपनी वृद्धि कर लेते हैं। उदाहरण के लिये मौथा ट्यूबर्स (Tubers) व हिरणनखुरी रूट स्टोक (Root stock) से अपनी वृद्धि कर लेते हैं।

(9) खरपतवारों के बीजों का आकार व रंग कभी-कभी फसलों के बीजों के आकार व रंग से मिलता हुआ होता है जिसके कारण खरपतवारों के बीज, फसलों के बीजों से अलग नहीं कर सकते । उदाहरणार्थ सरसों के बीज में सत्यानाशी (Agrimone maxicana) के बीज इसी प्रकार मिल सकते हैं। प्याज व प्याजी के बीजों में समानता होती है।

(10) खरपतवार के पौधे जलवायु की विषमताओं को अपना रूप बदलकर (Modification) सह लेते हैं।

(11) एक ही खरपतवार विभिन्न प्रकार की भूमियों में पनप सकता है।

(12) खरपतवार के पौधे, फसलों के पौधों की तुलना में, विभिन्न प्रकार की बीमारियों व कीट पतंगों के आक्रमण को सहन करने की क्षमता अधिक रखते हैं।

(13) खरपतवारों की फसल के पौधों की तुलना में जल सम्बन्धी आवश्यकता कम होती है। जिन भूमियों में जल की कमी के कारण कोई फसल पैदा नहीं होती वहाँ पर भी कुछ खरपतवारों के पौधे सफलतापूर्वक फलते-फूलते हैं।

(14) कुछ खरपतवारों के पौधे विभिन्न विकारों वाली भूमियों जैसे ऊसर, अम्लीय, कंकरीली, जलमग्न व दलहनी आदि भूमियों में भी वृद्धि कर लेते हैं।

(15) बीजों में सुषुप्तता (Dormancy) – फल, है जिनके अन्दर वे जिन्दा रहते हुए अंकुरण नहीं करते। या कलियों में सुषुप्तावस्था वह अवस्था

(16) कुटिल प्रकृति बहुत से खरपतवार अपने कड़वे स्वाद, दुर्गन्ध, काँटे युक्त प्रकृति के कारण पशुओं, पक्षियों व मनुष्यों से अपनी रक्षा करते हैं।

फसलों को खरपतवार रहित रखने की क्रान्तिक अवस्था (critical stage for weeding in defferent crops)

वार्षिक फसलों में यदि खरपतवार बुआई के बाद 15-30 दिन के भीतर निकाल दिए जायें तो उपज पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। बुआई के 30 दिन से अधिक समय होने के बाद, अगर खरपतवार नष्ट करते हैं तो फसल की उपज में कमी आती है।

गेहूं

प्रथम सिंचाई बोने के 21 दिन बाद करने तक प्रायः सभी खरपतवार अंकुरित हो जाते हैं. अतः 20-30 दिन के अन्दर खरपतवार नष्ट कर देने चाहिये।

धान

सीधे बीज बोये गये खेत में धान के बीजों के साथ-साथ खरपतवार के पौधे अंकुरित हो जाते हैं, अतः बुआई के 25-30 दिन के अन्दर खरपतवार नष्ट करें। 30 दिन तक खरपतवार,खेत से जो पोषक तत्व चूसते हैं, उसकी पूर्ति फसल के पौधों द्वारा, फसल काल में हो जाती है। पहले 15 दिन में अगर खरपतवार निकालें तो खरपतवार खेत में दोबारा उग जाते हैं। सभी खरपतवार पहले 15 दिन में अंकुरित हीं हो पाते।

गन्ना

बसन्तकालीन गन्ना फरवरी-अप्रैल में बोते बोने के बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार उगते हैं। अधिक ताप, नमी व प्रकाश काल के कारण खरपतारों की वृद्धि काफी होती है। अतः गन्ने की बुआई के 30-120 दिन बाद तक खेत को खरपतवार रहित रखना चाहिये ।

फसल बुआई के बाद खरपतवार रहित रखने की क्रान्तिक अवधि, मूंगफली में 20-30 दिन, सोयाबीन में 15-20 दिन, चुकन्दर में 15-20 दिन व अन्य अधिकतर फसलों में 20-30 दिन के अन्दर होती है अर्थात् बुआई के बाद फसल से 15-30 दिन के अन्दर खरपतवार निकाल देना चाहिए ।

खरपतवारों से फसलों को क्या-क्या हानियाँ होती हैं ?(Losses Caused By Weeds or Harmful Effect of Weed)

फसलों की पैदावार में विशेष रूप से खरपतवार, कीट पतंगे, पशु व पादप व्याधियाँ अधिक हानि पहुंचाती हैं । यह अनुमान लगाया गया है कि, खरपतवारों द्वारा पैदावार में की गई कमी, अन्य उपयुक्त तीनों कारकों द्वारा पैदावार में की गई कमी की तुलना में अधिक होती है। खरपतवार विभिन्न रूपों में हानिकारक होते हैं। खरपतवार द्वारा की गई कुछ हानियों का वर्णन निम्न प्रकार है-

(1) खेत की नमी/पानी पर प्रभाव (Effect on soil moisture/soil water)

खरपतवारों के पौधे भी मृदा में फसल के पौधों की भांति नमी का उपयोग करते हैं। कभी-कभी खरपतवारों की जल-माँग मुख्य फसल की जल-माँग से भी अधिक होती है जैसा कि पी० सी० रहेजा (1942) के अनुसंधानों से सिद्ध होता है। इनके अनुसार शुष्क क्षेत्रों में ज्वार का जलोत्सर्जन गुणांक 430 है जबकि दूब का 313, कुन्दा (Ischaemumplosum) का 556 और टेफेरोजिया परप्यूरिया का 1108 जलोत्सर्जन गुणांक है।

(2) मृदा में पोषक तत्वों पर प्रभाव (Effect on nutrients in the soil)

मृदा में विभिन्न पोषक तत्व जो फसल के पौधों के लिये उपयोगी होते हैं, खरपतवारों द्वारा 7-20% तक ग्रहण कर लिये जाते हैं। असाना (1950) ने गेहूं के खेत में प्रयोग के आधार पर बताया कि विभिन्न खरपतवार 17-20 किमा० नाइट्रोजन प्रति है० चूस लेते हैं। कपूर (1950) ने बताया कि पोहली (Carthamus oxycantha) 60 किमा० नाइट्रोजन/है० प्रतिवर्ष ग्रहण फसलों की उपज पर प्रभाव (Effect on crop yield) – अनेकों वैज्ञानिकों के अनुसंधानों के आधार पर यह देखा गया है कि विभिन्न फसलों में, खरपतवारों के द्वारा 5-50% तक पैदावार में कमी

(4) फसलों के गुणों पर प्रभाव (Effect on the crop quality)

प्रयोगों के आधार पर यह देखा गया है कि विभिन्न फसलों के दानों से तेल एवं प्रोटीन की प्रतिशतता कम हो जाती है। गन्ने के दोध में चीनी की प्रतिशतता कम हो जाती है, सब्जियों के गुणों पर भी कुप्रभाव होता है । चारे की फसल जाते हैं। इन सभी कारणों से फसल की कीमत गिर जाती है।

(5) रोग एवं कीटों का आरक्षण (Harbour to insect pest and diseases)

खरपतवारों के पौधे, फसल के पौधों पर आक्रमण करने वाले विभिन्न कीट पतंगों व बीमारियों के जीवाणुओं को शरण देकर, फसलों को हानि पहुँचाते हैं। कुकुरबिट्स पर लगने वाली मेलन एफीड कीट, हिरनखुरी व चिकबीड पर शरण लेती है। गाजर एवं सेलरी पर लगने वाली केरट रस्ट फ्लाई को जंगली गाजर पर शरण मिलती है। गेहूं, जौ व जई पर लगने वाली तने की रस्ट नामक बीमारी के रोगाणु जंगली जई व क्वैक घास पर शरण लेते हैं। गाजर पर लगने वाली कैरट ब्लाइट से रोगाणु जंगली गाजर पर शरण लेते हैं के गुण भी नष्ट हो जाते हैं।

(6) कृषि यन्त्रों, मशीनों एवं पशुओं की आयु पर प्रभाव (Effect on the age of agricultural implements, machine and animals)

जिन खेतों में खरपतवारों का प्रकोप अधिक होता है वहाँ पर उनको नष्ट करने के लिये बार-बार जुताई व गुड़ाई करनी पड़ती है, जिसके कारण कृषि यन्त्र व मशीनों में घिसावट होती है।

(7) भूमि की उत्पादकता पर प्रभाव (Effect on soil productivity)

मृदा में खरपतवार, अनेकों पोषक तत्वों का चूषित करके मृदा उत्पादकता को कम करते रहते हैं इसके अतिरिक्त कुछ खरपतवार मृदा में अपनी जड़ों द्वारा विषैले पदार्थ छोड़ते रहते हैं, जो आगे बोई जाने वाली फ़सलों के लिये बहुत हानिकारक होते हैं। क्वेक घास की जड़ों से निकले हुये पदार्थ अनेकों फसलों विशेष रूप से मटर व गेहूं की फसलों के अंकुरण व वृद्धि पर कुप्रभाव छोड़ते हैं।

(8) कृषक की आय पर प्रभाव (Effect on farmer’s income)

खरपतवार खेत में बढ़ने पर उनके नष्ट करने में खर्च हुई अतिरिक्त धनराशि व फसल की पैदावार बढ़ने में अतिरिक्त खाद तत्व व सिंचाई में व्यय अधिक धनराशि, कृषक की आय को कम कर देती है।

(9) नहर एवं सिंचाई की नालियों में पानी का ह्रास (Losses of water in canals & in irrigation channels)

खरपतवार नहरों एवं सिंचाई की नालियों में उगाकर उनके बहने में रुकावट डालते हैं। साथ ही साथ इनकी जड़ों के सहारे पानी रिसकर नष्ट होता रहता है। पानी का कुछ भाग स्वयं खरपतवार ग्रहण कर नष्ट करते हैं, इस प्रकार सिंचाई क्षमता घट जाती है।

(10) भूमि के मूल्य में कमी (Depreciation of land value)

कृषि योग्य भूमियाँ जब बहुवर्षीय खरपतवारों से ढकी रहती हैं, तो उनकी कीमत गिर जाती है ।

(11) पशु उत्पादित पदार्थों पर प्रभाव (Effect on the quality of livestock products) 

कुछ खरपतवारों जैसे हुलहुल (Cleom viscosa) जब दूध वाले पशु द्वारा ख़ाई जाती है, तो उसके दूध से एक विशेष प्रकार की अनइच्छित गंध आती है। इसी प्रकार गोखरू (Xanthium
strumarium) जब भेड़ की ऊन से चिपट जाता है तो उनके गुणों में कमी आती है। धतूरा (Datura stramonium) यदि-अनजाने में पशु द्वारा खा लिया जाये तो पशु की मृत्यु तक हो सकती है

(12) खरपतवार मनुष्यों के लिये हानिकारक (Weeds are harmful for human beings)

पशुओं के स्वास्थ्य के अतिरिक्त मनुष्यों की त्वचा में खुजली, चिड़चिड़ापन (Allergy) आदि रोग पैदा करते हैं। कभी-कभी खरपतवार के ग्रहण करने पर मनुष्यों की मृत्यु भी हो सकती है।

सफाया खरपतवार नाशक (Non Selective Weedicide)

1. Paraquate 

सफाया बन नाशक
Paraquate

 

2. Gycel सफाया बन नाशक 

दूब घास मारने की दवा का नाम

References 

कृषि दर्शिका 2023, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छत्तीसगढ़)। 

सस्य विज्ञान के सिद्धांत – डॉक्टर ओमप्रकाश , रामा पब्लिशिंग हाउस मेरठ